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नेचुरल गैस महंगा होने से गुजरात में बढ़ रही है एलपीजी की मांग

| Updated: December 28, 2022 12:35 pm

अहमदाबाद: प्राकृतिक गैस (natural gas) की बढ़ती कीमतों को देखते हुए गैस के थोक उपभोक्ता (bulk consumers) पैसा बचाने के लिए वैकल्पिक ईंधन (alternative fuel) के रूप में एलपीजी यानी तरलीकृत पेट्रोलियम गैस (liquified petroleum gas) की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं। इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (IOCL) के आंकड़ों के अनुसार, इस साल अप्रैल से नवंबर तक सभी सरकारी कंपनियों द्वारा सप्लाई की गई LPG की इंडस्ट्रियल उद्देश्यों के लिए कुल थोक खपत (bulk consumption) 329.8 हजार मीट्रिक टन (TMT) थी। यह 2021 की समान अवधि के दौरान 73.5 TMT के मुकाबले 348% बढ़ गया।

गुजरात में आईओसीएल के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर और राज्य स्तर के समन्वयक (coordinator) अन्ना दुरई ने कहा, “रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण प्राकृतिक गैस की कीमतों में वृद्धि के बाद कई औद्योगिक उपभोक्ता प्रोपेन या एलपीजी की ओर ट्रांसफर हो गए हैं। मोरबी में सिरेमिक उद्योग अब धीरे-धीरे प्रोपेन और एलपीजी की ओर ट्रांसफर होना शुरू हो गया है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि प्राकृतिक गैस की लागत के बोझ से उनकी व्यावसायिक व्यवहार्यता (business viability) में कमी आ रही है।” मोरबी के अलावा, कुछ अन्य उद्योग जैसे रसायन और पेट्रोकेमिकल निर्माता भी एलपीजी में ट्रांसफर होने लगे हैं। इन गैसों का बड़े पैमाने पर बॉयलरों के साथ-साथ इंडस्ट्रियल एप्लीकेशंस (industrial applications) के लिए जलने वाले ईंधन के रूप में उपयोग किया जाता है।

उद्योग जगत के सूत्रों के अनुसार, बल्क एलपीजी की कीमत एक अप्रैल 2021 के 52.83 रुपये प्रति किलोग्राम से बढ़कर एक दिसंबर 2022 को 60.15 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई। इसके मुकाबले प्राकृतिक की कीमत 40.45 रुपये प्रति किलोग्राम से बढ़कर इसी अवधि में प्रति किग्रा 71.95 रुपये हो गई। इस बीच, पिछले कुछ वर्षों में घरेलू एलपीजी ग्राहकों की संख्या में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। आज की तारीख में गुजरात में कुल एलपीजी ग्राहक 1.2 करोड़ हैं, जबकि घरेलू पीएनजी ग्राहक 28.15 लाख हैं।

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