200 वर्षों से शानदार प्रदर्शन कर रहा है असम का चाय उद्योग

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200 वर्षों से शानदार प्रदर्शन कर रहा है असम का चाय उद्योग

| Updated: January 15, 2023 17:00

असम में चाय की खेती के 200 वर्ष पूरे होने पर चाय उत्पादकों ने जश्न मनाना शुरु कर दिया है। कहना ही होगा कि असम जहां देश का सबसे बड़ा उद्योग है, वहीं वह अपनी समृद्ध रंगीन और सुगंधित चाय के लिए दुनिया भर में मशहूर है। इतना ही नहीं, असम का चाय उद्योग लाखों लोगों को रोजगार भी देता है। असम की बड़ी आबादी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से चाय बागानों पर निर्भर हैं। असम ऑर्थोडॉक्स और सीटीसी (क्रश, टियर, कर्ल) दोनों प्रकार की चाय के लिए प्रसिद्ध है।

आज असम सालाना लगभग 700 मिलियन किलोग्राम चाय का उत्पादन करता है। यह भारत के कुल चाय उत्पादन का लगभग आधा हिस्सा है। राज्य 3,000 करोड़ रुपये के बराबर अनुमानित वार्षिक विदेशी मुद्रा आय भी कमाता है। भारत कुल मिलाकर वैश्विक चाय उत्पादन में 23 प्रतिशत का योगदान करता है। जहां तक रोजगार की बात है तो चाय बागान क्षेत्र में लगभग 1.2 मिलियन श्रमिकों को रोजगार मिलता है।

बता दें कि वर्ष 1823 में स्कॉटिश रॉबर्ट ब्रस ने एक देसी चाय के पौधे को खोजा था। इसकी खेती  ऊपरी ब्रह्मपुत्र घाटी में स्थानीय सिंघपो जनजाती द्वारा होती थी। इसके बाद ही तत्कालीन लखीमपुर जिले में 1833 में सरकार ने एक चाय बागान शुरू किया।  1823 से लेकर अब तक भारतीय चाय दुनिया भर में मशहूर है। चाय उत्पादन के मामले में असम देश में सबसे बड़ा राज्य है।  यहां की चाय विदेशों में भी जाती है।

असम में चाय के उद्योग को अब 200 साल पूरे हो चुके हैं। इसका जश्न मनाने का पहला कार्यक्रम पिछले हफ्ते जोरहाट में हुआ। इसका आयोजन नॉर्थ ईस्टर्न टी एसोसिएशन (NETA) ने किया था। इस मौके पर चाय पर रिशर्च करने वाले और लेखक प्रदीप बरुआ की लिखी किताब ‘टू हंड्रेड इयर्स ऑफ असम टी 1823-2023: द जेनेसिस एंड डेवलपमेंट ऑफ इंडियन टी’ का विमोचन किया गया। यह किताब असम में चाय उद्योग की संपूर्ण विकास यात्रा का इतिहास बताती है। इसके साथ ही अब चाय की खेती को पढ़ाई के रुप में भी शुरु किया जाएगा।

वैसे असम के चाय बागान में कई ऐसी समस्याएं भी हैं, जिनसे सभी जूझ रहे हैं। चाय बागान मजदूरों की कम मजदूरी सबसे बड़ी समस्या है। लंबे समय तक चले आंदोलन के बाद अब चाय बागान मजदूरों की मजदूरी में वृद्धि को हो गई है। असम ने हाल ही में चाय बागान श्रमिकों के लिए दैनिक मजदूरी में 27 रुपये की वृद्धि की है। इसी तरह असम की बराक घाटी में चाय बागान के मजदूरों को प्रति दिन 210 रुपये और ब्रह्मपुत्र घाटी के लिए 232 रुपये मिलेंगे। 2021 में राज्य के चुनाव से ठीक पहले असम में भाजपा सरकार ने मजदूरी दर में 38 रुपये की बढ़ोतरी की थी।

असम 200 साल पुराने चाय उद्योग के लिए नई नीति बनाने जा रहा है। राज्य सरकार अंतर्राष्ट्रीय चाय दिवस पर वार्षिक चाय उत्सव मनाने की भी योजना बना रही है। वार्षिक चाय उत्सव हर साल 21 मई को मनाया जाता है। इसके लिए प्रति वर्ष 50 लाख रुपये रखे जाएंगे।

गौरतलब है कि वर्ष 2023 तक पूरे विश्व में चाय का उत्पादन 3.15 मिलियन टन वार्षिक था। चाय के प्रमुख उत्पादक देशों में भारत है। इसके बाद चीन का नंबर है ।

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