गांधीनगर: गुजरात में चल रहे मतदाता सूची के विशेष गहन संशोधन (SIR) अभियान में एक चौंकाने वाला आंकड़ा सामने आया है। राज्य में 40 लाख से अधिक ऐसे मतदाता मिले हैं, जो मतदाता सूची में दर्ज अपने पते से ‘स्थायी रूप से स्थानांतरित’ (Permanently Shifted) हो चुके हैं। हैरानी की बात यह है कि इन स्थानांतरित मतदाताओं में से लगभग आधे अकेले अहमदाबाद और सूरत जिलों से ताल्लुक रखते हैं।
19 दिसंबर को जारी होगी ड्राफ्ट वोटर लिस्ट
भारत निर्वाचन आयोग (ECI) द्वारा 19 दिसंबर को मतदाता सूची का मसौदा प्रकाशित किया जाएगा। आंकड़ों के अनुसार, कुल 73.94 लाख मतदाताओं के नाम विभिन्न कारणों से सूची से हटाए जाने की संभावना है। इन कारणों में मृत्यु, स्थायी स्थानांतरण, अनुपस्थिति और डुप्लीकेट वोटर कार्ड शामिल हैं। गौर करने वाली बात यह है कि हटाए जाने वाले नामों में सबसे बड़ा हिस्सा, यानी 54%, उन लोगों का है जो अपने मूल पते से हमेशा के लिए दूसरी जगह बस गए हैं।
अहमदाबाद और सूरत में सबसे ज्यादा पलायन
आंकड़ों की गहराई में जाएं तो पता चलता है कि अहमदाबाद में सबसे ज्यादा 8.65 लाख और सूरत में 8.62 लाख मतदाता ‘स्थायी रूप से स्थानांतरित’ पाए गए हैं। यह संख्या इस श्रेणी के कुल मतदाताओं का 43% है।
SIR प्रक्रिया से जुड़े अधिकारियों का मानना है कि अहमदाबाद, सूरत और अन्य औद्योगिक रूप से विकसित जिलों से हुआ ‘रिवर्स माइग्रेशन’ (श्रमिकों का वापस लौटना) इसका एक बड़ा कारण हो सकता है। इन शहरों में प्रवासी श्रमिकों की बड़ी आबादी रहती है। इसके अलावा, एक संभावना यह भी है कि लोगों ने गुजरात की अलग-अलग विधानसभा सीटों के भीतर ही अपना पता बदल लिया हो।
क्या कहते हैं अधिकारी?
अहमदाबाद के कलेक्टर और जिला निर्वाचन अधिकारी, सुजीत कुमार ने स्थिति पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यद्यपि SIR अभियान में अहमदाबाद जिले से सबसे अधिक प्रवासन (माइग्रेशन) देखा गया है, लेकिन इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। उन्होंने स्पष्ट किया, “फिलहाल, हम यह सुनिश्चित नहीं कर सकते कि यह प्रवासन राज्य के निर्वाचन क्षेत्रों के भीतर हुआ है या लोग राज्य से बाहर चले गए हैं।”
इन जिलों और सीटों पर भी पड़ा असर
अहमदाबाद और सूरत के अलावा, जिन अन्य प्रमुख जिलों से मतदाता स्थायी रूप से शिफ्ट हुए हैं, उनमें वडोदरा, राजकोट, वलसाड, कच्छ, भावनगर, गांधीनगर, बनासकांठा और मेहसाणा शामिल हैं। गौरतलब है कि ये सभी जिले औद्योगीकरण के केंद्र हैं, जहां बड़ी इंडस्ट्रीज और एमएसएमई (MSMEs) की वजह से प्रवासी कामगारों की संख्या अधिक रहती है।
विधानसभा वार देखें तो सबसे ज्यादा बाहरी प्रवासन भी अहमदाबाद और सूरत शहरों से ही हुआ है। मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) के कार्यालय से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक, जिन शीर्ष दस विधानसभा क्षेत्रों से लोगों ने पलायन किया है, वे सभी इन्हीं दो शहरों में हैं। इनमें चौरासी, कामरेज, लिंबायत, उधना, अमराईवाड़ी, वेजलपुर, वराछा रोड, ओलपाड, कतारगाम और घाटलोडिया शामिल हैं।
कोरोना काल और रिवर्स माइग्रेशन का कनेक्शन
इस संदर्भ में महात्मा गांधी लेबर इंस्टीट्यूट (MGLI) द्वारा 2020 में किए गए एक अध्ययन का जिक्र करना जरूरी है, जिसने महामारी के दौरान ‘रिवर्स माइग्रेशन’ के मुद्दे को रेखांकित किया था। अध्ययन में बताया गया था कि कोविड-19 महामारी के दौरान 14.97 लाख प्रवासी श्रमिक अपने गृह राज्यों को लौट गए थे।
जिन शीर्ष दस जिलों से श्रमिकों ने वापसी की थी, वे लगभग वही जिले हैं जहां SIR डेटा में मतदाताओं की संख्या में सबसे ज्यादा कमी देखी गई है। महामारी के दौरान सबसे ज्यादा पलायन सूरत और अहमदाबाद से ही हुआ था।
अहमदाबाद कलेक्ट्रेट के एक अधिकारी ने बताया, “जब बीएलओ (BLO) ने पड़ोसियों से स्थायी रूप से स्थानांतरित मतदाताओं के बारे में पूछताछ की, तो पता चला कि दूसरे राज्यों के अधिकांश श्रमिक, जो कोविड-19 के दौरान अपने गृहनगर चले गए थे, वे वोटर कार्ड पर दर्ज पते पर वापस नहीं लौटे हैं।”
अधिकारी ने यह भी जोड़ा कि उत्तर भारत के राज्यों से बड़ी संख्या में श्रमिक अनुबंध (Contract) पर उद्योगों और निर्माण स्थलों पर काम करने आते हैं और अनुबंध अवधि समाप्त होने पर वापस चले जाते हैं।
आगामी रुझान और आंकड़े
मौजूदा SIR के आंकड़ों पर टिप्पणी करते हुए, राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी हरेत शुक्ला ने कहा, “एक संभावना यह भी है कि स्थानांतरित मतदाता निर्वाचन क्षेत्र के भीतर या राज्य के अन्य निर्वाचन क्षेत्रों में नए पते पर चले गए हों और उन्होंने अपने EPIC (वोटर आईडी) में संशोधन न कराया हो।”
दिलचस्प बात यह है कि तमाम उथल-पुथल के बावजूद, गुजरात में 2017 और 2022 के विधानसभा चुनावों के बीच मतदाताओं की संख्या में 49 लाख की बढ़ोतरी हुई थी। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, 2017 में गुजरात में मतदाताओं की संख्या 4.35 करोड़ थी, जो 2022 में 11% बढ़कर 4.84 करोड़ हो गई।
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