नई दिल्ली: यूक्रेन में युद्ध अपने चौथे साल में पहुँच चुका है और इसका सीधा असर अंतरराष्ट्रीय छात्रों पर पड़ा है, जो अब पढ़ाई के लिए सुरक्षित विकल्पों की तलाश कर रहे हैं। इस बदलती स्थिति के बीच, जॉर्जिया भारतीय मेडिकल उम्मीदवारों के लिए एक नए और तेज़ी से उभरते हुए डेस्टिनेशन के तौर पर सामने आया है।
आँकड़े बताते हैं कि भारतीय छात्रों का रुझान जॉर्जिया की तरफ़ तेज़ी से बढ़ा है।
जॉर्जिया पर पाँच गुना बढ़ा खर्च
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम (LRS) के आँकड़ों से यह पूरी तस्वीर साफ़ होती है। सूचना के अधिकार (RTI) के तहत प्राप्त इन आँकड़ों के अनुसार, 2024-25 में भारतीयों ने जॉर्जिया में अपनी शिक्षा पर 50.25 मिलियन डॉलर (लगभग 5.02 करोड़ डॉलर) खर्च किए।
यह आँकड़ा 2018-19 में खर्च हुए 10.33 मिलियन डॉलर (लगभग 1.03 करोड़ डॉलर) के मुक़ाबले लगभग पाँच गुना ज़्यादा है।
LRS डेटा यह भी दिखाता है कि जॉर्जिया को यह बढ़त मुख्य रूप से यूक्रेन की क़ीमत पर मिली है। 2018-19 में जहाँ भारतीय छात्रों ने यूक्रेन में पढ़ाई के लिए 14.80 मिलियन डॉलर (लगभग 1.48 करोड़ डॉलर) भेजे थे, वहीं 2024-25 में यह रक़म घटकर महज़ 2.40 मिलियन डॉलर (लगभग 24 लाख डॉलर) रह गई।
युद्ध से पहले यूक्रेन था टॉप 10 में
दिलचस्प बात यह है कि युद्ध से पहले के सालों में, यूक्रेन में शिक्षा के लिए भारतीय रेमिटेंस लगातार बढ़ रहा था। 2020-21 और 2021-22 में यूक्रेन भारतीय छात्रों के लिए टॉप 10 डेस्टिनेशन में शामिल था, जब रेमिटेंस 39.12 मिलियन डॉलर (लगभग 3.91 करोड़ डॉलर) तक पहुँच गया था।
लेकिन, फरवरी 2022 में रूस के आक्रमण के बाद 2022-23 में यह आँकड़ा तेज़ी से गिरकर क़रीब 10.6 मिलियन डॉलर (लगभग 1.06 करोड़ डॉलर) पर आ गया।
जॉर्जिया की रैंकिंग में ज़बरदस्त उछाल
ठीक इसी साल (2022-23) में, जॉर्जिया ने विदेश में शिक्षा के लिए पैसे भेजने वाले टॉप 15 देशों की लिस्ट में एंट्री की। वह 2018-19 के 21वें स्थान से उछलकर सीधे 14वें स्थान पर पहुँच गया। तब से, इस देश की स्थिति और मज़बूत हुई है और अब यह 12वें स्थान पर आ गया है।
संसद में पिछले साल दिसंबर में पेश किए गए आँकड़े भी इस ट्रेंड की पुष्टि करते हैं। 2019 में 4,148 भारतीय ‘स्टडी/एजुकेशन’ के उद्देश्य से जॉर्जिया गए थे। 2023 में यह संख्या दोगुनी से भी ज़्यादा बढ़कर 10,470 हो गई।
क्यों लोकप्रिय हो रहा है जॉर्जिया?
विदेशी शिक्षा सलाहकारों के मुताबिक, जॉर्जिया मेडिकल और पैरामेडिकल कोर्स (जैसे फिजियोथेरेपी) के लिए पहले से ही लोकप्रिय था। लेकिन युद्ध शुरू होने के बाद इसे ज़बरदस्त फ़ायदा हुआ, क्योंकि छात्रों ने यूक्रेन से किनारा कर लिया और वहाँ पहले से पढ़ रहे कई छात्रों ने जॉर्जिया की यूनिवर्सिटियों में ट्रांसफर ले लिया।
एजुआब्रॉड कंसल्टिंग की सीईओ प्रतिभा जैन ने कहा, “जॉर्जिया अपने मेडिकल कोर्स के लिए लोकप्रिय रहा है। यह यूरोप से नज़दीकी और किफ़ायती (कॉस्ट इफेक्टिव) होने के कारण युद्ध से पहले भी काफी पसंद किया जाता था। वहाँ रेज़िडेंसी (नागरिकता) के क़ानून सरल हैं, और मेडिकल ग्रेजुएट वहाँ रहने और काम करने पर भी विचार कर सकते हैं।”
रूस भी बना हुआ है पसंद
हालाँकि, प्रतिभा जैन ने यह भी स्पष्ट किया कि मेडिकल कोर्स के लिए रूस अब भी एक लोकप्रिय देश बना हुआ है, भले ही कुछ छात्र यूक्रेन के साथ सीमा के क़रीबी शहरों से दूर रहना पसंद करते हों।
LRS डेटा दिखाता है कि 2024-25 में रूस में शिक्षा पर भारतीय खर्च 69.94 मिलियन डॉलर (लगभग 6.99 करोड़ डॉलर) तक पहुँच गया, जो 2023-24 के 22.48 मिलियन डॉलर (लगभग 2.24 करोड़ डॉलर) से 200% ज़्यादा है।
2022-23 में 16.36 मिलियन डॉलर (लगभग 1.63 करोड़ डॉलर) की मामूली गिरावट को छोड़ दें, तो 2018-19 ($14.82 मिलियन) से रूस में भारतीय खर्च लगातार बढ़ रहा है। भारतीय छात्रों के लिए डेस्टिनेशन लिस्ट में रूस की रैंकिंग भी 2018-19 में 23वें स्थान से सुधरकर 2024-25 में 11वें स्थान पर पहुँच गई है।
2024-25 में अन्य प्रमुख देशों का हाल
संसद के आँकड़ों के मुताबिक, कनाडा, अमेरिका, यूके, ऑस्ट्रेलिया और जर्मनी भारतीय छात्रों के लिए पारंपरिक तौर पर टॉप पाँच देश रहे हैं।
- USA: 2024-25 में, शिक्षा पर भारतीय खर्च में टॉप पर रहने वाले अमेरिका में 2023-24 की तुलना में 10% की गिरावट देखी गई।
- कनाडा: टॉप पाँच देशों में, कनाडा में 2023-24 की तुलना में सबसे तेज़ (क़रीब 43%) की गिरावट आई।
- ऑस्ट्रेलिया: यहाँ भी 5% की गिरावट दर्ज की गई।
- UK और जर्मनी: इसके विपरीत, यूके में 12% की वृद्धि हुई और जर्मनी ने 70% की ज़बरदस्त छलाँग लगाई।
(नोट: RBI की LRS योजना भारतीय निवासियों को एक वित्तीय वर्ष में $2,50,000 तक की रक़म विदेश भेजने की अनुमति देती है।)











