हेनरी किसिंजर: भारत के प्रति थी दोयम सोच, चीन से थी ऐसी नजदीकी.. - Vibes Of India

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हेनरी किसिंजर: भारत के प्रति थी दोयम सोच, चीन से थी ऐसी नजदीकी..

| Updated: December 1, 2023 16:44

सत्तर के दशक की शुरुआत से अमेरिका-चीन संबंधों के वास्तुकार माने जाने वाले हेनरी किसिंजर का 100 साल की उम्र में बुधवार को कनेक्टिकट में उनके घर पर निधन हो गया. चीन ने पूर्व अमेरिकी विदेश मंत्री हेनरी किसिंजर के निधन पर गुरुवार को शोक व्यक्त करते हुए उन्हें बीजिंग और वाशिंगटन के बीच संबंधों का अग्रणी निर्माता बताया. बीजिंग ने किसिंजर को चीनी लोगों का ‘डियर ओल्ड फ्रेंड’ बताया. हेनरी किसिंजर के पिंग-पोंग डिप्लोमेसी का एक प्रमुख लाभार्थी चीन था.

उन्होंने ही अपनी कूटनीति से 1971 में अमेरिका और चीन के रिश्तों पर जमें बर्फ को पिघलाने में अहम भूमिका निभाई थी. चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अपने अमेरिकी समकक्ष जो बाइडन को किसिंजर की मृत्यु पर शोक संदेश भेजा. हेनरी किसिंजर ने अपने जीवनकाल में 100 से अधिक बार चीन का दौरा किया. बीजिंग उनका स्वागत रेड कार्पेट बिछाकर करता था. उनकी सबसे हालिया बीजिंग यात्रा इस साल जुलाई के अंत में हुई थी, ताकि सिएटल में शी जिनपिंग और जो बाइडन के बीच शिखर सम्मेलन का मार्ग प्रशस्त किया जा सके.

किसिंजर, जो इस साल मई में 100 साल के हो गए, 1971 में अपनी सफल पिंग-पोंग कूटनीति के बाद से बीजिंग में सबसे प्रभावशाली व्यक्ति बने रहे. उन्होंने कम्युनिस्ट चीन को उसके वैचारिक गुरु तत्कालीन सोवियत संघ के खिलाफ खड़ा कर दिया, जिससे उस समय शीत युद्ध के दौरान शक्ति का संतुलन बिगड़ गया. माओत्से तुंग से लेकर शी जिनपिंग तक चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के सफल नेताओं ने अमेरिका के साथ चीन के संबंधों पर मार्गदर्शन के लिए हेनरी किसिंजर की ओर रुख किया, जिससे बीजिंग को दुनिया में अपने आर्थिक और राजनयिक प्रभाव का विस्तार करने में मदद मिली.

अमेरिका-चीन के रिश्तों में बाई खटास तो एक्टिव हुए किसिंजर

पिछले 10 वर्षों में अमेरिकी नेताओं ने चीन को एक बड़े खतरे के रूप में पहचानना शुरू किया. क्योंकि वह अमेरिका के बाद दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और प्रमुख सैन्य शक्ति के रूप में उभरा है. इस दौरान दोनों देशों के संबंधों में ताइवान को लेकर तल्खी भी देखने को मिली.

शी जिनपिंग ने विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन सहित बीजिंग दौरे पर आए अन्य अमेरिकी अधिकारियों से मिलने से परहेज किया. हालांकि, वह गत जुलाई में हेनरी किसिंजर से मिलने के लिए बीजिंग में डियाओयुताई राज्य अतिथि गृह गए और चीन-अमेरिका संबंधों को सुधारने के लिए उनकी मदद मांगी.

‘मुझे चीनी पसंद हैं, मैं उनकी संस्कृति से प्रभावित हूं’

इस साल अक्टूबर में, हेनरी किसिंजर को न्यूयॉर्क सिटी में द नेशनल कमेटी ऑन यूएस-चाइना रिलेशंस (NCUSCR) के वार्षिक गाला डिनर में सम्मानित किया गया था. जब किसिंजर व्हीलचेयर पर मंच पर आए तो सभी मेहमानों ने खड़े होकर उनका अभिनंदन किया और उनमें से अधिकांश तब तक खड़े रहे जब तक कि किसिंजर का 10 मिनट से अधिक का भाषण समाप्त नहीं हो गया. किसिंजर ने अपने संबोधन में कहा, ‘दुनिया की शांति और प्रगति के लिए अमेरिका और चीन के बीच शांतिपूर्ण संबंध, सहयोगात्मक संबंध जरूरी है. मैंने अपने जीवन का आधा हिस्सा अमेरिका-चीन संबंधों पर काम करते हुए बिताया है…मुझे चीनी लोग पसंद हैं, मैं चीनी संस्कृति से प्रभावित हूं.’

उन्होंने विश्वास जताया था कि दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं तनावपूर्ण संबंधों को ठीक करने के रास्ते ढूंढ लेंगी. हेनरी किसिंजर ने कहा था, ‘मुझे अब विश्वास है, जैसा कि मुझे 50 साल पहले विश्वास था, कि हम इन कठिनाइयों के बीच अपना रास्ता खोज सकते हैं.’ 1923 में जर्मनी में जन्मे हेनरी किसिंजर के परिवार में उनकी पत्नी नैन्सी मैगिनेस किसिंजर, उनकी पहली शादी से दो बच्चे डेविड और एलिजाबेथ और पांच पोते-पोतियां हैं. डिप्लोमैट बनने से पहले वह अमेरिकी सेना में रहे और द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान यूरोप में अपनी सेवाएं दीं. स्कॉलरशिप पर हार्वर्ड विश्वविद्यालय गए, 1952 में मास्टर डिग्री और 1954 में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की. वह अगले 17 वर्षों तक हार्वर्ड में फैकल्टी रहे.

​हेनरी किसिंजर: चीन के जितने बड़े दोस्त, भारत के उतने ही बड़े दुश्मन

हेनरी किसिंजर चीन के जितने करीबी दोस्त रहे, भारत के उतने ही बड़े विरोधी. उन्होंने 1971 के युद्ध में पाकिस्तान का साथ दिया था. बांग्लादेश की मुक्ति के लिए लड़ रहे भारत ने पाकिस्तान को सबक सिखाने की ठानी तो तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन और हेनरी किसिंजर की जोड़ी ने उसकी राहत में खूब रोड़े बिछाए. लेकिन इंदिरा गांधी की दृढ़ इच्छाशक्ति के सामने किसिंजर और निक्सन की एक न चली और दोनों तिलमिला कर रह गए.

इंदर मल्होत्रा ने अपनी किताब ‘इंदिरा गांधी: ए पर्सनल एंड पॉलिटिकल बायोग्राफी’ में अमेरिकी विदेश विभाग की ओर से 1971 में दक्षिण एशिया के संकट पर प्रकाशित 900 पन्नों की रिपोर्ट का हवाला देते हुए लिखा है, ‘कुल मिलाकर किसिंजर का मूल्यांकन यह था कि भारतीय हर तरह से दोगले (B*D) होते हैं, वे वहां युद्ध शुरू कर रहे हैं, उनके लिए पूर्वी पाकिस्तान कोई मुद्दा नहीं रह गया है.’

इंदिरा के दृढ़ संकल्प के सामने हारी निक्सन और किसिंजर की जोड़ी

इस किताब में इंदर मल्होत्रा ने अमेरिकी विदेश विभाग से जारी रिकॉर्ड के हवाले से लिखा है कि किसिंजर ने इंदिरा के लिए अपशब्द का इस्तेमाल किया था और उन्हें B***h कहा था. रिचर्ड निक्सन ने हेनरी किसिंजर से सहमति जताई थी. हालांकि 2005 में अपनी टिप्पणी के सार्वजनिक होने के बाद हेनरी किसिंजर ने कहा था कि उन्हें अपने कहे के लिए खेद है और वह इंदिरा गांधी का सम्मान करते हैं.

किसिंजर ने एक इंटरव्यू में कहा था, ‘मेरे इस बयान को 35 साल पहले शीत युद्ध के माहौल के संदर्भ में देखा जाना चाहिए, जब मैंने चीन की गुप्त यात्रा की थी और भारत ने सोवियत संघ के साथ एक तरह का अलायंस कर लिया था.’ निक्सन-किसिंजर की जोड़ी ने अमेरिकी नौसेना के सातवें बेड़े को बांग्लादेश की ओर भेज दिया. लेकिन इंदिरा गांधी अपने फैसले पर अडिग रहीं और भारतीय सेना पूर्वी पाकिस्तान में अपने अभियान को अंजाम देने में लगी रही. 16 दिसंबर 1971 को पाकिस्तान ने आत्मसर्मण कर दिया और दुनिया के नक्शे पर स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में बांग्लादेश का उदय हुआ.

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