संपत्ति के लिए पत्नी ने प्रेमी संग मिलकर सांताक्रूज के कारोबारी को जहर देकर मार डाला; दोनों गिरफ्तार

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संपत्ति के लिए पत्नी ने प्रेमी संग मिलकर सांताक्रूज के कारोबारी को जहर देकर मार डाला; दोनों गिरफ्तार

| Updated: December 3, 2022 11:13

काजल शाह नाम की एक 46 वर्षीया महिला  और 45 वर्षीय उसके प्रेमी हितेश जैन को सांताक्रूज (पश्चिम) के कपड़ा व्यवसायी कमलकांत शाह की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। महिला पर पति को धीरे-धीरे जहर देने का आरोप है। पुलिस ने कहा कि काजल और हितेश दरअसल शाह की संपत्ति हड़पना चाहते थे। उसने अपने पति की पॉलिसी को लेकर बीमा एजेंसियों से पूछताछ भी की थी।

पुलिस के मुताबिक, 46 वर्षीय कमलकांत शाह की मृत्यु 19 सितंबर को हुई थी। उनके कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया था। इसलिए कि ब्लड में काफी मात्रा में आर्सेनिक और थैलियम पाया गया था। इसके अलावा,  शाह की मां सरला की मृत्यु 13 अगस्त को हुई थी। उनकी मौत में समान लक्षण मिले थे। अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट केएस जंवर ने 8 दिसंबर तक दोनों की पुलिस हिरासत में भेज दिया है। यह कहते हुए कि पहली नजर में हत्या का मामला लगता है।

बता दें कि दोनों की गिरफ्तारी शाह की पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद हुई। जांच से पता चला कि दोनों ने उन्हें मारने के लिए खाने में थैलियम और आर्सेनिक देने की साजिश रची थी।

दरअसल 24 अगस्त को शाह ने पेट दर्द की शिकायत की और उल्टी करने लगे। उन्होंने अपने परिवार के डॉक्टर से दवाएं लीं। लेकिन जब दर्द बना रहा तो उन्हें अंधेरी के क्रिटिकेयर अस्पताल में भर्ती कराया गया। कुछ दिन पहले उनकी मां की भी इसी तरह पेट दर्द की शिकायत के बाद मौत हो गई थी। जब शाह का दर्द कम नहीं हुआ तो उन्हें बॉम्बे हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया।

शाह के बहनोई अरुण लालवानी ने कहा, “डॉक्टर हैरान रह गए, क्योंकि उनके अंग एक के बाद एक फेल होने लगे। डॉक्टरों को तब उनके ब्लड में धातु की मौजूदगी का संदेह हुआ। बल्ड को फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा गया था। रिपोर्ट 13 सितंबर को आई। इसमें आर्सेनिक की मात्रा काफी अधिक मिली- सामान्य से 400 गुना अधिक। इसी तरह थैलियम- सामान्य से लगभग 365 गुना अधिक। यह देख  डॉक्टरों ने कहा कि किसी ने उन्हें इन जहरीले पदार्थों को खिलाया है। ” शाह की बहन कविता लालवानी ने आरोप लगाया कि उनकी मां को भी जहर दिया गया होगा।

अंग विफलता (organ failure) के कारण 19 सितंबर को शाह की मृत्यु हो गई। उनकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर आजाद मैदान पुलिस ने एक एक्सिडेंटल डेथ रिपोर्ट (एडीआर) दर्ज की। इस पर क्राइम ब्रांच की यूनिट-9 ने समानांतर जांच शुरू की। क्राइम ब्रांच ने बयान दर्ज किए। शाह की पोस्टमार्टम रिपोर्ट और डॉक्टरों की राय का अध्ययन किया और शाह और उनके परिवार के सदस्यों के कॉल डिटेल रिकॉर्ड का तकनीकी विश्लेषण किया। पुलिस को पता चला कि शाह और उनकी पत्नी काजल के बीच संबंध अच्छे नहीं थे। 2021 में शाह ने काजल से उसके बचपन के दोस्त जैन के साथ फोन कॉल पर पूछताछ की थी।

एक पुलिस अधिकारी ने कहा, “काजल अपने पति से लड़ी और अपने माता-पिता के साथ रहने चली गई। वह इस साल 15 जून को कुछ शर्तों पर लौटी। इसमें एक शर्त यह भी था कि वह शाह के साथ एक ही जगह नहीं रहेगी। उसने कहा कि वह सिर्फ बच्चों के लिए वापस आई थी।” पुलिस ने कहा, “कविता और हितेश दरअसल शाह से छुटकारा पाकर उनकी संपत्ति हड़पना चाहते थे। इसलिए उन्होंने आर्सेनिक और थैलियम खरीदा। उन्होंने पहले इसे उनकी मां को दिया और फिर उन्हें।” शाह दंपति के दो बड़े बच्चे हैं।

एक अधिकारी ने कहा कि परिवार को शक हो गया, क्योंकि जिस समय शाह अस्पताल में गंभीर हालत में थे, काजल ने उनसे बहस की। जोर देकर कहा कि वह उसे तत्काल 2 लाख रुपये दे। जब परिवार के अन्य सभी सदस्य दवाएं लेने के लिए इधर-उधर भाग रहे थे, तो कविता ने उनकी मदद करने या उन्हें किसी भी प्रकार की इमोशनल सपोर्ट देने का प्रयास भी नहीं किया। जब उसे ब्लड टेस्ट कराने के लिए कहा गया तो वह अस्पताल से चली गई। उस समय जांचकर्ता यह जानना चाहते थे कि क्या उसने भी शाह और उनकी मां के समान ही खाना खाया था।

शाह की बहन कविता ने कहा, “जब हमने इस मामले की जांच करने का फैसला किया, तो काजल ने कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। इससे हमारा संदेह और गहरा गया। कुछ दिनों के भीतर उसने अपने भाइयों के साथ मेरे भाई (शाह) के भिवंडी कार्यालय को बेच दिया और कई जगह फोन भी किए।”

कविता ने आगे कहा, “फिर बीमा कंपनियों ने शाह की पॉलिसी मांगी, और उनकी संपत्तियों की तलाश शुरू कर दी। जैन के साथ उनकी दोस्ती से लेकर, शर्तों पर शाह के पास उसकी वापसी, फिर मेरी मां का निधन, और उसके कुछ दिनों के भीतर मेरे भाई की मृत्यु… इन सब बातों ने हमें उसकी भागीदारी को लेकर संदेह से भर दिया।”

अभियुक्त (Accused) हितेश जैन के वकील हितेश पटेल ने कहा, “पीड़ित की मौत सितंबर में हुई थी। उसकी मौत के बारे में कोई विस्तृत (detailed) रिपोर्ट नहीं थी, केवल एक पारिवारिक मित्र ने कहा था। मेरे मुवक्किल (client) के खिलाफ ऐसा कुछ भी सबूत नहीं मिला है, जो उसे मामले से जोड़े। उसे सिर्फ संदेह के आधार पर गरिफ्तार किया गया है।” 

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