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‘डोंकी रूट’ से अमेरिका गए गुजराती शख्स ने फर्जी पासपोर्ट से की भारत लौटने की कोशिश, दिल्ली में गिरफ्तार

| Updated: September 23, 2025 13:29

15 महीने का खतरनाक सफर तय कर 'डोंकी रूट' से अमेरिका पहुँचा, लेकिन ट्रंप की वापसी के डर ने सब बिगाड़ दिया। जाली पासपोर्ट के साथ भारत लौटते ही दिल्ली एयरपोर्ट पर हुआ गिरफ्तार।

अहमदाबाद: अमेरिका जाने के लिए उसने खतरनाक ‘डोंकी रूट’ का सहारा लिया, अटलांटा में बिना किसी दस्तावेज़ के रहा और गुज़ारे के लिए छोटी-मोटी नौकरियाँ कीं। लेकिन जब डोनाल्ड ट्रंप की सत्ता में वापसी की आहट सुनाई दी और अवैध प्रवासियों पर शिकंजा कसने लगा, तो मेहसाणा के 40 वर्षीय शख्स को लगा कि अब खुद को डिपोर्ट करवा लेना ही सबसे सुरक्षित रास्ता है। इसके लिए उसने एक जाली पासपोर्ट का इस्तेमाल किया।

हालांकि, उसका यह दाँव उल्टा पड़ गया। 8 सितंबर को जब वह दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय (IGI) हवाई अड्डे पर पहुँचा, तो अप्रवासन अधिकारियों ने उसके नकली दस्तावेज़ को पकड़ लिया। जिसके बाद, जालसाजी और पासपोर्ट नियमों के उल्लंघन के आरोप में उसे तुरंत गिरफ्तार कर लिया गया।

एक केंद्रीय एजेंसी के अधिकारियों ने बताया कि मेहसाणा के जागाना गाँव का यह निवासी अक्टूबर 2018 में अपने असली पासपोर्ट पर वियतनाम गया था। वहाँ से उसने अवैध रास्तों से अमेरिका का सफर शुरू किया, जो 15 महीने बाद अटलांटा में खत्म हुआ।

अमेरिका में वह बिना किसी कानूनी दस्तावेज़ के रह रहा था और मेहसाणा के ही एक अन्य व्यक्ति के पास शरण लिए हुए था। इस दौरान उसने एक मोटल और एक गैस स्टेशन पर काम करके अपना गुज़ारा चलाया।

दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “जब ट्रंप प्रशासन ने अवैध प्रवासियों के खिलाफ अपनी कार्रवाई तेज़ कर दी, तो उसके लिए अमेरिका में टिके रहना मुश्किल हो गया। भारत वापस आने के लिए उसने खुद को डिपोर्ट करवाने की योजना बनाई और इसके लिए हिमाचल प्रदेश के एक निवासी के नाम पर जाली पासपोर्ट हासिल किया।”

अधिकारी ने आगे कहा, “यह पासपोर्ट 2020 में अटलांटा में जारी किया गया था, जिसमें सामान्य सुरक्षा फीचर्स भी नहीं थे। यही वजह है कि 8 सितंबर को IGI एयरपोर्ट पर पहुँचते ही इसे आसानी से नकली घोषित कर दिया गया।”

केंद्रीय एजेंसी के अधिकारियों का मानना है कि यह मामला इस बात को उजागर करता है कि ट्रंप के कार्यकाल की सख्त नीतियों ने कैसे कई भारतीयों, खासकर गुजरात के लोगों को ऐसे हताश कदम उठाने पर मजबूर किया है।

पुलिस सूत्रों के अनुसार, हाल के वर्षों में फर्जी दस्तावेज़ों के साथ सेल्फ-डिपोर्टेशन (खुद को निर्वासित करवाने) के मामलों में वृद्धि हुई है, जिससे भारत और अमेरिका के बीच राजनयिक और कानूनी प्रक्रियाओं पर दबाव बढ़ा है। एक पुलिस अधिकारी ने यह भी बताया कि ऐसे मामलों में FIR बहुत कम ही दर्ज की जाती है।

जागाना गाँव के इस व्यक्ति को गिरफ्तार कर उस पर भारतीय न्याय संहिता की धारा 318(4) (धोखाधड़ी), 319(2) (प्रतिरूपण द्वारा छल), 336(3) (जालसाजी), 340(2) (जाली दस्तावेज़ को असली के तौर पर इस्तेमाल करना) और पासपोर्ट अधिनियम की धारा 12 के तहत मामला दर्ज किया गया है।

पुलिस ने सबूत के तौर पर जाली पासपोर्ट, यात्रा दस्तावेज़, डिपोर्ट के रिकॉर्ड और सीसीटीवी लॉग को जब्त कर लिया है।

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