गुजरात में प्री-प्राइमरी स्कूलों को रेगुलेट किया जाएगा

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गुजरात में प्री-प्राइमरी स्कूलों को रेगुलेट किया जाएगा

| Updated: December 17, 2022 12:10

अहमदाबाद: गुजरात सरकार प्री-प्राइमरी स्कूलों का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य (mandatory) करने की योजना बना रही है। राज्य सरकार एक रेगुलेशन पॉलिसी बनाने की प्रक्रिया में है, जिसमें जूनियर और सीनियर किंडरगार्टन में शिक्षकों के लिए न्यूनतम योग्यता से संबंधित नियम भी बनाए जाएंगे। अब तक प्री-प्राइमरी स्कूलों के कामकाज से संबंधित कोई नियामक तंत्र (regulatory mechanism) नहीं था। राज्य शिक्षा विभाग के सूत्रों ने कहा कि केजी सेक्शन में फीस को रेगुलेट करने के उपायों पर भी चर्चा चल रही है।

सूत्रों ने कहा कि राज्य भर में लगभग 40,000 प्री-प्राइमरी स्कूल हैं, लेकिन वे किसी भी शैक्षिक प्राधिकरण (educational authority) द्वारा रेगुलेट नहीं हैं। सूत्रों ने कहा कि इनमें से ज्यादातर स्कूल टेनमेंट और बंगलों में चल रहे हैं।

वर्तमान में इन स्कूलों की फीस या शिक्षकों की योग्यता से संबंधित भी कोई नियम नहीं है। राज्य के शिक्षा विभाग के एक सीनियर अफसर ने कहा, “सरकार प्री-प्राइमरी स्कूलों के विभिन्न पहलुओं से संबंधित नियमों के साथ आएगी। रेगुलेशन का मसला लंबे समय से विचाराधीन था और मसौदा लगभग तैयार है। इसे जल्द ही सरकार को मंजूरी के लिए भेजा जाएगा।”

सूत्रों ने बताया कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 में प्राथमिक शिक्षा को दो भागों में बांटा गया है: कक्षा 1-5 और कक्षा 6 से 8 तक। तीन प्री-प्राइमरी सेक्शन- नर्सरी, जूनियर केजी और सीनियर केजी – प्राथमिक शिक्षा के पहले भाग में शामिल हैं। चूंकि प्री प्राइमरी स्कूलों को अधिकारियों द्वारा रेगुलेट नहीं किया जाता है, इसलिए सरकार के पास इनके छात्रों की संख्या के बारे में ब्योरे नहीं हैं। इस रेगुलेशन के जरिये सरकार प्री प्राइमरी के छात्रों की निगरानी करना चाहती है।

सरकार प्री-प्राइमरी स्कूलों की फीस संरचना को भी रेगुलेट करना चाहती है। साथ ही यह पक्का करना चाहती है कि भर्ती किए गए शिक्षक के पास जरूरी योग्यता हो। अभी तक ये स्कूल अपनी फीस खुद तय करते हैं, जबकि काम पर रखे गए कई शिक्षक पढ़ाने के लिए उपयुक्त रूप से योग्य नहीं हैं। इससे छात्रों पर गलत असर पड़ता है।

यह अभी तक स्पष्ट नहीं है कि प्री-प्राइमरी स्कूलों को खुद को महिला एवं बाल विकास विभाग (WCD) के साथ रजिस्ट्रेशन कराना होगा या नहीं। इस रेगुलेशन से अभिभावकों को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है, क्योंकि प्री-प्राइमरी स्कूल 10,000 रुपये से लेकर 80,000 रुपये तक की फीस वसूलते हैं। सूत्रों ने कहा कि एक बार शुल्क ढांचे के रेगुलेशन के बाद फीस के स्लैब बनाए जाएंगे।

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