अमेरिका के टेक्सास में रहने वाले एक कारोबारी डेनियल कीन को गणेश चतुर्थी पर भारतीयों के खिलाफ एक नफरती पोस्ट करना बेहद महंगा पड़ गया। कीन ने अपने इलाके से गुजर रहे गणेश चतुर्थी के जुलूस का एक वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट किया और साथ में लिखा, “हमें H-1B वीजा रद्द करना होगा। मैं चाहता हूँ कि मेरे बच्चे अमेरिका में बड़े हों, भारत में नहीं।”
देखते ही देखते यह पोस्ट वायरल हो गया और कीन को भारी विरोध का सामना करना पड़ा। मामला इतना बढ़ गया कि उनके परिवार के सदस्यों की निजी जानकारी सार्वजनिक (डॉक्सिंग) कर दी गई और उन्हें धमकियाँ मिलने लगीं। कीन ने यह भी बताया कि किसी ने खुद को लाखों भारतीय-अमेरिकियों का प्रतिनिधि बताकर उनसे $20,000 की उगाही करने की भी कोशिश की।
इस विवाद के बाद कीन की मुश्किलें लगातार बढ़ती गईं। उनकी कॉफ़ी शॉप ‘बाउंड्रीज़ कॉफ़ी’ पर लोगों ने झूठे और नकारात्मक रिव्यू देने शुरू कर दिए। उनके जिम ने उनकी सदस्यता रद्द कर दी। हद तो तब हो गई जब उनके चर्च ने भी उन्हें इस नफरती पोस्ट के लिए पश्चाताप करने को कहा और जब उन्होंने माफी मांगने से इनकार कर दिया, तो उन्हें चर्च से निकाल दिया गया।
‘मैं अपने बयान पर कायम हूँ’
एक समाचार संस्था से बात करते हुए कीन ने कहा कि उन्हें अपने पोस्ट पर कोई पछतावा नहीं है, क्योंकि उनका दावा है कि वह भारतीयों से नफरत नहीं करते।
उन्होंने कहा, “यह त्वचा के रंग या किसी और चीज़ के बारे में नहीं है। यह इस बारे में है कि आप अपने बच्चों के लिए कैसा देश छोड़ना चाहते हैं, और क्या आपको उन नीतियों पर आपत्ति जताने का अधिकार है जो मेरे बच्चों को प्रभावित कर रही हैं? यही मेरी चिंता थी।”
कीन ने आगे कहा, “मैं ज़मीनी स्तर पर नीति के प्रभाव के बारे में जागरूकता लाना चाहता था। मैं जान से मारने की धमकियाँ नहीं चाहता था।”
चर्च ने कहा, ‘पड़ोसी से प्यार करना सीखें’
कीन ने बताया कि ‘द ट्रेल्स चर्च’ ने उनके पोस्ट की सामग्री पर विचार-विमर्श करने के बाद उन्हें मंडली छोड़ने के लिए कहा। उनके अनुसार, चर्च में उन्हें घंटों तक सवालों के कटघरे में खड़ा किया गया और भारतीय अप्रवासन पर कही गई बातों के लिए माफी मांगने का दबाव बनाया गया।
कीन ने यह तो कहा कि वह अपने बयान का मतलब समझाने या किसी भी नाराज व्यक्ति से बात करने के लिए तैयार हैं, लेकिन अपने शब्द वापस लेने को तैयार नहीं। उन्होंने कहा, “यह एक नीतिगत स्थिति है जिस पर मैं कायम हूँ।”
चर्च के बड़ों ने उन्हें बताया कि वह “अनुशासन के रास्ते” पर हैं, जिसका मतलब था कि अगर वह पश्चाताप करने से इनकार करते हैं तो उन्हें सदस्यता से हटाया जा सकता है। कीन के लिए यह एक गंभीर मामला था क्योंकि चर्च का मानना था कि वह अब एक सच्चे ईसाई नहीं रहे, क्योंकि उन्होंने उस “पाप” के लिए पश्चाताप नहीं किया जिसे वह खुद पाप मानने को तैयार नहीं थे।
वहीं, चर्च के अधिकारियों ने समाचार संस्था को बताया कि उन्होंने कीन के साथ “अपने पड़ोसियों से वैसे ही प्यार करो जैसे मसीह ने अपनी चर्च से किया है” के सुसमाचार के आदेश पर चर्चा की थी। चर्च के अनुसार, कीन दंपति ने खुद ही चर्च से सदस्य के रूप में उन्हें हटाने का अनुरोध किया था।
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