बढ़ रहे हैं लैब में तैयार हीरों के खरीदार

Gujarat News, Gujarati News, Latest Gujarati News, Gujarat Breaking News, Gujarat Samachar.

Latest Gujarati News, Breaking News in Gujarati, Gujarat Samachar, ગુજરાતી સમાચાર, Gujarati News Live, Gujarati News Channel, Gujarati News Today, National Gujarati News, International Gujarati News, Sports Gujarati News, Exclusive Gujarati News, Coronavirus Gujarati News, Entertainment Gujarati News, Business Gujarati News, Technology Gujarati News, Automobile Gujarati News, Elections 2022 Gujarati News, Viral Social News in Gujarati, Indian Politics News in Gujarati, Gujarati News Headlines, World News In Gujarati, Cricket News In Gujarati

बढ़ रहे हैं लैब में तैयार हीरों के खरीदार

| Updated: January 30, 2023 19:28

रूस द्वारा पिछले साल यूक्रेन पर हमला करने के बाद से दुनिया भर में तनाव बढ़ा हुआ है। इससे व्यापारिक मार्ग (trade routes) और बिजनेस बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। प्रतिबंधों का मतलब उत्पादन का घटना और मांग का लगभग बंद हो जाना है। यह हीरे के मामले में विशेष रूप से सच है। इसलिए कि रूस आगे की पॉलिशिंग के लिए खनन किए गए अनकट (mined uncut) स्टोन काफी अधिक मात्रा में भेजता है।

इस तरह सूरत के हीरों की चकाचौंध छिन गई है। नवंबर में लगभग 5,000 हीरा चमकाने वाले कारीगरों को आर्थिक मंदी के कारण वर्कशॉप को बंद करने के बाद शहर भर में अपनी नौकरी गंवाने का अनुमान था। सूरत में लगभग 4,000 इकाइयां हैं जो अपरिष्कृत (unsophisticated) हीरों को तैयार टुकड़ों में काटती और पॉलिश करती हैं। उन्हें यह काम बड़े हीरा व्यापारियों से मिलता है, जिनमें विदेशों में स्थित लोग भी शामिल हैं। दरअसल दुनिया के 90% हीरे सूरत में तराशे और पॉलिश किए जाते हैं। हीरा तराशने और उसकी इकाइयों में कुल मिलाकर लगभग 8 लाख लोग कार्यरत हैं।

रत्न और आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद ((GJEPC) से प्राप्त प्रोविजनल डेटा से पता चलता है कि देश के कटे और पॉलिश किए गए हीरे (CPD) का निर्यात वित्त वर्ष 2021-22 में 1.8 लाख करोड़ रुपये का था, जो 2.91 लाख करोड़ रुपये क रत्न और आभूषण निर्यात बड़ा हिस्सा है। अप्रैल से दिसंबर 2022 तक  CPD निर्यात 1.24% गिरकर 1.32 लाख करोड़ रुपये हो गया, जो पिछली समान अवधि में 1.33 लाख करोड़ रुपये था।

दिसंबर 2022 में रत्न और आभूषण निर्यात 11.25% घटकर 19,432 करोड़ रुपये रह गया, जो दिसंबर 2021 में 21,896 करोड़ रुपये था।

जीजेपीईसी के अध्यक्ष विपुल शाह ने कहा: “उद्योग पर महंगाई की मार पड़ी हुई है। ऊपर से अमेरिका में मंदी की आशंका है। चीन के साथ भारत के राजनयिक संबंधों का भी आंकड़ों पर असर पड़ता है।”

मांग के अब तक के निचले स्तर पर पहुंचने के साथ सूरत में कई इकाइयां अपने कारोबार को छोटा करने पर विचार कर रही हैं। सूरत डायमंड एसोसिएशन के अध्यक्ष नानूभाई वेकार्य के अनुसार: “हम उत्पादन में कटौती और काम के घंटे कम करने के बारे में जानते हैं। इसकी वजह अपरिष्कृत (unrefined) हीरों का कम आना है। हालांकि, बड़े पैमाने पर छंटनी या इकाइयों को बंद करने की रिपोर्ट को जांचने की जरूरत है।”

जीजेपीईसी क्षेत्रीय परिषद के सदस्य दिनेश नवदिया हीरे के कमजोर व्यापार के बारे में कहते हैं: “हमने 2021 में एक नाटकीय वृद्धि देखी। फिर आया रूस-यूक्रेन युद्ध, जिसकी देन हुई मंदी। चढ़ाव और उतार के कारण एकदम अलग थे। इसका सबसे बुरा असर उन कारीगरों पर पड़ा है, जो मांग के आधार पर कमीशन पर काम करते हैं।”

इस बीच, एकमात्र उम्मीद की किरण प्रयोगशाला में विकसित हीरे (LGD) की मांग में वृद्धि लगती है। भारत में LGD निर्यात अप्रैल से दिसंबर 2022 तक 54% बढ़कर 10,587 करोड़ रुपये हो गया, जबकि 2021 में इसी अवधि में यह 6,865 रुपये था।

जब तक यूरोप में युद्ध जारी रहेगा, तब तक रूस के अलरोसा (जो वैश्विक आपूर्ति के एक चौथाई से अधिक के लिए जिम्मेदार है) से बिना तराशे हीरे की आपूर्ति संदिग्ध बनी हुई है।

ज्वेलर्स एसोसिएशन ऑफ अहमदाबाद के पूर्व सचिव निशात सोनी के मुताबिक, “यह 60% सस्ता भी है। ग्राहकों में विश्वास को बढ़ावा देने के लिए ज्वैलर्स ने उसी पर बाय-बैक नीतियां बनाई हैं। जबकि यह पारखी लोगों का सबसे अच्छा दोस्त नहीं हो सकता है। लैब में तैयार हीरों के ग्राहक यकीनन बढ़ रहे हैं और इसलिए उद्योग के लिए यह सबसे अच्छी बात है।” 

Also Read: गुजरात के गन्ना मजदूरों की कड़वी सच्चाई

Your email address will not be published. Required fields are marked *