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ड्रैगन से बाहर दुनिया को लुभा रहे हैं गुजरात के उद्योग

| Updated: September 12, 2022 2:52 pm

चीनी निर्माताओं से कड़ी प्रतिस्पर्धा (Stiff competition) गुजरात सहित भारतीय उद्योगों के लिए अभिशाप बनी हुई है। वैसे पिछले एक साल से वैश्विक खिलाड़ी (global players) चीन + 1 रणनीति को अपनाकर औद्योगिक खरीद (industrial procurements) के लिए चीन से बाहर के विकल्पों पर नज़र गड़ाए हुए हैं। भारत में केंद्र और राज्य सरकारों ने विनिर्माण (manufacturing) को प्रोत्साहित करने वाली कई नीतियों की घोषणा की है और स्थानीयता को बढ़ावा दे रहे हैं। इससे स्थायनीय खिलाड़ी अपने उत्पाद पोर्टफोलियो (product portfolios) में विविधता ला रहे हैं। ऐसे समय में जब विनिर्माण प्रभावित हो रहा है, क्योंकि चीन के कुछ हिस्सों में सूखे के साथ सख्त तालाबंदी जारी है, तो उद्यमी निर्यात ऑर्डर बढ़ाने के अवसर खोज रहे हैं।

गुजरात चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (GCCI) के अध्यक्ष पथिक पटवारी कहा, “भारतीय निर्माताओं को वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं से बचाने के लिए, आयात निर्भरता को कम करने और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए उद्योग और सरकार एक साझे एजेंडे पर चल रहे हैं। इसके लिए केंद्र हाल ही में शुरू की गई उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजनाओं के हिस्से के रूप में उपायों की घोषणा कर रहा है।” उन्होंने कहा, “इसके मद्देनजर निर्माता उत्पाद की गुणवत्ता में सुधार कर रहे हैं, लागत कम कर रहे हैं, और वैश्विक मांग (global demand) के अनुरूप आवश्यकतानुसार विविधता (diversifying) ला रहे हैं।”

उद्योग जगत के नेताओं के मुताबिक, यहां तक कि जिन निर्यातकों ने चीन से खरीदारी करना बंद कर दिया है या अपनी घरेलू आपूर्ति श्रृंखला (domestic supply chains) के एक महत्वपूर्ण हिस्से को वहां से दूर ले गए हैं, वे भी भारत को एक संभावित सोर्सिंग बाजार (sourcing market) के रूप में देख रहे हैं। यह परिधान, विशेष रसायन, फार्मास्यूटिकल्स, ऑटो घटकों और सौर पीवी (apparel, specialty chemicals, pharmaceuticals, auto components, and solar PVs) जैसे क्षेत्रों के लिए सही है।

प्याज, मूंगफली के निर्यात में वृद्धि

चीन के कुछ हिस्सों में भयंकर सूखा और गर्मी है। इससे नौ प्रांतों में लगभग 2 मिलियन हेक्टेयर कृषि भूमि सूख गई है। इससे प्याज, मूंगफली, आलू और हरी सब्जियों की फसल प्रभावित हुई है। चीन का नुकसान गुजरात का फायदा है। कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (APEDA) के अनुसार, गुजरात से प्याज का निर्यात 2021-22 में 84,782 मीट्रिक टन था। अब 2022-23 की पहली तिमाही में ही 25,540 मीट्रिक टन निर्यात (export) की सूचना दी गई।

ऑल इंडिया वेजिटेबल डिहाइड्रेशन एसोसिएशन के अध्यक्ष (president, All India Vegetables Dehydration Association) मनोज राम ने कहा, “सूखे प्याज का निर्यात यूरोप से मांग के कारण 15-20% बढ़ा है। लहसुन और प्याज की मांग (demand for garlic and onions) बढ़ रही है। गुजरात स्टेट एडिबल ऑयल्स एंड ऑयलसीड्स एसोसिएशन (GSEOA) के अध्यक्ष समीर शाह ने कहा, “2020-21 में चीन में बाढ़ के कारण गुजरात से मूंगफली तेल का निर्यात (groundnut oil expo) 2. 25 लाख मीट्रिक टन को पार कर गया। उन्होंने आगे कहा, “इस साल हम और अधिक व्यापार की उम्मीद कर रहे हैं। अक्टूबर-नवंबर सीजन से पहले ही खोजबीन शुरू हो गई है। हमें मूंगफली की अच्छी मांग की उम्मीद है और 6 लाख टन के आंकड़े को पार करने की उम्मीद है। यूरोपीय, अफ्रीकी, खाड़ी और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों से दोनों उत्पादों की मांग में वृद्धि की उम्मीद है।

आरएमजी (RMG) के निर्यात में उछाल

यूरोप और अमेरिका के प्रमुख कपड़ा और परिधान ब्रांड रेडीमेड गारमेंट्स (RMG) की सोर्सिंग में चीन से दूर जाने से भारतीय निर्माताओं को फायदा हो रहा है। कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन टेक्सटाइल इंडस्ट्री (CITI) के आंकड़ों के अनुसार, 2021 में इसी अवधि की तुलना में अप्रैल से अगस्त 2022 तक RMG निर्यात 17% बढ़ा। क्लॉथ मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (CMAI) के मुख्य संरक्षक राहुल मेहता ने कहा, “चाहे शिनजियांग प्रांत से खरीद बंद करना हो या वैकल्पिक सोर्सिंग पार्टनर ढूंढना हो, वैश्विक ब्रांड चीन से बाहर जाने पर विचार कर रहे हैं।”

उन्होंने कहा, “भारतीय, विशेष रूप से गुजरात स्थित RMG के निर्माता लाभ उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि पहली तिमाही में निर्यात में वृद्धि ने भारत में रुचि बढ़ाई है।” हालांकि, मेहता ने स्वीकार किया कि भारत में श्रम लागत में वृद्धि (rise in labour costs) और कपास की आसमान छूती कीमतें (skyrocketing cotton prices) भारतीय निर्माताओं के लिए मांग में वृद्धि का लाभ उठाने में बड़ी बाधा साबित हो रही हैं। उन्होंने कहा, “एक बार ताजा कपास की फसल आने और कीमतों का दबाव शांत होने के बाद स्थिति काफी हद तक कम हो जाएगी। सरकार पीएलआई योजना और पार्कों के माध्यम से संचालन के पैमाने में सुधार के मुद्दे को देख रही है।”

बढ़ती स्थानीय क्षमताएं (Growing local capacities) विशेष रसायनों के निर्यात को बढ़ावा देती हैं

गुजरात स्थित विशेष रसायन कंपनियां (Gujarat-based specialty chemicals companies) बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा अपनाई गई चीन + 1 रणनीति द्वारा समर्थित, कोरोना महामारी के बाद से निर्यात संबंधी खोजबीन में वृद्धि दर्ज कर रही हैं। राज्य में कई रसायन निर्माण इकाइयां हैं और बदलती वैश्विक अर्थव्यवस्था आने वाले वर्षों में भारतीय रसायन क्षेत्र को लाभान्वित करेगी। सीआईआई गुजरात के पूर्व अध्यक्ष विनोद अग्रवाल ने कहा, “गुजरात स्थित विशेष रसायन निर्माण कंपनियों ने पिछले तीन वर्षों में हमारे वैश्विक ग्राहकों के लिए कई उत्पादों की आपूर्ति शुरू कर दी है। ऊर्जा की ऊंची कीमतों के कारण यूरोपीय देश दबाव में हैं।”

अग्रवाल ने कहा, “इसलिए अन्य वैश्विक खिलाड़ी ‘यूरोप + 1’ दृष्टिकोण (‘Europe+1’ approach) की ओर रुख कर रहे हैं। यहां स्थानीय क्षमता बढ़ने से निर्माताओं को नए ऑर्डर मिल रहे हैं। वैश्विक कंपनियों की आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधक अपनी खरीद में विविधता लाने के लिए काम कर रहे हैं और भारत उनका पहला विकल्प है। वैश्विक स्तर पर रसद लागत (Logistics costs) में वृद्धि हुई है। इसलिए भारत एक लाभ में है, क्योंकि अधिकतर यूरोपीय कंपनियों ने भारत से सोर्सिंग शुरू कर दी है।

API में संभावनाएं बढ़ीः

चीन पर अपनी आयात निर्भरता को कम करने के लिए गुजरात की दवा कंपनियों ने गंभीरता से ध्यान केंद्रित किया है। स्थानीय रूप से सक्रिय दवा सामग्री (API) के निर्माण में निवेश बढ़ा है। गुजरात कम से कम 5,000 दवा निर्माण इकाइयों का घर है। API के निर्माण में क्षमता और प्रौद्योगिकी जोड़ने से गुजरात के फार्मा उद्योग-एक प्रमुख वैश्विक आपूर्तिकर्ता- को आत्मनिर्भर बनने में मदद मिलेगी। उद्योग के कारोबारियों ने कहा कि आत्मनिर्भरता गुजरात फार्मा क्षेत्र को API का वैश्विक आपूर्तिकर्ता बना देगी, जो वर्तमान में चीन के पास है।

IDMA के राष्ट्रीय अध्यक्ष विरांची शाह ने कहा, “पीएलआई-आई और पीएलआई-द्वितीय योजनाओं (PLI-I and PLI-II schemes) के तहत API के लिए अणुओं (molecules) की पहचान की जा सकती है, जिन्हें प्रोत्साहन दिया जा सकता है। उन्होंने आगे कहा, “API में महत्वपूर्ण निवेश चल रहा है और जमीन और मशीनरी पहले से ही खरीदी जा रही है। उद्योग जगत की कंपनियों के मुताबिक, छह महीने पहले प्लांट लगाने की प्रक्रिया शुरू हुई थी। गुजरात में कम से कम 200 फार्मा कंपनियों ने कोविड -19 के प्रकोप के बाद से API निर्माण में निवेश किया है। सूत्रों ने कहा कि अमेरिका और यूरोपीय संघ में कई फार्मा रिटेल कंपनियां आपूर्ति श्रृंखलाओं को चीन से दूर ले जाने के प्रयास कर रही हैं। इस लिहाज से भारत एक पसंदीदा सोर्सिंग बाजार है। एक सूत्र ने कहा, “अगले डेढ़ से दो साल में आयात संख्या में गिरावट और निर्यात में वृद्धि देखी जाएगी।”

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