गुजरात में 2 आदिवासियों ने बनाई उलटी दिशा में घूमने वाली घड़ी

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गुजरात में 2 आदिवासियों ने बनाई उलटी दिशा में घूमने वाली घड़ी

| Updated: January 4, 2023 11:37

गुजरात में दो आदिवासियों ने एक ऐसी कलाई घड़ी (wrist watch)  बनाई है, जो उलटी दिशा यानी दाएं से बाएं घूमती है। इसे “आदिवासी घड़ी” नाम दिया गया है। इसे तापी के डोलवन तालुका के निवासी और सामाजिक कार्यकर्ता प्रदीप पटेल उर्फ पिंटू (32) ने दोस्त भरत पटेल (30) के साथ मिलकर बनाई है। इस घड़ी को मंगलवार को वंसदा से कांग्रेस विधायक अनंत पटेल ने नवसारी स्थित सर्किट हाउस में लांच किया। यह घड़ी 13 से 15 जनवरी तक छोटा उदेपुर के कावंत में होने वाले आदिवासियों के तीन दिवसीय कार्यक्रम- आदिवासी एकता परिषद- में बिक्री और प्रदर्शन के लिए रखी जाएगी। विधायक पटेल का कहना है कि आने वाले दिनों में आदिवासी समुदाय के लोगों को घड़ी बनाना और गुजरात के 14 जिलों में बेचना सिखाया जाएगा।

दरअसल दो साल पहले पिंटू को एंटी-क्लॉकवाइज घड़ी बनाने का विचार तब आया, जब वह अपने एक दोस्त के घर गए थे। पिंटू कहते हैं, “मित्र विजयभाई चौधरी के घर पर मैंने एक पुरानी घड़ी देखी, जो उलटी दिशा में घूम रही थी। जब मैंने इसके बारे में पूछा, तो उन्होंने मुझे बताया कि प्रकृति का चक्र (nature’s cycles) और इसकी गति दाएं से बाएं वाली है।”

इसने पिंटू को प्रेरित किया। इसके बाद उन्होंने कलाई घड़ी की दुकान में काम करने वाले भरत पटेल के साथ मिलकर इस पर काम करना शुरू किया। महीनों के रिसर्च और कड़ी मेहनत के बाद उन्होंने दिसंबर में कलाई घड़ी का निर्माण किया। इसमें घंटे, मिनट और सेकंड की सुई उलटी दिशा यानी दाएं से बाएं घूमती है। तब से पिंटू और भरत ने लगभग 1,000 ऐसी कलाई घड़ियां बनाई हैं।

पटेल कहते हैं, “हमने आदिवासी नेता बिरसा मुंडा की तस्वीर और कैप्शन ‘जय आदिवासी’ के साथ नए मॉडल बनाए। हमने इस घड़ी को ‘आदिवासी घड़ी’ नाम दिया है। यह प्रकृति के अनुरूप चलती है… सभी ग्रह सूर्य के चारों ओर दाएं से बाएं दिशा में (एंटी-क्लॉकवाइज) ही घूमते हैं। यहां तक कि आदिवासियों के समूह नृत्यों में भी हलचल दाएं से बाएं होती है। हम आदिवासी सभी रस्में दाएं से बाएं ही करते हैं।”

अब तक इन कलाई घड़ियों के सात अलग-अलग मॉडल तैयार किए जा चुके हैं और इनकी कीमत 700 रुपये से 1,000 रुपये के बीच है। हालांकि, पटेल का कहना है कि घड़ियों का उत्पादन बढ़ाने के लिए उन्हें फंड की जरूरत है। वह कहते हैं, “हम आमतौर पर सामान्य घड़ियों में इस्तेमाल होने वाली क्वार्ट्ज मशीनों को चलाने के लिए बटन सेल लाए। हमने मशीनों में कुछ बदलाव किए, ताकि दाएं से बाएं घुमाया जा सके… मुझे 5,000 घड़ियों का ऑर्डर मिला है, लेकिन उत्पादन के लिए पर्याप्त धन नहीं है।”

विधायक पटेल का कहना है कि उन्होंने घड़ी बनाने के लिए पिंटू को आदिवासी समुदाय के और सदस्यों को नियुक्त करने में मदद का आश्वासन दिया है। उन्होंने कहा, “वर्तमान में हमने नवसारी जिले में घड़ी लॉन्च की है। लेकिन हम इसका विस्तार उमरगाम से अंबाजी तक करेंगे, जिसमें सभी आदिवासी जिले शामिल होंगे। हम हर जिले में वितरक नियुक्त करेंगे, जो आदिवासियों को घड़ी बनाने के लिए काम पर रखेंगे। आदिवासी एकता परिषद के तीन दिवसीय आयोजन के बाद हम इन घड़ियों को गुजरात के सभी जनजातीय जिलों में भी लॉन्च करेंगे। हमारी अवधारणा सभी आदिवासियों को एक दूसरे से जोड़ने की है। हमने पृथ्वी बचाओ, जल-जंगल-जमीन, और घड़ी पर इस्तेमाल होने वाले बिरसा मुंडा के नाम से लोगो बनाने की भी योजना बनाई है।

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