भारत के शीर्ष बाजार नियामक, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (Securities and Exchange Board of India-सेबी) ने आरोपों का खंडन कर कहा है कि वह 2016 से अडानी समूह की जांच कर रहा है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) को सौंपे गए हलफनामे में सेबी ने कहा कि उसने 51 कंपनियों द्वारा ग्लोबल डिपॉजिटरी रिसिप्ट (जीडीआर) जारी करने की जांच की थी, लेकिन अडानी समूह (Adani Group) की कोई भी सूचीबद्ध कंपनी इनमें से नहीं थी। सेबी ने भी मामले में “समय से पहले और गलत निष्कर्ष” के प्रति आगाह किया और न्याय सुनिश्चित करने के लिए छह महीने के विस्तार का अनुरोध किया।
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सेबी (SEBI) को हिंडनबर्ग रिपोर्ट (Hindenburg report) से पहले और बाद में अडानी ग्रुप (Adani Group) पर किसी तरह के उल्लंघन की जांच दो महीने के भीतर करने का निर्देश दिया था। इसने निवेशकों की सुरक्षा के लिए भारत के नियामक तंत्र को देखने के लिए डोमेन विशेषज्ञों (domain experts) का एक पैनल भी नियुक्त किया था, जिसने इस सप्ताह की शुरुआत में अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपी थी। सेबी ने छह महीने का विस्तार मांगा, जिसे सुप्रीम कोर्ट तीन महीने में अपेक्षित निर्णय में स्वीकार कर सकता है।
सेबी (SEBI) के वकील ने कहा कि यह मामला सीमा पार क्षेत्राधिकार से जुड़ा है और इस पर कार्रवाई करने में समय लगेगा। फिलहाल, अडानी समूह (Adani Group) को याचिका पर सेबी की प्रतिक्रिया और सुप्रीम कोर्ट के संभावित विस्तार के संकेत से बड़ी राहत मिली है।
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