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जनवरी 2024 की समय सीमा तय, राम मंदिर का काम तेज, गर्भगृह इसी अक्टूबर में बनने की संभावना

| Updated: January 14, 2023 4:56 pm

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा अयोध्या में राम मंदिर 1 जनवरी, 2024 को तैयार होने की घोषणा के कुछ दिनों बाद ही जमीन पर काम शुरू हो गया है। इस साल अक्टूबर तक गर्भगृह को पूरा करने और 21 दिसंबर, 2023 से 14 जनवरी, 2024 के बीच भगवान राम की मूर्ति स्थापित करके इसे भक्तों के लिए खोलने का लक्ष्य रखा गया है।

राम मंदिर निर्माण के लिए बने ट्रस्ट, श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने शुक्रवार को पत्रकारों को परिसर में चल रहे निर्माण कार्य को दिखाया। वहां 550 से अधिक कर्मचारी दिन-रात दो शिफ्टों में काम कर रहे हैं, ताकि मुख्य मंदिर के फर्श को समय से पूरा कर लिया जाए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अगस्त 2020 में मंदिर की नींव रखी थी।

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय ने कहा, ”निर्माण कार्य में प्रगति संतोषजनक है। कारीगरों, सुपरवाइजरों और इंजीनियरों को भरोसा है कि वे 2023 में ग्राउंड फ्लोर का काम पूरा कर लेंगे। मुहूर्त के अनुसार, प्राण प्रतिष्ठा 21 दिसंबर और मकर संक्रांति के बीच की जाएगी। यह 1 जनवरी या 14 जनवरी या दिसंबर की कोई तारीख हो सकती है।

उन्होंने कहा कि एक बार प्राण प्रतिष्ठा हो जाने के बाद मंदिर भक्तों के लिए खुल जाएगा। परिसर में बाकी बचे ढांचों को पूरा करने की समय सीमा के बारे में पूछे जाने पर राय ने कहा, ‘इस बारे में अभी सोचा नहीं है।’

परिसर में मुख्य कार्य गर्भगृह को पूरा करना है, जहां यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा पिछले साल जून में शिला पूजन करने के बाद भगवा झंडा फहराया गया था। वहां झंडा लगाया गया है, ताकि अस्थायी राम मंदिर में आने वाले श्रद्धालु लगभग 150 मीटर की दूरी से गर्भगृह के स्थान की पहचान कर सकें। गर्भगृह के चारों ओर, छत के लिए रखी जाने वाली बीमों को सहारा देने के लिए 170 स्तंभ बनाए जा रहे हैं।

राय ने कहा कि इस साल अक्टूबर तक ग्राउंड फ्लोर तैयार हो जाएगा। प्रत्येक स्तंभ पर अलग-अलग देवताओं की 16 मूर्तियां उकेरी जाएंगी। गर्भगृह की बाहरी दीवार के चारों ओर परिक्रमा मार्ग होगा। कुल मिलाकर मंदिर परिसर में तीन परिक्रमा मार्ग होंगे और सबसे बाहरी 750 मीटर लंबा होगा। भूतल पर पांच मंडप भी होंगे।

गर्भगृह के अंदर मूर्ति को ऐसे स्थान पर स्थापित किया जाएगा कि रामनवमी के दिन दोपहर के समय सूर्य की किरणें मूर्ति के मस्तक तक पहुंचें। इसका सफल परीक्षण रुड़की के केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान ((CBRI) ने किया है।

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