सप्ताहांत में शानदार शुरुआत के बाद सप्तक संगीत समारोह ने सोमवार को नई ऊंचाइयों को छू लिया। दो शाम हुए प्रदर्शनों में दर्शकों की संख्या की भागीदारी खूब बढ़ी। सामने के गद्दों पर संगीत प्रेमी नौजवान जमे थे, तो पीछे की कुर्सियों पर उम्रदराज रसिकों की भीड़ थी। इस दौरान कोविड के मद्देनजर आयोजकों ने एक मिनट के लिए भी किसी को मुखौटा नहीं उतारने दिया। वे नो वीडियो शूटिंग नियम पर भी सख्त थे, जो किसी को भी कुछ देर के लिए भी मंच की ओर फोन घुमाने पर फटकार लगाते थे।
सप्तक के 42 वें संस्करण की शुरुआत बांसुरी वादन से हुई। कलाकार थे हरि प्रसाद चौरसिया के भतीजे राकेश चौरसिया। हरि प्रसाद चौरसिया खुद बुधवार को प्रदर्शन करने वाले हैं। तबले पर उनके साथ उस्ताद अल्ला रक्खा खां के बेटे और जाकिर हुसैन के भाई फजल कुरैशी थे। शाम का मुख्य आकर्षण डॉ. अश्विनी भिड़े-देशपांडे की असाधारण गायन थी।
डॉ भिडे-देशपांडे ने भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र से सूक्ष्म जीव विज्ञान में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की है। उनके पास सुंदर आवाज के अलावा उपस्थिति भर से मंच पर मंत्रमुग्ध कर देने वाली शैली भी है। वह अपनी मुस्कान और हाथों के कलापूर्ण संचालन से माहौल बना देती हैं। वह जयपुर घराने की दिवंगत किशोरी अमोणकर की योग्य उत्तराधिकारी हैं। अपने प्रदर्शन से उन्होंने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उनके साथ तबले पर अनीश प्रधान और हारमोनियम पर सुधीर नायक के अलावा गायन में तीन युवा बैक अप प्रदान कर रहे थे। संगीत दिव्य था और अहमदाबाद की चांदनी रात में आसमान को छू रहा था।
सप्तक के तीसरे दिन सितार वादक सुजात हुसैन खान द्वारा एक एल्बम का औपचारिक लॉन्च भी हुआ।