जंत्री बढ़ोतरी ने अहमदाबाद में 2,000 करोड़ रुपये के सौदों को रोका

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जंत्री बढ़ोतरी ने अहमदाबाद में 2,000 करोड़ रुपये के सौदों को रोका

| Updated: February 9, 2023 13:27

जंत्री दरों यानी सरकारी भूमि मूल्यांकन (government land valuation) में हाल ही में घोषित वृद्धि ने अहमदाबाद में लगभग 2,000 करोड़ रुपये के भूमि सौदों पर रोक लगा दी है। ये सौदे दिसंबर से पाइपलाइन में थे। इसका मुख्य कारण खरीदे गए एफएसआई की लागत में वृद्धि और पूंजीगत लाभ कर से जुड़ा (capital gains tax implications) है।
खरीदार और विक्रेता इन मुद्दों को हल करने के लिए बैठकें कर रहे हैं। उम्मीद कर रहे हैं कि राज्य सरकार उन्हें कुछ राहत देगी। सलाहकारों का कहना है कि ऐसी स्थिति का परिणाम लंबी भुगतान शर्तें (longer payment terms) होंगी।

अहमदाबाद में पिछले तीन महीनों में कई बड़े सौदे हुए हैं। डेवलपर्स एफएसआई खरीदने के लिए जंत्री मूल्य का 40% भुगतान करते हैं और जंत्री दरों में 100% वृद्धि ने इस लागत को दोगुना कर दिया है। इससे तैयार उत्पाद 20% तक अधिक महंगा हो सकता है। पुनर्विकास (Redevelopment) सौदों को भी रोक दिया गया है।

क्रेडाई अहमदाबाद के अध्यक्ष तेजस जोशी ने कहा, “किसान-किसान, किसान-डेवलपर और जमींदार-डेवलपर के बीच सौदों में कई तरह के मुद्दे उठ रहे हैं। बड़े पैमाने पर बड़े किसानों द्वारा छोटे किसानों से जमीन खरीदी के सौदे तक अटक गए हैं। वे पूंजीगत लाभ कर (capital gains tax) और आयकर देनदारियों से संबंधित मुद्दों का सामना कर रहे हैं। दूसरी तरफ, डेवलपर्स को एफएसआई के लिए अधिक कीमत का भुगतान करना मुश्किल लगता है। यह मुद्दा छोटे किसानों को भी प्रभावित कर रहा है और हम राज्य सरकार से राहत की मांग कर रहे हैं।”

संपत्ति सलाहकार मोनिल पारिख ने कहा, “तात्कालिक जंत्री वृद्धि ने रियल एस्टेट क्षेत्र को बुरी तरह प्रभावित किया है। चल रहे भूमि सौदे प्रभावित हुए हैं। अहमदाबाद और इसके आसपास के क्षेत्रों में दिसंबर के बाद से लगभग 2,000 करोड़ रुपये के सौदे हुए हैं और इस तरह के सौदों में छह से लेकर 12 महीने के भुगतान कार्यक्रम हैं।

दरअसल डेवलपर्स ने प्रचलित बाजार दरों के आधार पर कुछ परियोजना के लिए जमीन खरीदी थी। उन्होंने कहा, “दरअसल दोगुनी जंत्री दरों ने एफएसआई की लागत को दोगुना कर दिया है। इसलिए परियोजनाएं प्रतिस्पर्धी नहीं रहती हैं। खरीदार और विक्रेता आगे के तरीकों पर चर्चा कर रहे हैं और सरकार से कुछ राहत की उम्मीद कर रहे हैं।”

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