नई दिल्ली: भारत की सर्जिकल स्ट्राइक्स जितनी असरदार थीं, उतना ही गहरा संदेश उनके साथ जुड़े प्रतीकों ने भी दिया—दहशत के जवाब में एकता, साहस और न्याय का संदेश।
पहलगाम में आतंकियों ने धर्म के आधार पर निर्दोष लोगों की हत्या कर समाज में भय और विभाजन फैलाने की कोशिश की। उन्होंने महिलाओं के सामने उनके पतियों की हत्या कर एक भयानक संदेश देने की कोशिश की थी। लेकिन भारत सरकार की ओर से इसका जवाब ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के रूप में आया—यह सिर्फ जवाब नहीं था, बल्कि उन विधवाओं के प्रति एक संवेदनशील और निर्णायक संकल्प भी था।
‘सिंदूर’, जो हिंदू परंपरा में विवाह का प्रतीक है, इस अभियान के नाम में गूंजता है। भारतीय सेना द्वारा जारी प्रतीक चिन्ह में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शीर्षक के पहले ‘O’ को सिंदूर की थाली से दर्शाया गया—यह उन महिलाओं के दर्द को पहचान देने और उनके सम्मान की रक्षा का संदेश था।
लेकिन असली प्रतीकात्मकता इससे भी आगे थी।
ऑपरेशन की आधिकारिक जानकारी देने के लिए भारतीय सशस्त्र बलों की दो महिला अधिकारी सामने आईं—कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह। एक मुस्लिम और दूसरी हिंदू। यह दृश्य उन आतंकियों के लिए भारत का जवाब था जिन्होंने केवल हिंदुओं को निशाना बनाया और देश में साम्प्रदायिक तनाव फैलाने की साजिश की थी। भारत का जवाब साफ था—यहां धर्म के आधार पर नहीं, कर्तव्य और देशभक्ति के आधार पर लोग साथ खड़े हैं।
कर्नल सोफिया कुरैशी, वडोदरा से हैं और सेना की तीसरी पीढ़ी की अधिकारी हैं। उन्होंने छह वर्षों तक संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन में सेवा दी है और कई पुरस्कारों से सम्मानित हैं। विंग कमांडर व्योमिका सिंह, लखनऊ की रहने वाली हैं और अपने परिवार में पहली सशस्त्र बल अधिकारी हैं। वे एक दक्ष हेलीकॉप्टर पायलट हैं और पूर्वोत्तर व जम्मू-कश्मीर जैसे दुर्गम क्षेत्रों में सेवाएं दे चुकी हैं।
इन दो महिला अधिकारियों की उपस्थिति ने वह संदेश दिया, जिसका पाकिस्तान के पास कोई जवाब नहीं—भारत की एकता, विविधता और दृढ़ इच्छाशक्ति।
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