कांति भट्ट गुजराती के अग्रणी पत्रकार और लेखक थे। इसलिए उनकी विरासत को जीवित रखने के लिए अनूठी पहल की गई है। स्वर्गीय कांति भट्ट की पत्नी सीनियर पत्रकार और संपादक शीला भट्ट और प्रसिद्ध गुजराती लेखिका मधु राई ने उनकी याद में लोगों के लिए एक बेमिसाल स्मारक (memorial) और वाचनालय (reading room) समर्पित किया है। इनमें भट्ट के सभी कार्यों को संग्रहीत किया गया है। इसके लिए अहमदाबाद में एक कार्यक्रम किया गया था।
मेमोरियल खानपुर क्षेत्र में भारतीय विद्या भवन के हरिलाल भगवती संचार और प्रबंधन संस्थान (HBICM) में है। इसमें कांतिभाई की 1,600 से अधिक पुस्तकों का व्यक्तिगत संग्रह और उनके 16,000 से अधिक प्रकाशित लेखों के साथ-साथ उनके कुछ निजी सामान भी हैं।
कांतिभाई का लेखन करियर लगभग पांच दशकों तक फैला है। उन्होंने 1970 में लिखना शुरू किया और 2019 तक बिना रुके इसे जारी रखा, जब उनका निधन हो गया। उन्होंने मुख्य रूप से कांति भट्ट के रूप में ही लिखा है। वैसे कई उपनामों (pen names) से भी काफी कुछ लिखा है। स्थानीय, राष्ट्रीय और वैश्विक मामलों पर सटीक जानकारी और तीखे दृष्टिकोण के लिए उनके कॉलम और लेख दशकों से दुनिया भर के गुजराती पाठकों के लिए पसंदीदा रहे। उन्होंने खेल, मनोरंजन और यात्रा जैसे विभिन्न विषयों पर भी लिखा।
उन्होंने और उनकी पत्नी शीला भट्ट ने संयुक्त रूप से सबसे लोकप्रिय गुजराती पत्रिकाओं में से एक अभियान लॉन्च किया था। कांतिभाई ने 50 से अधिक पुस्तकें लिखी हैं। अपनी ईमानदारी और सत्यनिष्ठा के लिए और बहुत तीखे और कठोर लेख लिखने के लिए जाने जाने वाले कांति भट्ट अपने जीवनकाल में बहुत ऊंचाई तक पहुंचे।
कांति भट्ट जैसे कद के पत्रकार के लिए मेमोरियल को उपयुक्त श्रद्धांजलि बताते हुए शीला भट्ट ने भारतीय विद्या भवन की पहल की सराहना की। उन्होंने दर्शकों और समाज में बड़े पैमाने पर इस मॉडल को दोहराने और महान पत्रकारों और लेखकों के जीवित स्मारक बनाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, “किताबें उनके बहुत करीब थीं। मुझे यकीन है कि अपने अंतिम क्षणों में उन्होंने सोचा होगा कि उनकी किताबों और उनके लेखन का क्या होगा। अब उनकी आत्मा को शांति मिल सकती है।”
जनता के लिए मेमोरियल प्रसिद्ध गुजराती लेखक और नाटककार मधु राई ने समर्पित किया। उन्होंने कांति भट्ट को मिली भारी लोकप्रियता और सफलता के बारे में बताया, जो कई कुशल लेखकों के लिए भी दुर्लभ था।
मेमोरियल क्यूरेटर और भवन के राजेंद्र प्रसाद इंस्टीट्यूट ऑफ कम्युनिकेशन एंड मैनेजमेंट (RPICM) के निदेशक सीनियर पत्रकार और संपादक श्याम पारेख ने कहा, “कांतिभाई की पूरी विरासत को इस सार्वजनिक संस्थान को सौंपना वास्तव में शीलाबेन की एक बड़ी पहल है। इसे सभी के लिए सुलभ बनाना है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में कांतिभाई के प्रकाशित लेख डिजीटल हो रहे हैं और अंततः ऑनलाइन उपलब्ध होंगे।”
इस अवसर पर भवन के अहमदाबाद केंद्र के अध्यक्ष मुकेश पटेल और सचिव प्रकाश भगवती ने इस स्मारक की स्थापना में मदद के लिए शीलाबेन का धन्यवाद किया। भवन के कोषाध्यक्ष गौरव शाह ने कहा कि कांति भट्ट जैसी क्षमता वाले पत्रकार को यही सच्ची श्रद्धांजलि है।
कांतिभाई की बहन इंदिराबेन व्यास ने युवा कांतिभाई के रूप में उनकी यादें ताजा कीं, जिन्हें किताबों और पढ़ने से गहरा लगाव था। स्मारक में कांतिभाई के निजी संग्रह की लगभग 1,600 पुस्तकें हैं। यह स्मारक पत्रकारिता और अन्य विषयों के छात्रों के लिए व्याख्यान कक्ष (lecture hall) और क्लास रूम के रूप में भी काम करेगा। कांति भट्ट द्वारा लिखे गए लगभग 16,000 लेखों को यहां डिजिटाइज और संरक्षित किया जा रहा है।
स्मारक सोमवार से शुक्रवार तक दोपहर 12 बजे से शाम 6 बजे के बीच खुला रहेगा। इसके लिए कोई पैसा नहीं लगेगा। जो लोग पुस्तकों और लेखों के संग्रह तक पहुंचना चाहते हैं, वे केयूर धानदेव से +91 –7435012121 पर संपर्क कर सकते हैं।
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