अहमदाबाद: गुजरात हाईकोर्ट के सामने एक बेहद दिलचस्प और कानूनी रूप से पेचीदा मामला सामने आया है। अदालत को अब यह तय करना है कि क्या कोई ऐसा व्यक्ति, जिसके पास भारतीय नागरिकता नहीं है, किसी सहकारी समिति (Cooperative Society) और उसकी प्रबंध समिति का सदस्य बन सकता है या नहीं।
यह सवाल एक याचिका के जरिए उठाया गया है, जिसमें अधिकारियों के उस फैसले को चुनौती दी गई है, जिसमें कहा गया था कि कानून विदेशी नागरिकों को सहकारी समिति में शामिल होने से नहीं रोकता।
क्या है पूरा मामला?
यह विवाद गणदेवी स्थित एक चीनी सहकारी संस्था— श्री सहकारी खांड उद्योग सहकारी मंडली लिमिटेड— से जुड़ा है। संस्था की प्रबंध समिति (Managing Committee) में रंजीत पटेल सदस्य के तौर पर शामिल हैं। रंजीत पटेल पहले गणदेवी के ही निवासी थे, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से वह अमेरिका में बस गए हैं और उनके पास ओसीआई (OCI) कार्ड है। उनकी इसी स्थिति को लेकर विवाद खड़ा हुआ है।
रजिस्ट्रार और डायरेक्टर ने क्या कहा?
मामले की शुरुआत पिछले साल हुई, जब सोसाइटी के एक सदस्य जितेंद्र देसाई ने नवसारी जिला सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार और फिर ‘डायरेक्टर, सुगर’ (Director, Sugar) को पत्र लिखा। देसाई ने मांग की कि पटेल को उनके पद से हटाया जाए क्योंकि वह भारतीय नागरिक नहीं हैं।
हालांकि, अधिकारियों ने उनकी मांग को खारिज कर दिया। इस साल फरवरी में जिला रजिस्ट्रार और सितंबर में डायरेक्टर ने अपनी राय दी कि गुजरात को-ऑपरेटिव सोसाइटीज एक्ट की धारा 11 के तहत, किसी विदेशी व्यक्ति के सदस्य बनने पर कोई कानूनी रोक नहीं है।
हाईकोर्ट में दी गई दलीलें
अधिकारियों के इस फैसले से असंतुष्ट होकर जितेंद्र देसाई ने गुजरात हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। उनके वकील अर्चित जानी ने अदालत में तर्क दिया कि सहकारी समितियां स्थानीय कृषि और आर्थिक गतिविधियों का एक अभिन्न हिस्सा होती हैं। इसलिए, अनिवासी और गैर-नागरिकों को इनके प्रबंधन में शामिल होने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
याचिका में जोर देकर कहा गया है कि सहकारी समितियों का मूल उद्देश्य स्थानीय समुदायों की सेवा करना है, और इसके लिए स्पष्ट कानूनी दिशा-निर्देश होने चाहिए।
वकील ने दलील दी, “अगर कोई विदेशी नागरिक सहकारी समिति का सदस्य बनता है, तो पूरा सहकारी ढांचा ही चरमरा जाएगा। जब एक विदेशी को चुनाव में वोट डालने की अनुमति नहीं है, तो उपनियमों (bylaws) के तहत ऐसा व्यक्ति, जो समिति के कार्यक्षेत्र में निवास नहीं करता, सदस्य बनने के योग्य कैसे हो सकता है?”
अगली सुनवाई 2026 में
मामले की प्रारंभिक सुनवाई के बाद, जस्टिस अनिरुद्ध माई ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी किया है। अब इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर अगली सुनवाई 10 फरवरी, 2026 को तय की गई है, जहाँ यह साफ होगा कि सहकारी क्षेत्र में विदेशी नागरिकों की भागीदारी पर कानून क्या रुख अपनाता है।
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