अहमदाबाद: दिवाली की रोशनी के साथ विक्रम संवत 2082 का आगाज़ हो रहा है और निवेशक बीते साल के अपने निवेश पोर्टफोलियो का विश्लेषण कर रहे हैं। यह एक ऐसा साल रहा, जहाँ कीमती धातुओं की चमक ने इक्विटी बाज़ार के सितारों को भी फीका कर दिया। वैश्विक उथल-पुथल, युद्ध और मुद्राओं में भारी उतार-चढ़ाव के बीच सोने-चांदी के भाव ने आसमान छू लिया।
सोने का भाव ₹1,26,500 प्रति 10 ग्राम और चांदी का भाव ₹1,65,000 प्रति किलोग्राम तक पहुंच गया, जिससे निवेशकों को क्रमशः 54% और 68% का शानदार रिटर्न मिला। इस अनिश्चितता के दौर में आम परिवारों से लेकर केंद्रीय बैंकों तक, सभी ने सर्राफा बाज़ार में जमकर निवेश किया, जिसने इसे सबसे पसंदीदा संपत्ति बना दिया।
दूसरी ओर, लगातार चार सालों की शानदार तेजी के बाद भारतीय शेयर बाजार की रफ्तार पर ब्रेक लग गया। भारत की मजबूत आर्थिक बुनियाद के बावजूद, विदेशी निवेशकों ने सितंबर 2024 से सितंबर 2025 के बीच ₹3.5 लाख करोड़ की भारी निकासी की।
इसकी मुख्य वजह चीन द्वारा अप्रत्याशित रूप से अपने बाज़ारों को प्रोत्साहन देना और डोनाल्ड ट्रंप की अमेरिकी चुनाव में जीत रही, जिससे विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) ने अपना पैसा चीन और अमेरिका की ओर मोड़ दिया। 2025 के मध्य तक, अमेरिकी सरकार द्वारा भारतीय निर्यातों पर लगाए गए शुल्कों ने निवेशकों की धारणा को और कमजोर कर दिया।
हालांकि, घरेलू मोर्चे पर मजबूती ने बाजार को बड़े नुकसान से बचा लिया। सरकार ने 2025 के केंद्रीय बजट में ₹12 लाख तक की वार्षिक आय को कर-मुक्त कर दिया, जिससे आम परिवारों के हाथ में ₹1.2 लाख करोड़ की अतिरिक्त नकदी आई।
वहीं, RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने ब्याज दरों में तीन बार कटौती की, जिससे कर्ज लेना सस्ता हो गया। अगस्त 2025 में SIP के जरिए रिकॉर्ड ₹28,265 करोड़ का निवेश आया, जिसने बाजार को और गिरने से रोक लिया।
इसके बावजूद, बेंचमार्क इंडेक्स लगभग सपाट रहे; सेंसेक्स में 3.9% और निफ्टी में 4.4% की मामूली बढ़त दर्ज की गई। मिड-कैप फंड 3.5% बढ़े, जबकि कभी 30% का रिटर्न देने वाले स्मॉल-कैप फंड 1.82% की गिरावट के साथ बंद हुए।
वित्तीय सलाहकार जयेश विठलानी कहते हैं, “बाजारों में हलचल तो है, लेकिन अनिश्चितता के बादल भी मंडरा रहे हैं। निवेशक असमंजस में हैं। वे बाजार में हिस्सा तो ले रहे हैं, लेकिन उनमें कोई स्पष्ट विश्वास नहीं दिख रहा है। निवेश सोना, चांदी, और म्यूचुअल फंड में बंटा हुआ है, जो किसी एक दिशा में भरोसे की कमी को दिखाता है।”
उन्होंने यह भी बताया कि लोग गैर-जरूरी खर्चों को टाल रहे हैं और मौका मिलते ही मुनाफावसूली कर रहे हैं। हालांकि, SIP में लोगों का भरोसा बढ़ा है, जो अनिश्चितता के बीच भी निवेश जारी रखने का एक अनुशासित तरीका बन गया है।
सुरक्षित निवेश के तौर पर सोने-चांदी ने संभाली कमान
संवत 2081 को सोने और चांदी के साल के रूप में याद किया जाएगा। अक्टूबर 2025 की शुरुआत तक, सोने ने ₹1,26,500 प्रति 10 ग्राम और चांदी ने ₹1,65,000 प्रति किलोग्राम के स्तर को छू लिया। इन दोनों कीमती धातुओं ने 50% से अधिक का रिटर्न देकर बाकी सभी संपत्तियों को पीछे छोड़ दिया।
इंडिया बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन लिमिटेड (IBJA) के निदेशक हरेश आचार्य के अनुसार, “भू-राजनीतिक संकट और कमजोर डॉलर ने सोने-चांदी की तरफ लोगों का रुझान बढ़ाया। चांदी की मांग टेक और रिन्यूएबल एनर्जी जैसे उद्योगों में बढ़ने से भी उसे सहारा मिला, हालांकि ऊंची कीमतों के कारण त्योहारी और शादी की खरीदारी में कमी देखी गई।”
एक बड़ा बदलाव यह भी देखने को मिला कि अब निवेशक पारंपरिक गहनों के बजाय गोल्ड एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ETF) और सॉवरेन बॉन्ड पर नजर गड़ाए हुए हैं, जिससे यह साबित होता है कि सोना अब सिर्फ एक आभूषण नहीं, बल्कि एक शक्तिशाली निवेश बन गया है।
शेयर बाजार: तेजी से सुस्ती तक का सफर
सितंबर 2024 तक भारतीय शेयर बाजार दुनिया के अन्य बाजारों से बेहतर प्रदर्शन कर रहा था, लेकिन चीन के प्रोत्साहन पैकेज और ट्रंप की चुनावी जीत ने विदेशी निवेशकों को भारत से पैसा निकालने पर मजबूर कर दिया। इसके बाद, अमेरिका द्वारा जुलाई 2025 में 25% और अगस्त में अतिरिक्त 25% टैरिफ लगाने से भारतीय बाजार का आकर्षण और कम हो गया।
SIHL के एमडी तन्मय शाह ने कहा, “संवत 2081 में इक्विटी बाजार शानदार तेजी से एक सुधार के दौर में चला गया। सेंसेक्स और निफ्टी ने मामूली बढ़त हासिल की, लेकिन व्यापक बाजारों में तेज गिरावट देखी गई। अब संवत 2082 की दिशा FII के प्रवाह, कंपनियों की कमाई और सरकारी नीतियों पर निर्भर करेगी।”
मोनार्क नेटवर्थ कैपिटल लिमिटेड के एमडी वैभव शाह ने कहा, “वैश्विक तनाव और ट्रंप के टैरिफ ने मिडकैप को हिला दिया, लेकिन त्योहारी सीजन से पहले जीएसटी में दी गई राहत ने बाजार में थोड़ा उत्साह भरा।”
म्यूचुअल फंड की रफ्तार पर लगा ब्रेक
लगातार तीन साल की शानदार बढ़त के बाद संवत 2081 में म्यूचुअल फंड को भी झटका लगा। स्मॉल और मिड-कैप फंडों का प्रदर्शन निराशाजनक रहा। स्मॉल-कैप फंडों में 1.8% की गिरावट आई, जबकि मिड-कैप और फ्लेक्सी-कैप फंड मुश्किल से 2-3% का पॉजिटिव रिटर्न दे पाए।
लेकिन इस मुश्किल दौर में घरेलू निवेशकों ने बाजार को मजबूती से संभाला। अगस्त 2025 में मासिक SIP निवेश रिकॉर्ड ₹28,265 करोड़ पर पहुंच गया। इसके अलावा, नए फंड ऑफर्स (NFOs) और बीमा कंपनियों, पेंशन फंडों और EPFO द्वारा लगातार खरीदारी ने FII द्वारा की गई ₹3.5 लाख करोड़ की बिकवाली के असर को कम कर दिया।
आर्थम फिनोमेट्री के निदेशक मुमुक्षु देसाई के अनुसार, “यह साल इक्विटी म्यूचुअल फंड के लिए एक रियलिटी चेक था, लेकिन अनुशासित SIP और घरेलू संस्थानों की खरीदारी ने भारतीय बाजार की परिपक्वता को साबित किया।”
बैंक डिपॉजिट: एक स्थिर और सुरक्षित विकल्प
जब सोना चमक रहा था और शेयर बाजार डगमगा रहा था, तब बैंक डिपॉजिट ने निवेशकों को एक स्थिर विकल्प प्रदान किया। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा 2025 में तीन बार (फरवरी और अप्रैल में 0.25%, जून में 0.50%) की गई दर कटौती के बाद जमा पर ब्याज दरें लगभग 6.8% पर रहीं, जो रूढ़िवादी निवेशकों के लिए एक सुरक्षित विकल्प था।
राज्य-स्तरीय बैंकर्स समिति (SLBC) के आंकड़ों के अनुसार, गुजरात में बैंक जमा सितंबर 2024 के ₹12.68 लाख करोड़ से बढ़कर जून 2025 तक ₹13.37 लाख करोड़ हो गया, जो 5.4% की वृद्धि है। हालांकि, यह वृद्धि ऐतिहासिक मानकों से कम थी क्योंकि कई निवेशकों ने म्यूचुअल फंड और सोने में उच्च रिटर्न की तलाश की।
रियल एस्टेट: रफ्तार धीमी, पर उम्मीदें कायम
गुजरात में रियल एस्टेट हमेशा से पसंदीदा निवेश रहा है, लेकिन संवत 2081 में इसमें मिलाजुला रिटर्न मिला। रियल एस्टेट विशेषज्ञ मोनिल पारिख ने बताया, “प्रमुख और उभरते इलाकों में जमीन पर औसतन 20% से अधिक का रिटर्न मिला। हालांकि, ब्याज लागत और निर्माण सामग्री की बढ़ती कीमतों के कारण बने हुए मकानों और अपार्टमेंट की कीमतों में ज्यादा उछाल नहीं आया।”
एक डेवलपर कार्तिक सोनी के अनुसार, इस साल रीडेवलपमेंट सौदों में काफी चमक देखी गई। उन्होंने कहा, “अहमदाबाद की पुरानी संपत्तियों के मालिकों को अच्छे दाम मिले क्योंकि कई सोसाइटियों ने रीडेवलपमेंट का रास्ता चुना।” क्रेडाई (Credai) गुजरात के अध्यक्ष तेजस जोशी ने बताया कि कमर्शियल प्रॉपर्टी की मांग में भी सुधार हुआ है।
उन्होंने कहा, “प्रमुख शहरों में नए लॉन्च बढ़े हैं क्योंकि बड़े ब्रांड्स अपने शोरूम खोल रहे हैं और बैंकिंग व वित्तीय क्षेत्र अपने दफ्तरों का विस्तार कर रहा है। इससे कमर्शियल प्रॉपर्टी के किराये में 10-15% की बढ़ोतरी हुई है।”
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