क्या भू-माफिया कानून से नहीं डरते? खेड़ा के दादा के मुवाड़ा गांव से 600 बीघा जमीन हड़पने के बाद ग्रामीणों में रोष - Vibes Of India

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क्या भू-माफिया कानून से नहीं डरते? खेड़ा के दादा के मुवाड़ा गांव से 600 बीघा जमीन हड़पने के बाद ग्रामीणों में रोष

| Updated: September 8, 2021 19:08

राज्य सरकार का दावा है कि उन्होंने गुजरात में भू-माफियाओं पर नकेल कसी है, लेकिन दूसरी तरफ खेड़ा जिले के दादा के मुवाड़ा गांव में 600 बीघा जमीन पर कब्जा कर लिया गया है. इन जमीनों की फर्जी बिक्री व जमीनों के दस्तावेज बनाने के घोटाले से हड़कंप मच गया है।ग्रामीणों ने तहसीलदार और जिला पुलिस के पास एक आवेदन दायर कर जमीन के फर्जी दस्तावेज और फर्जी पावर ऑफ अटॉर्नी पेश करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की।

क्या है पूरे जमीन घोटाले का विवरण

खेड़ा जिले के दादा के मुवाडा, फागवेल, पोरदा और विराना गांवों की 900 बीघा जमीन में से दादा के मुवाड़ा के आसपास के क्षेत्र में 600 बीघा जमीन तहसीलदार के कार्यालय के ऑनलाइन और ऑफलाइन दस्तावेजों और रजिस्ट्रार कार्यालय की झूठी बिक्री के आधार पर अवैध रूप से दर्ज की गई थी। यह जानकर किसान और जमीन पर कब्जा करने वाले हैरान रह गए। इनमें भूमि क्रमांक 651, 1653, 1662, 1663, 1664, 1665, 1667, 1668, 1669, 1670, 1672, 1673, 1675, 1676 और 1677 शामिल हैं।

लसुंदरा पंचायत में अब भी रिकॉर्ड दादा के मुवाड़ा गांव के सरपंच आरबी सोढा का कहना है कि दादा के मुवाड़ा गांव की स्वतंत्र पंचायत 1985 में अस्तित्व में आई थी , वह पहले सालुंद्रा पंचायत में थे। हालांकि, स्वतंत्र पंचायत होने के बावजूद भी प्रभावित किसानों और गणोतियों की भूमि का राजस्व रिकॉर्ड अभी भी लसुंदरा ग्राम पंचायत के अधीन है.

आज से 200 साल पहले सयाजी रावने पारकरों को जमीन इनाम में दी थी. इस वजह से पारकरों ने यहां गांव बसाया था. धीरे धीरे पारकरों ने यह जमीन किरायेदारों के बेच दी यां गांव छोड कर चले गये. मुश्किल यह है की किरायेदारों और किसानो ने अपने नाम रिकोर्ड में नहीं डाले थे.आज इस जमीन का कानूनी कब्जा किसानो के पास है. पारकरों और किरायेदारों की भूल की वजह से यह विवाद हुआ है.

किसानों ने क्या मांग की है

किसानों, गणनाकारों और ग्रामीणों ने मांग की है कि जमीन के दलाल बालूसिंह शानाभाई सोधा (नि. काप्रपुर), इलियास (नि. पिथाई) और कानू रबारी (लसुंद्रा माजी तलाटी) ने भूमि बिक्री घोटाला किया है। सभी दस्तावेज रद्द करें। गलत वारिस, विक्रेता और सहायक पर मुकदमा चलाएं।

करीब 200 साल पहले सयाजीराव पार्कर को जमीन से नवाजा गया था। पार्क ने गांव को बसाया। पार्कर्र ने लोगों को खेती करने के लिए अपनी जमीनें दीं। धीरे-धीरे पार्कर ने जमीनें देकर या बेचकर गांव छोड़ दिया। काउंटरों और काश्तकारों ने भी जमीनें खरीदीं। चौंकाने वाली बात यह रही कि न तो गणनाकारों ने और न ही किसानों ने भूमि दस्तावेज़ों में अपना नाम दर्ज कराया। फिलहाल जमीन पर किसानों का कानूनी कब्जा है। पार्कर्स और लैंड काउंटर की गलती से पूरा जमीन विवाद सामने आ गया है।

सबूत मिले तो केस दर्ज करेंगे : एसपी अर्पिता पटेल

इस संबंध में खेड़ा जिला एसपी अर्पिता पटेल का कहना है कि हो सकता है कि भूमि घोटाला हुआ हो और अगर जिला कलेक्टर कार्यालय या मामलातदार कार्यालय अपराध की रिपोर्ट करेगा या सबूत देगा, अपराध दर्ज किया जाएगा.

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