विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि भारत के लंबे समय तक सहने वाले रवैये ने आतंकवाद को सामान्य बताने का खतरा पैदा कर दिया है। बहुत जरूरी संदेश देने वाले उरी और बालाकोट का उदाहरण देते हुए जयशंकर ने कहा कि देश किसी के दबाव में नहीं आएगा। जयशंकर ने चेन्नई में तुगलक पत्रिका की 53वीं वर्षगांठ पर कहा कि यथास्थिति (status quo) को बदलने के प्रयासों के लिए आतंकवाद के प्रति भारत की जवाबी प्रतिक्रिया (counter-response) कठोर रही है।
उन्होंने कहा, “उत्तरी सीमाओं पर काफी ताकत लाकर आज चीन समझौतों को तोड़ते हुए यथास्थिति को बदलने की मांग कर रहा है। लेकिन कोविड के बावजूद हमारी जवाबी प्रतिक्रिया मजबूत और कठोर थी। हजारों की संख्या में तैनात हमारे सैनिक हर हालात में अपनी सीमाओं की रक्षा कर रहे हैं।”
विदेश मंत्री ने कहा, “राष्ट्रीय कल्याण के कई पहलू हैं और राष्ट्रीय सुरक्षा बिना किसी सवाल के बुनियादी आधार है। इस संबंध में सभी देशों का परीक्षण किया जाता है, लेकिन हमारे यहां उग्रवाद से लेकर सीमा पार आतंकवाद तक की बड़ी समस्याएं हैं। हालांकि, लंबे समय तक सहते करने वाले हमारे नजरिये ने आतंकवाद को सामान्य (normalising) करने का खतरा पैदा कर दिया था। इसलिए उरी और बालाकोट के जरिये बहुत जरूरी संदेश भेजा गया। “
जयशंकर ने कोविड महामारी के दौरान सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि भारत भी दुनिया को टीके बनाने और आपूर्ति करने में कामयाब रहा। जयशंकर ने कहा, “आपको आश्चर्य हो सकता है कि विदेश मंत्री इन सभी के बारे में क्यों बात कर रहे हैं। दरअसल, विदेश यात्रा के दौरान मैंने कई विकसित देशों को आपूर्ति किए गए हमारे (कोविड-19) टीकों में रुचि के बारे में गर्मजोशी भरे शब्द सुने। मेरे समकक्षों ने मुझे बताया कि उनके पास भी कुछ मुद्दे हैं। लेकिन चूंकि केवल एक मोदी (प्रधानमंत्री) हैं, इसलिए मुझे उन्हें टेक्नोलॉजी के जरिये समाधान खोजने के लिए कहना पड़ा।”
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