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महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने किया बेंगलुरु-मुंबई औद्योगिक गलियारे के लिए जमीन देने का वादा

| Updated: July 8, 2022 10:42 am

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने बेंगलुरु-मुंबई औद्योगिक गलियारे के लिए सतारा-कोरेगांव क्षेत्र में भूमि उपलब्ध कराने का वादा किया है। बता देंकि भूमि अधिग्रहण के मुद्दों के कारण इस पर काम रुका हुआ है।

शिंदे गुरुवार क राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास और कार्यान्वयन ट्रस्ट (एनआईसीडीआईटी) की पहली उच्च स्तरीय बैठक में बोल रहे थे। उन्होंने इसमें वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से भाग लिया। शिंदे ने रत्नागिरी में दिघी बंदरगाह और राज्य में बल्क ड्रग पार्कों के विकास पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा, “वर्तमान में टेक्सटाइल पार्क, मेडिकल पार्क और बल्क ड्रग पार्क से संबंधित प्रस्ताव पाइपलाइन में हैं। अगर केंद्र इसे मंजूरी देता है तो राज्य सरकार इसे तेजी से आगे बढ़ाएगी। ”

बैठक की अध्यक्षता करती हुईं केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, “महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए सुझावों को पीएम गतिशक्ति योजना के माध्यम से लागू किया जाएगा। अक्टूबर तक एक विशेष समीक्षा बैठक में दिघी बंदरगाह पर चर्चा की जाएगी।

दिल्ली में हुई बैठक में केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल, केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैश्य, नीति आयोग की उपाध्यक्ष सुमन बेरी और विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्री, उद्योग मंत्री और वरिष्ठ सचिव भी शामिल हुए। शुरुआत में गोयल ने शिंदे को महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार संभालने पर बधाई दी।

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने वाराणसी-मुंबई औद्योगिक गलियारे के साथ काम करने से संबंधित सिफारिशें कीं। चौहान द्वारा की गई सिफारिशों का समर्थन करते हुए शिंदे ने कहा, “वाराणसी-मुंबई औद्योगिक गलियारा राज्य में पड़ोस के क्षेत्रों के विकास में एक लंबा सफर तय करेगा।”
शिंदे के अनुसार, औरंगाबाद औद्योगिक शहर जो शेंद्रा बिडकिन में आया है, उसे उद्योगों और निवेशकों से अच्छी प्रतिक्रिया मिली है। अब तक इसे निवेश में 5,542 करोड़ रुपये मिले हैं। उद्योगों को लगभग 375 एकड़ भूमि उपलब्ध कराई जा चुकी है। उन्होंने कहा कि इस परियोजना से तीन लाख रोजगार सृजित होंगे। दिघी-मानगांव औद्योगिक परियोजना का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि लगभग 85 प्रतिशत भूमि अधिग्रहण का काम पूरा हो चुका है। अगर केंद्र इन सौदों में तकनीकी को मंजूरी देता है तो शेष 15 फीसदी भूमि अधिग्रहण अगले तीन महीने के भीतर किया जा सकता है।

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