अहमदाबाद: क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (RTO) में उस वक्त हड़कंप मच गया जब ऑनलाइन लर्नर लाइसेंस टेस्ट से जुड़े एक बड़े और बेहद शातिर घोटाले का पर्दाफाश हुआ। यह मामला तब सामने आया जब दो आवेदकों ने टेस्ट के 10 सवालों के सही जवाब क्रमशः सिर्फ 22 और 27 सेकंड में दे दिए, जिसने अधिकारियों को हैरान कर दिया।
सरकारी नियमों के अनुसार, हर एक सवाल का जवाब देने के लिए 30 सेकंड का समय निर्धारित है।
इस सनसनीखेज खुलासे के बाद अब राज्यव्यापी जांच के आदेश दे दिए गए हैं। आशंका जताई जा रही है कि ड्राइविंग लाइसेंस सेवाओं के लिए बनाए गए आधिकारिक सरकारी प्लेटफॉर्म ‘सारथी परिवहन पोर्टल’ का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग किया गया है।
चिंता की बात यह है कि इस तरीके का इस्तेमाल करके पूरे भारत में कई आवेदकों ने धोखाधड़ी से अपना लर्नर लाइसेंस हासिल कर लिया होगा।
शक की सुई कैसे घूमी?
यह पूरा मामला तब पकड़ में आया जब अधिकारियों ने देखा कि आवेदक 15 में से 10 अनिवार्य सवालों के सही जवाब आधे मिनट से भी कम समय में दे रहे हैं। जबकि सरकारी नियम हर सवाल के लिए 30 सेकंड का वक्त देता है, यानी पूरे टेस्ट के लिए काफी समय होता है।
इतने कम समय में परीक्षा पास करना असंभव सा लगा, जिससे RTO अधिकारियों के कान खड़े हो गए। मामले की गंभीरता को देखते हुए सोमवार को परिवहन आयुक्त (COT) कार्यालय में एक बैठक हुई, जिसके बाद जांच शुरू कर दी गई।
अधिकारियों ने लिया तुरंत एक्शन
परिवहन विभाग के प्रमुख सचिव, रमेश चंद मीणा ने इस मामले पर कहा, “मैं राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (NIC) के अधिकारियों को तलब करूंगा ताकि यह पता लगाया जा सके कि सिस्टम के साथ इस तरह की छेड़छाड़ कैसे की जा सकती है।” आपको बता दें कि NIC ही इस पोर्टल के तकनीकी ढांचे का प्रबंधन करती है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह भी बताया कि फील्ड पर मौजूद अधिकारियों ने पहले ही ‘सारथी परिवहन पोर्टल’ के साथ छेड़छाड़ की आशंकाओं के बारे में सूचित किया था।
कैसे दिया जाता था इस हाई-टेक फ्रॉड को अंजाम?
अधिकारियों के अनुसार, यह धोखाधड़ी ब्राउज़र में मौजूद डेवलपर टूल का इस्तेमाल करके की जा रही थी। एक व्यक्ति ने ऑनलाइन लर्नर लाइसेंस टेस्ट को धोखा देने का यह तरीका खोज निकाला था।
- सबसे पहले, धोखेबाज
sarathi.parivahan.gov.inपर लॉग इन करता था। - इसके बाद, ब्राउज़र में एक विशेष रूप से तैयार किया गया गलत URL पेस्ट करके जानबूझकर एक ‘404 एरर’ पैदा किया जाता था। एक RTO अधिकारी ने बताया, “इस गलत URL से टेस्ट का सामान्य फ्लो बाधित हो जाता था।”
- इसके तुरंत बाद, ब्राउज़र के डेवलपर कंसोल के माध्यम से एक जावास्क्रिप्ट कोड सिस्टम में डाला जाता था।
- अधिकारी ने आगे बताया, “यह जावास्क्रिप्ट कोड टेस्ट के आंतरिक डेटा तक पहुंच बना लेता था और वेबसाइट के नेटवर्क सेक्शन में सभी बहुविकल्पीय प्रश्नों (MCQs) के सही उत्तर तुरंत दिखा देता था।”
गुजरात से बाहर भी फैले हो सकते हैं घोटाले के तार
अधिकारियों का मानना है कि यह धोखाधड़ी सिर्फ गुजरात तक ही सीमित नहीं है। देश भर में, खासकर हिंदी में परीक्षा देने वाले आवेदकों ने इस तरीके का फायदा उठाया हो सकता है। सूत्रों ने बताया कि इस तरीके को समझाते हुए एक वीडियो लिंक भी सर्कुलेट किया गया था, जिससे इस सिस्टम का दुरुपयोग और भी बड़े पैमाने पर हुआ।
एक RTO अधिकारी ने यह भी बताया, “इस धोखाधड़ी के तरीके को ईजाद करने वाले डेवलपर ने कथित तौर पर हर टेस्ट के लिए ₹20 का शुल्क लिया, जिससे एजेंटों को धोखाधड़ी से मदद चाहने वाले आवेदकों से अतिरिक्त फीस वसूलने का मौका मिल गया।”
फिलहाल अधिकारी इस बात की भी जांच कर रहे हैं कि क्या इस स्क्रिप्ट का इस्तेमाल करने के बाद चेहरे की पहचान (Face Recognition) जैसी अन्य सुरक्षा सुविधाओं को भी दरकिनार किया गया था।
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