पूजा स्थल कानून (Worship Act), 1991 पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को अपना पक्ष स्पष्ट करने के लिए कहा है, लेकिन इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि कोई भी कानून न्यायिक समीक्षा (judicial scrutiny) से ऊपर नहीं है। 15 अगस्त, 1947 के सभी पूजा स्थलों के चरित्र को खत्म कर देने वाले पूजा स्थल कानून पर सरकार के रुख पर शाह ने विशेष रूप से टिप्पणी करने से परहेज किया। यह कानून राम मंदिर आंदोलन के कारण बना था, जिसे धर्म और पूजा की स्वतंत्रता के उल्लंघन (violative) के आधार पर चुनौती दी गई है।
यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार कानून में संशोधन पर विचार कर रही है, मंत्री ने कहा कि अदालत ने केंद्र को नोटिस भेजा है और वह जल्द ही इस विषय पर अपना रुख स्पष्ट करेगी। कानून पर विशेष रूप से टिप्पणी करने से परहेज के बावजूद शाह की टिप्पणी को महत्वपूर्ण और मामले पर सरकार की सोच में पहली संभावित झलक के रूप में देखा जाता है।
एक खबरिया चैनल से बातचीत में शाह ने समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) को लेकर इस बात पर जोर दिया कि देश में यह 2024 तक हो सकता है। लेकिन इस विषय पर और साथ ही सीएए (CAA) और एनआरसी (NRC) पर एक स्वस्थ और खुली बहस होगी। उन्होंने कहा, ‘हर धर्म को मानने वालों के लिए एक कानून होना चाहिए। लेकिन आज भाजपा के अलावा कोई भी पार्टी समान नागरिक संहिता की बात नहीं करती।…भाजपा शासित तीन राज्यों हिमाचल, उत्तराखंड और गुजरात में हमने पैनल बनाया है। भाजपा कॉमन सिविल कोड को लेकर अडिग है। हम लाएंगे, लेकिन सारी लोकतांत्रिक चर्चाओं के बाद।’
सीएए-एनआरसी पर शाह ने यह मानने से इनकार कर दिया कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान जैसे पड़ोसी इस्लामिक देशों में धार्मिक उत्पीड़न के शिकार लोगों को नागरिकता देने के लिए कानून में बदलाव (विरोध को देखते हुए) ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। उन्होंने कहा, “कानून के रूप में सीएए एक वास्तविकता है। इसे अब बदला नहीं जा सकता है; हमें नियम बनाने होंगे। कोविड-19 महामारी के कारण इनमें देरी हुई। कोई सपने में भी न देखे कि सीएए लागू नहीं होगा। जो लोग ऐसा सोचते हैं, वे गलत हैं।’
उन्होंने आफताब पूनावाला के लिए मिसाल बनने लायक जल्द सजा का वादा किया, जिसने अपनी लिव-इन-पार्टनर श्रद्धा वाकर की हत्या कर उसके शरीर को कथित रूप से टुकड़ों में बांट कर फेंक दिया।
उन्होंने दावा किया कि बीजेपी गुजरात में भारी जीत की ओर अग्रसर है। वह 129 सीटों के अपने पिछले सर्वश्रेष्ठ स्कोर को पार कर जाएगी। हिमाचल प्रदेश में भी बहुमत हासिल करेगी। इसके अलावा दिल्ली नगर निगम का चुनाव भी जीतेगी, जहां उसे आम आदमी पार्टी से सीधा मुकाबला है।
तिहाड़ में जैन के वीडियो के लीक होने पर टिप्पणी करने के लिए कहे जाने पर शाह ने कहा कि इस पर आप को लोगों को सफाई देनी चाहिए। वह बताए कि वह मंत्री के रूप में उनके साथ क्यों बने रहे। उन्होंने कहा, “यह अभूतपूर्व बेशर्मी है। एक मंत्री का चौंकाने वाला उदाहरण है, जो जेल में है, उसे राजनीतिक नैतिकता के आधार पर पद छोड़ने के लिए नहीं कहा जा रहा है। जब मेरे खिलाफ आरोप लगाए गए और मुझे जेल हुई, तो मैंने इस्तीफा दे दिया था।” बाद में अदालत ने मुझे आरोपमुक्त कर दिया। साथ ही कहा कि मेरे खिलाफ लगाए गए आरोप राजनीति से प्रेरित थे।
गृह मंत्री ने मुफ्तखोरी की संस्कृति की आलोचना की और इस बात से इनकार किया कि 80 करोड़ गरीब परिवारों को मुफ्त अनाज दिया जा रहा है। कहा, “हमने मुफ्त एलपीजी कनेक्शन दिया, लेकिन लोगों को रिफिल के लिए भुगतान करना पड़ता है। हमने घरों के लिए बिजली कनेक्शन की व्यवस्था की, लेकिन वे जो बिजली की खपत करते हैं, उसके लिए उन्हें भुगतान करना पड़ता है। हमने लोगों के लिए घर और शौचालय भी बनाए हैं, लेकिन यह उनकी जिम्मेदारी है कि वे उन्हें बनाए रखें। ”
उन्होंने कहा, “गुजरात का बजट 2.42 लाख करोड़ रुपये है और किए गए वादों को लागू करने की लागत 3.6 लाख करोड़ रुपये की जरूरत पड़ेगी।”
यह पूछने पर क्या जम्मू-कश्मीर से 370 हटाना उनकी सबसे बड़ी कामयाबी है, शाह ने कहा कि यह बस मेरी अकेले की उबलब्धि नहीं है बल्कि पूरी कैबिनेट और सरकार की उपलब्धि है। मोदी सरकार ने परिवर्तन किया है। नई लोकतांत्रिक पीढ़ी वहां खड़ी हो रही है। 56000 करोड़ का वहां इंवेस्टमेंट आया है। 80 लाख टूरिस्ट आए हैं। वहां की भाषा को पहचान मिली है। महिलाओं को सम्मान मिला है। हर घर बिजली पहुंच गई है। जम्मू-कश्मीर के हर व्यक्ति को 5 लाख तक का मुफ्त इलाज मिल रहा है। शाह ने आगे कहा कि 1990 के बाद से आतंकवाद की घटनाएं सबसे कम अब देखने को मिल रही हैं। पथराव भी शून्य हो गया है। धारा 370 हटने के बाद से हमें आतंकवाद पर लगाम लगाने में काफी मदद मिली है।
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