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विश्व धरोहर: यूनेस्को की अस्थायी सूची में मोढेरा मंदिर और वडनगर शामिल

| Updated: December 21, 2022 10:44 am

भारत में तीन नए सांस्कृतिक स्थलों को यूनेस्को (UNESCO) की विरासत स्थलों की अस्थायी सूची में शामिल किया गया है। इनमें गुजरात में ऐतिहासिक वडनगर शहर, मोढेरा में प्रतिष्ठित सूर्य मंदिर और त्रिपुरा के उनाकोटी में पत्थरों पर बनाई गईं मूर्तियां शामिल हैं।  

केंद्रीय संस्कृति मंत्री जी किशन रेड्डी ने मंगलवार को इस सूचना को लेकर ट्वीट किया। उन्होंने तीनों स्थलों की तस्वीरें भी शेयर कीं। उन्होंने लिखा, ‘बधाई हो भारत! भारत ने यूनेस्को की अस्थायी सूची में तीन और स्थल जोड़े हैं: पहला, गुजरात का वडनगर बहुस्तरीय ऐतिहासिक शहर, दूसरा-मोढेरा का सूर्य मंदिर और इसके आस-पास के स्मारक और तीसरा-उनाकोटी जिले की उनाकोटी श्रृंखला में पत्थरों पर उकेरी गई मूर्तियां। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ((ASI) ) ने भी ट्वीट कर कहा कि इन तीनों जगहों को यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की अस्थायी सूची में जोड़ा गया है। एएसआई ने कहा है कि इनके यूनेस्को की अंतरिम सूची में जुड़ने से भारतीय सांस्कृतिक विरासत को बहुत बढ़ावा मिलेगा। यूनेस्को ने भारत में अब त 52 जगहों को अपली लिस्ट में शामिल किया है।

पिछले साल एएसआई ने 6 जगहों के नाम दिए थे। इनमें सतपुड़ा का टाइगर रिजर्व, वाराणसी का रिवरफ्रंट, हीरेबेंकल की मेगाथिलिक साइट, महाराष्ट्र में मराठा सैन्य छावनी, नर्मदा वैली का भेडाघाट और कांचीपुरम शामिल था। बता दें कि यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल करने के लिए हर साल नामांकन अस्थायी स्थलों की सूची से भेजा जाता है। साइट का चुनाव केंद्र सरकार करती है।

मोढेरा का सूर्य मंदिर मेहसाणा जिले के बेचाराजी तालुका में रूपन नदी की सहायक नदी पुष्पावती के बाएं किनारे पर है। मंदिर के बारे में कहा गया है कि यह मारू-गुर्जर स्थापत्य शैली में बनाया गया है। इसमें मुख्य मंदिर (गर्भगृह), एक गढ़मंडप (हॉल), एक बाहरी हॉल या असेंबली हॉल और पवित्र पूल (कुंडा) शामिल हैं, जिसे अब रामकुंड कहा जाता है। यह पूर्वमुखी मंदिर चमकीले पीले बलुआ पत्थर से बनाया गया है।

वडनगर एक ऐतिहासिक शहर है। इसका 2,700 से अधिक वर्षों का इतिहास है। यह समय के साथ विकसित हुआ है। यहां प्राचीन कालीन बौद्ध गुफाएं और 10वीं शताब्दी में सोलंकी शासकों द्वारा बनाए गए स्मारक हैं। प्राचीन गुजरात में कई बौद्ध केंद्र भी थे जो सातवीं शताब्दी के बताए जाते हैं। इसमें वल्लभी नाम का हिनायन बौद्ध विश्वविद्यालय काफी प्रचलित था। साथ ही खंबालिया, तलाजा, सना, सियोत और काडिया डंगर में कई बौद्ध गुफाएं यहां थीं।

इस समय वडनगर शहर करीब 7 से 30 मीटर ऊंची एक पहाड़ी पर स्थित है, जो कि वास्तव में एक काफी बड़ा कृत्रिम टीला है। वडनगर शर्मिष्ठ झील के किनारे बसा है, जो यहां की प्रसिद्ध झील है। यह आंतरिक बंदरगाह, शेल और बीड उद्योगों का केंद्र,  मंदिरों का शहर, व्यापार मार्गों पर एक महत्वपूर्ण जंक्शन और व्यापारिक शहर है।

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