फरीदाबाद: एक MBBS डॉक्टर ने खुद को कार्डियोलॉजिस्ट बताकर बदशाह खान सिविल अस्पताल के हार्ट केयर सेंटर में 8 महीनों में 50 से अधिक हृदय संबंधी सर्जरी कीं। बाद में पता चला कि वह इस काम के लिए अधिकृत नहीं था और उसकी धोखाधड़ी से कई मरीजों की जान को खतरा हुआ।
पंकज मोहन शर्मा नामक इस डॉक्टर ने कार्डियोलॉजी की पढ़ाई के नाम पर फर्जी दस्तावेज बनाकर मरीजों के साथ धोखा किया। उसे तब पकड़ा गया जब सामाजिक कार्यकर्ता और वकील संजय गुप्ता ने 11 अप्रैल को NIT फरीदाबाद पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई। गुप्ता ने कहा कि शर्मा ने फर्जी दस्तावेजों के ज़रिए अतिरिक्त डिग्री हासिल की हैं।
प्रारंभिक जांच में पता चला कि शर्मा असली कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. पंकज मोहन की नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) रजिस्ट्रेशन नंबर का गलत इस्तेमाल कर रहा था। असली डॉ. मोहन फरीदाबाद में मान्यता प्राप्त कार्डियोलॉजिस्ट हैं।
चोरी हुई पहचान का इस्तेमाल कर काम
पुलिस ने बताया कि शर्मा को पिछले साल जुलाई में मेडिटरीना अस्पताल ने बदशाह खान के हार्ट सेंटर में काम पर रखा था। उसने डॉ. मोहन का NMC रजिस्ट्रेशन नंबर 2456 का गलत उपयोग किया, जबकि उसका अपना MBBS रजिस्ट्रेशन नंबर 28482 था।
शर्मा ने अपने प्रिस्क्रिप्शन पर कार्डियोलॉजिस्ट का स्टाम्प लगाया था, जिसमें उसने डीएनबी (कार्डियोलॉजी) की डिग्री होने का दावा किया था, जो एमडी के बराबर होती है।
वकील संजय गुप्ता ने कहा, “अस्पताल प्रबंधन ने ऐसे धोखेबाज डॉक्टर को नौकरी दी जो कार्डियोलॉजी में कोई मान्यता प्राप्त विशेषज्ञता नहीं रखता। शर्मा ने एमडी और डीएनबी की फर्जी डिग्री का झूठा दावा किया।”
असली डॉ. मोहन ने जनवरी में भारतीय मेडिकल एसोसिएशन में शिकायत दर्ज कराई और शर्मा को कानूनी नोटिस भेजा।
शर्मा की संदिग्ध हरकतें बढ़ाईं शक
फरवरी में जब शर्मा से मेडिकल डिग्री दिखाने को कहा गया, तो वह अचानक हार्ट सेंटर में आना बंद कर दिया। कई मरीजों ने उसकी पहचान पूछनी शुरू की और असली डॉ. मोहन से मिलने लगे। असली डॉ. मोहन ने साफ किया कि उन्होंने कभी इस सेंटर में काम नहीं किया, जिससे शक और गहरा गया।
शर्मा ने फेसबुक पर ‘क्षितिज मोहन’ नाम से प्रोफाइल बनाई थी और एक फिल्म प्रोडक्शन कंपनी का डायरेक्टर होने का दावा भी किया था, जिससे उसकी चिकित्सा योग्यता पर और सवाल उठे।
मेडिटरीना अस्पताल के CMD डॉ. एम. प्रताप कुमार ने कहा, “शर्मा ने सामान्य चिकित्सक के रूप में आवेदन दिया था। हमें उसकी डीएम (कार्डियोलॉजी) डिग्री पर शक था, जिस पर हमने कार्रवाई की।”
पुलिस मामले की जांच जारी रखे हुए है और अस्पताल प्रभावित मरीजों को भरोसा दिला रहा है।
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