बिना जन्मे बेटे की मौत दिखा बाप ने की बीमा का पैसा उठाने कोशिश

Gujarat News, Gujarati News, Latest Gujarati News, Gujarat Breaking News, Gujarat Samachar.

Latest Gujarati News, Breaking News in Gujarati, Gujarat Samachar, ગુજરાતી સમાચાર, Gujarati News Live, Gujarati News Channel, Gujarati News Today, National Gujarati News, International Gujarati News, Sports Gujarati News, Exclusive Gujarati News, Coronavirus Gujarati News, Entertainment Gujarati News, Business Gujarati News, Technology Gujarati News, Automobile Gujarati News, Elections 2022 Gujarati News, Viral Social News in Gujarati, Indian Politics News in Gujarati, Gujarati News Headlines, World News In Gujarati, Cricket News In Gujarati

बिना जन्मे बेटे की मौत दिखा बाप ने की बीमा का पैसा उठाने कोशिश

| Updated: October 6, 2022 12:10

अहमदाबादः गांधीनगर सेशन कोर्ट ने हर्षद बरोट को दूसरी बार भी जमानत देने से इनकार कर दिया। उन्होंने जीवन बीमा का पैसा लेने के लिए कथित तौर पर कागज पर ही बेटे के जन्म और मृत्यु को दिखाने के लिए फर्जीवाड़ा किया था।

मामला खेड़ा जिले के कपडवंज के पास मोतीजेर गांव का है। वहां हर्षद बरोट एकलव्य विद्या विहार प्राइमरी स्कूल के प्रशासक  हैं। उन्होंने 2013-14 में अपने नाबालिग बेटे विश्वास के लिए लगभग 53 लाख रुपये की बीमा पॉलिसी खरीदी। 2018 की शुरुआत में बरोट ने रिलायंस लाइफ इंश्योरेंस कंपनी को 1 जून, 2017 को स्ट्रोक के कारण विश्वास की मौत की सूचना दी। फिर  कंपनी से मिली दो बीमा पॉलिसियों से 22 लाख रुपये पर दावा कर दिया।

बीमा कंपनी ने दावों की जांच की। पाया कि विश्वास तो कभी पैदा ही नहीं हुआ था। जनवरी 2019 में बीमा कंपनी ने गांधीनगर पुलिस में बरोट और उनके चार सहयोगियों के खिलाफ धोखाधड़ी के लिए एफआईआर दर्ज करा दी। इसमें आरोप लगाया गया है कि बरोट ने बिना जन्म लिए ही बेटे का अपने स्कूल में 5वीं क्लास में एडमिशन भी करा रखा था। लेकिन स्कूल में पहली से चौथी क्लास तक का उसका कोई रिकॉर्ड नहीं मिला। पूछताछ में पता चला कि उसने स्कूल के प्रिंसिपल और कर्मचारियों को कथित तौर पर यह साबित करने के लिए मजबूर किया था कि बच्चा स्कूल में पढ़ रहा था। बीमा कंपनी ने आगे भी जांच की। पता चला कि राशन कार्ड, ग्राम आंगनवाड़ी रजिस्टर आदि जैसे अन्य सरकारी दस्तावेजों में भी उसने कथित रूप से झूठी प्रविष्टियों  करा रखी थीं।

सरकारी रिकॉर्ड में प्रविष्टियों के लिए बरोट ने कथित तौर पर 2003 में जन्म दिखाते हुए एक बर्थ सर्टिफिकेट बनाया। उन्होंने अरावली जिले के टोटू ग्राम पंचायत से विश्वास की मौत का सर्टिफिकेट भी बनवा लिया। मजे की बात यह कि सभी दस्तावेजों में बच्चा मौजूद था, लेकिन बीमा कंपनी के अधिकारियों को ऐसा कोई व्यक्ति नहीं मिला जिसने बच्चे को देखा हो। यह भी पता चला कि बरोट ने अन्य कंपनियों से भी बीमा पॉलिसी ली थी। जांच में पता चला कि बरोट के केवल दो बेटे हैं, और दोनों जीवित हैं।

परिवार के राशन कार्ड से पता चलता है कि विश्वास का जन्म बरोट के सबसे बड़े बेटे के जन्म के 63 दिन बाद हुआ था और उनके तीसरे बेटे का जन्म विश्वास के जन्म के 128 दिन बाद हुआ। बरोट ने बीमा के पैसे के लिए दावा करते हुए बताया कि विश्वास उनका सबसे बड़ा बेटा था। पुलिस ने पाया कि बरोट भी इस बारे में निश्चित नहीं था कि उसका बड़ा बेटा कौन है। विश्वास से जुड़े दस्तावेजी सबूत थे, लेकिन उनके अस्तित्व का कोई सबूत नहीं था। एफआईआर के तीन साल से अधिक समय बीतने के बाद गांधीनगर पुलिस ने 22 जून को बरोट को गिरफ्तार कर लिया। अदालत पहले ही उन्हें एक बार जमानत देने से इनकार कर चुकी थी। पुलिस द्वारा जालसाजी, धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश के आरोप लगाते हुए चार्जशीट दाखिल करने के बाद उन्होंने जमानत के लिए फिर आवेदन किया था, जिसमें सफलता नहीं मिली।

Also Read: अहमदाबाद: टू व्हीलरों के लिए भी पार्किंग की जगह कम, झगड़ा ज्यादा

Your email address will not be published. Required fields are marked *

%d