प्रयागराज जाने के पहले अतीक ने कहा था " अब लौटकर नहीं आऊंगा " -

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प्रयागराज जाने के पहले अतीक ने कहा था ” अब लौटकर नहीं आऊंगा “

| Updated: April 17, 2023 21:18

गैंगरेस्टर अतीक अहमद अपने घर में ही अतीत बन गया। जैसी करनी वैसी भरनी की तर्ज पर अतीक को पुलिस की सुरक्षा के बीच तीन मीडियाकर्मियों के भेष में आये आये तीन अपराधियों ने गोली से छलनी कर दिया ,अतीक के साथ ही उसका भाई ही ढेर हो गया। लेकिन चार साल का समय साबरमती जेल में बीतने वाला की कहानिया अब भी साबरमती में चर्चा का विषय बनी हुयी है। अतीक के हत्या की खबर साबरमती जेल के लिए कही खुशी कही गम की तरह थी। चर्चा के मुताबिक अतीक साबरमती जेल में मनपसंद सुविधा पाने के लिए महीने 30 लाख रुपया खर्च करता था। अतीक के पीछे साबरमती जेल प्रशासन को भी बड़ी राशि खर्च करनी पड़ती थी ,अभी भी उसे 40 लाख रूपया उत्तरप्रदेश सरकार से लेनी है।

अतीक के 4 विश्वासु आदमी दिन रात साबरमती जेल के बाहर तैनात रहते थे। जेल में बैठे बैठे अतीक अपना साम्राज्य चलता था। 27 मार्च को प्रयागराज कोर्ट ने जब अतीक को सजा सुनाई उसके पहले विचाराधीन कैदी के तौर पर अतीक को अंडा सेल में रखा जाता था, और कई कैदी उसकी सेवा में तैनात रहते थे। सजा होने के बाद एक सप्ताह तक अतीक को 10 बाय 10 के बैरक में कैदी के तौर पर रखा गया था।

जेल के उच्च अधिकारी सीसीटवी से बैरेक की निगरानी करते थे। 10 बाय 10 के बैरेक में अतीत का जी घबराता था। प्रयागराज वापस जाने के पहले अतीक ने कहा था ” वापस नहीं आऊंगा ” . अतीक का यह डर सही भी साबित हुआ। लेकिन अतीक की कई कहानी जेल में चर्चा का विषय बनी है।

अतीक अहमद को इसके पहले यूपी की कोर्ट में हाजिर होने के लिए 2 बार आदेश आया लेकिन साबरमती जेल की मेडिकल टीम ने रिपोर्ट दी थी की अतीक की तबीयत ऐसी नहीं है कि वह इतना लम्बा सफर कर सके जिसके कारण दोनों बार उसे नयी तारीख दी गयी थी। इस दौरान अतीक अहमद ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी कि उसकी सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेसिंग से हो या साबरमती जेल में आकर आवश्यक कार्यवाही कराई जाय। लेकिन इस माफिया को प्रयागराज कोर्ट में उपस्थित होना पड़ा था। जब उसे पहली बार हाजिर किया गया तो सजा सुनाई गयी। और इस तरह वह विचाराधीन कैदी से कैदी के तौर पर परिवर्तित हो गया था।

जेल अधिकारी घर से लाता था परोठा

अतीक का साबरमती जेल से लगाव का बड़ा कारण जेल में मिलने वाली सुविधा थी। जिसके लिए वह हर महीने 25 – 30 लाख रुपया जेल कर्मचारियों और जेल के सेवादारों के पीछे खर्च करता था। जेल अधिकारीयों से चार साल के लम्बे समय के दौरान उसे लगाव हो गया था , चर्चा के मुताबिक एक जेल अधिकारी तो अतीक के लिए घर से पराठा बनाकर लेट थे।

यूपी सरकार को बाकी 40 लाख का बिल चुकाना

यूपी सरकार ने अतीक को इस आधार पर साबरमती जेल में ट्रांसफर किया था कि उसके खाने ,रहने ,लाइट बिल तथा उसकी सुरक्षा में तैनात जेल कर्मियों के पीछे होने वाले खर्च को उत्तरप्रदेश सरकार साबरमती जेल प्रशासन को चुकायेगी। उत्तरप्रदेश सरकार ने एक बार शुरूआती दौर में डेढ़ लाख का भुगतान भी किया लेकिन उसके बाद जेल प्रशासन को भुगतान नहीं किया। साबरमती जेल प्रशासन ने 40 लाख का बिल कुछ दिन पहले ही उत्तरप्रदेश जेल विभाग को भेजा था , जिसमें कुछ क्योरी निकाल कर उत्तरप्रदेश जेल विभाग ने वापस साबरमती जेल प्रशासन को भेज दिया लेकिन भुगतान अभी भी बाकी है।

साबरमती जेल प्रशासन यूपी पुलिस का दर्ज करेगी बयान

जेल नियमो के मुताबिक अतीक अहमद का नाम साबरमती जेल के कैदी के तौर से हटाने की कार्यवाही शुरू की जायेगी। 20 दिन में दो बार यूपी पुलिस
अतीक को प्रयागराज कोर्ट ले गयी , दूसरी बार कोर्ट के हुक्म को आधार बनाकर जो अधिकारी अतीक को साबरमती जेल से लेकर गए थे , उनका बयान साबरमती जेल प्रशासन दर्ज करेगा। इस बयान में अतीक का मृत्यु उत्तरप्रदेश में हुयी है इसका खास उल्लेख किया जाएगा। जिसके बाद ना केवल अतीक का नाम कैदी की सूची से हटेगा बल्कि जिस जिस पुलिस स्टेशन में अतीक के खिलाफ मामले दर्ज हैं उनको भी साबरमती जेल प्रशासन अतीक के मृत्यु की आधिकारिक जानकारी देगा।

दवाओं के सहारे जी रहा था अतीक

पांच बार के विधायक और एक बार के सांसद अतीक का वजन 100 किलो से ज्यादा था। कई बिमारियों की वह चपेट में था। जेल सूत्रों के मुताबिक उसे बहुत साडी दवाइयां खानी पड़ती थी अतीत की दवा , शरीर की मालिश ,कपडा और मनचाहा भोजन और बात करने के लिए कोई होना चाहिए ,यह उसकी आदत भी थी और मज़बूरी भी। अतीक को जेल की चार दीवारी के बीच भी यह सब उपलब्ध भी था।

जेल से चलाता था नेटवर्क

साबरमती जेल में रहने के बावजूद अतीक जेल से अपना नेटवर्क संचालित करता था। वह जेल से ही फ़ोन कर फिरौती मांगता था , साथ ही उत्तरप्रदेश में कई लोगो के संपर्क में था। जिसकी रिकार्डिंग भी उत्तरप्रदेश पुलिस के हाथ लगी है। जिसके बाद उत्तरप्रदेश पुलिस ने साबरमती जेल प्रशासन से स्पष्टीकरण माँगा है। 2019 ने अभी तक चार बार अतीक के पास से मोबाइल फ़ोन जब्त हुए लेकिन कोई ठोस कार्यवाही नहीं हुयी।

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