अहमदाबाद: भारत के औषधि महानियंत्रक (DCGI) के क्षेत्रीय कार्यालय की एक टीम सोमवार को पहली बार अहमदाबाद के वीएस अस्पताल पहुंची और वहां कथित अवैध क्लीनिकल ट्रायल्स की जांच शुरू की। टीम ने अहमदाबाद नगर निगम (AMC) के अधिकारियों से भी मुलाकात की।
यह कार्रवाई वीएस अस्पताल में कथित रूप से किए गए 58 अवैध क्लीनिकल ट्रायल्स के आरोपों के बाद की गई है। सूत्रों के अनुसार, डीसीजीआई अधिकारियों ने अपनी प्रारंभिक जानकारी एएमसी के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ साझा की।
एक वरिष्ठ एएमसी अधिकारी ने बताया कि डीसीजीआई टीम ने उन्हें सूचित किया कि पिछले चार वर्षों में वीएस अस्पताल में क्लीनिकल ट्रायल साइट पर कोई नियमित निरीक्षण नहीं किया गया।
अधिकारी ने बताया, “हमें बताया गया कि डीसीजीआई की टीम अक्सर पास के एसवीपी अस्पताल की क्लीनिकल ट्रायल साइट का निरीक्षण करती रही, जहां अपनी संस्थागत एथिक्स कमेटी (IEC) थी। लेकिन वीएस अस्पताल को कभी क्लीनिकल साइट के रूप में नहीं देखा गया।”
इस कार्रवाई की पृष्ठभूमि में 30 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप भी रहा, जो एनजीओ ‘स्वास्थ्य अधिकार मंच’ (SAM) की याचिका के बाद हुआ था। याचिका में वीएस अस्पताल में ट्रायल्स में अनियमितताओं का आरोप लगाया गया था।
एएमसी अधिकारी ने बताया, “हमने डीसीजीआई को अपनी जांच समिति की रिपोर्ट सौंपी है, जिसमें निगम द्वारा की गई कार्रवाई, वित्तीय लेन-देन की जानकारी, और ट्रायल्स में शामिल डॉक्टरों पर की गई अनुशासनात्मक कार्रवाई शामिल है।”
दिलचस्प बात यह है कि इस मुद्दे को सबसे पहले उठाने वाली नगरसेविका राजश्री केसरी ने बताया कि उन्हें डीसीजीआई टीम ने संपर्क नहीं किया।
एएमसी सूत्रों के अनुसार, डीसीजीआई की जांच कई अहम पहलुओं पर केंद्रित होगी—जैसे कि प्रतिभागियों की सहमति प्रक्रिया, उनके अधिकार और सुरक्षा से जुड़ा दस्तावेज़ीकरण, और नैतिक निगरानी की व्यवस्था।
एक अधिकारी ने कहा, “वीएस अस्पताल परिसर के बाहर स्थित एक निजी एथिक्स कमेटी का चयन भी जांच के दायरे में है, जबकि बगल में स्थित एसवीपी अस्पताल के पास अपनी एथिक्स कमेटी थी।”
डीसीजीआई की टीम अध्ययन प्रोटोकॉल, केस रिपोर्ट फॉर्म्स (CRFs), और स्रोत दस्तावेजों की भी समीक्षा करेगी, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि ट्रायल्स अनुमोदित दिशा-निर्देशों और नियामक मानकों के अनुसार किए गए थे।
अधिकारी ने बताया, “डीसीजीआई यह भी जांचेगा कि क्या ट्रायल्स में गुड क्लीनिकल प्रैक्टिसेस (GCP) और ‘नए औषधि एवं क्लीनिकल ट्रायल नियम, 2019’ का पालन हुआ या नहीं। इसके अलावा, वे प्रायोजकों द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों की साइट के दस्तावेजों से तुलना कर डेटा की सत्यता भी सुनिश्चित करेंगे।”
यह जांच सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थानों में क्लीनिकल ट्रायल्स की निगरानी व्यवस्था को लेकर व्यापक असर डाल सकती है।
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