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बीमा करने वाले ने मृत व्यक्ति के अवशेषों को भारत लाने के लिए मांगे पैसे

| Updated: February 8, 2023 1:53 pm

यदि बीमा लेने वाले की विदेश यात्रा के दौरान मृत्यु हो जाती है, तो बीमा करने वाले को  प्रत्यावर्तन खर्च (repatriation expenses) देना पड़ता है। भले ही उसने बीमा लेते समय अपनी पुरानी मेडिकल स्थिति का खुलासा न किया हो।

वड़ोदरा जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग-अतिरिक्त (district consumer disputes redressa-additional) ने एक बीमा कंपनी को आदेश दिया है कि मृतक (deceased) के अवशेष को भारत ले जाने के लिए उसके परिवार को सिंगापुर के 3,978 डॉलर यानी लगभग 2.5 लाख रुपये का भुगतान किया जाए।

मफतलाल चौहान के परिवार ने तब ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड और एक ट्रैवल फर्म के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी, जब बीमा कंपनी ने उनके दावे को खारिज कर दिया था। चौहान ने मार्च 2010 में सिंगापुर की यात्रा के दौरान विदेश यात्रा बीमा लिया था। वहां रहने के दौरान चौहान की इस्केमिक हृदय रोग (ischemic heart disease) से मृत्यु हो गई थी। उनके अवशेषों (remains) को अंतिम संस्कार के लिए भारत लाया गया था।

चौहान के परिवार ने उनके पार्थिव शरीर को देश वापस लाने के खर्च के लिए दावा किया। हालांकि, बीमा कंपनी ने यह कहते हुए दावे को खारिज कर दिया कि चौहान को पहले से दिल की बीमारी थी और यात्रा बीमा कवर लेते समय इसका खुलासा नहीं किया था।

कंपनी ने कहा कि पॉलिसी पिछली बीमारियों के बारे में पहले ही नहीं बताए जाने के कारण मेडिकल खर्चों का भुगतान नहीं करती है। चौहान की पत्नी सुधा और बेटे विक्रमसिंह ने 2012 में उपभोक्ता फोरम में शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने व्यक्तिगत दुर्घटना कवर के लिए 25,000 डॉलर और स्वदेश वापसी के खर्च के लिए 3,978 डॉलर की मांग की।

बीमा कंपनी और अन्य ने तब मृतक के मेडिक्लेम के लिए एक अन्य बीमाकर्ता से पेरक्यूटेनियस ट्रांसलूमिनल कोरोनरी एंजियोप्लास्टी (PTCA)  के बारे में कैशलेस प्रोसेस पेपर पेश किए, ताकि यह साबित हो सके कि मृतक को पहले से ही हृदय रोग था। लेकिन मृतक के बेटे ने अपने जवाब में कहा कि उन्हें ऐसी किसी मेडिक्लेम पॉलिसी या पीटीसीए के कथित इलाज की जानकारी नहीं है।

फोरम ने पाया कि प्रत्यावर्तन लाभों (repatriation benefits) के लिए केवल भारत के बाहर बीमाधारक की मृत्यु और खर्च का प्रमाण प्रासंगिक (relevant) है। फोरम ने दावा खारिज करने के कारणों को अन्यायपूर्ण और मनमाना पाते हुए बीमा कंपनी को शिकायत दर्ज करने की तारीख से भुगतान की तारीख तक नौ प्रतिशत ब्याज के साथ 3,978 डॉलर का भुगतान करने का आदेश दिया।

बीमा कंपनी को मुकदमे के खर्च के लिए 10,000 रुपये और शिकायतकर्ता को मानसिक परेशानी के लिए 10,000 रुपये का अतिरिक्त भुगतान करना होगा।

शिकायतकर्ता ने व्यक्तिगत दुर्घटना के दावे के लिए 25,000 डॉलर की मांग भी की थी, लेकिन फोरम ने यह कहकर इसे स्वीकार नहीं किया कि चौहान की मृत्यु इस्केमिक हृदय रोग से हुई और इसे आकस्मिक मृत्यु (accidental death) नहीं माना जा सकता।

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