यह एक प्रेरणादायक उदाहरण है कि कैसे युवा और आधुनिक तकनीक मिलकर बुजुर्गों के जीवन की गुणवत्ता और आयु में सुधार ला सकते हैं। गुजरात के एक युवा डॉक्टर ने राज्य की संभवतः सबसे बुजुर्ग मरीज पर एक जटिल हृदय प्रक्रिया को सफलतापूर्वक अंजाम देकर यह सिद्ध कर दिया है।
अहमदाबाद के युवा कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. अमन टी. पटेल ने 89 वर्षीय ज्योत्स्ना देसाई का Transcatheter Aortic Valve Replacement (TAVR) नामक आधुनिक प्रक्रिया से इलाज किया। राजकोट निवासी ज्योत्स्ना पिछले कई महीनों से सांस फूलने, बार-बार बेहोश होने और कमजोरी जैसी गंभीर समस्याओं से जूझ रही थीं। उनका चलना-फिरना बंद हो गया था और वे पूरी तरह बिस्तर पर आश्रित हो गई थीं।
अहमदाबाद स्थित Apex Heart Institute में जांच के बाद डॉक्टरों ने पाया कि उनकी aortic valve गंभीर रूप से संकरी हो गई थी, जिससे हृदय से मस्तिष्क और शरीर के अन्य हिस्सों में रक्त प्रवाह बेहद कम हो गया था। इससे फेफड़ों में पानी भरने और मस्तिष्क तक ऑक्सीजन की आपूर्ति बाधित होने जैसी गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो रही थीं।
इस स्थिति में डॉ. अमन पटेल ने परंपरागत ओपन हार्ट सर्जरी की बजाय TAVR प्रक्रिया अपनाई, जिसमें सीने को काटे बिना, कमर की नसों के जरिए एक नया वाल्व हृदय तक पहुंचाया जाता है। यह प्रक्रिया कम जोखिम वाली होती है और बुजुर्ग मरीजों के लिए बेहद सुरक्षित मानी जाती है।
डॉ. पटेल ने बताया, “ज्योत्स्नाबेन की हालत इतनी खराब थी कि वे बिस्तर पर करवट भी नहीं ले सकती थीं। ओपन हार्ट सर्जरी उनके लिए जीवन के लिए खतरा होती। ऐसे में TAVR ही एकमात्र वैज्ञानिक रूप से सुरक्षित विकल्प था।”
इलाज के एक हफ्ते के भीतर ही ज्योत्स्नाबेन अपने पैरों पर चलकर घर लौट गईं। यह नतीजा खुद डॉक्टरों के लिए भी चौंकाने वाला और बेहद सुकून देने वाला था।
डॉ. पटेल ने कहा, “इस उम्र में हमारा लक्ष्य जीवन को लंबा करना नहीं, बल्कि उसकी गुणवत्ता को बेहतर बनाना होता है। लंबी उम्र तो अपने आप मिल जाती है अगर जीवन की गुणवत्ता सही हो।”
उन्होंने आगे बताया, “यदि सर्जरी का जोखिम 25–30 प्रतिशत होता, तो TAVR के जरिए यह केवल 3–5 प्रतिशत तक सीमित रहता है। बिना जनरल एनेस्थीसिया, बिना सीना काटे, और बिना हार्ट-लंग मशीन के यह प्रक्रिया सफलतापूर्वक पूरी की जा सकती है।”
इलाज के बाद भावुक होकर ज्योत्स्नाबेन ने कहा, “शुरुआत में मुझे डर लग रहा था, लेकिन अमेरिका से मेरे तीनों बच्चे आए और मुझे हिम्मत दी। जब मैं Apex Heart Institute पहुंची, तो यहां की साफ-सफाई और आधुनिक तकनीक देखकर मेरा सारा डर चला गया। डॉक्टर ने मेरा इलाज किसी मां की तरह देखभाल से किया। मुझे लगा ही नहीं कि यह युवा लड़का मुझे फिर से जीवन दे देगा।”
उन्होंने कहा, “पहले एक कदम चलना भी मुश्किल था, लेकिन अब चलने-फिरने में कोई परेशानी नहीं है।”
डॉ. पटेल के अनुसार, “अब तक गुजरात में किसी 89 वर्षीय व्यक्ति पर हार्ट वॉल्व रिप्लेसमेंट का कोई उदाहरण सामने नहीं आया है। TAVR की प्रक्रिया 82-84 वर्ष तक के मरीजों पर की गई है, लेकिन 89 वर्ष की उम्र में यह अपने आप में ऐतिहासिक है।”
यह मामला यह दर्शाता है कि जब आधुनिक तकनीक, अनुभव और संवेदनशीलता एक साथ आते हैं, तो उम्र महज़ एक संख्या रह जाती है।