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संसद के अगले सेशन में खत्म होंगे 1500 से अधिक पुराने कानून : कानून मंत्री

| Updated: October 23, 2022 3:27 pm

केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोगों के जीवन में सरकारी भूमिका को कम करना चाहते हैं। इसलिए केंद्र संसद के शीतकालीन सत्र (winter session) के दौरान 1500 से अधिक पुराने और बेकार हो गए कानूनों को निरस्त (repeal) करेगा।

रिजिजू ने शनिवार को शिलांग में ‘रोजगार मेला’ में कहा कि अप्रचलित (Obsolete) कानून आम लोगों के सामान्य जीवन में बाधा हैं। आज के जमाने में ऐसे कानूनों का कोई तुक नहीं है। ये ऐसे कानून हैं, जो किताबों में रहने लायक ही हैं। रिजिजू ने कहा, “प्रधानमंत्री की इच्छा है कि लोगों के अनुपालन के बोझ (compliance burden) को कम किया जाए। ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे यथासंभव शांति से रह सकें। वह आम लोगों के जीवन में कम सरकारी भूमिका चाहते हैं।” बता दें कि मोदी ने शनिवार को 10 लाख कर्मियों के लिए भर्ती अभियान, रोजगार मेला का शुभारंभ किया।

उन्होंने कहा कि कानून आम लोगों को न्याय दिलाने के लिए हैं, न कि उन्हें परेशान करने के लिए। वे यह सुनिश्चित करने के लिए कुछ तंत्र निर्धारित (certain mechanisms) करने के लिए हैं कि आम लोगों का जीवन यथासंभव सामान्य हो।

रिजिजू ने मेघालय में एनपीपी के नेतृत्व वाली सरकार (NPP-led government) की प्रशंसा की। साथ ही यह इच्छा भी जताई कि आम लोगों के अधिक लाभ देने के लिए सरकार में भाजपा को अधिक भूमिका (more role) दी जाए। मेघालय में विधानसभा चुनाव करीब चार महीने में होने हैं।

रिजिजू ने कहा कि केंद्र पूर्वोत्तर (NE) पर विशेष ध्यान (special focus) दे रहा है। इसलिए ऐसा कोई कारण नहीं है कि यह क्षेत्र किसी भी क्षेत्र में पिछड़ जाएगा।

उन्होंने कहा, “पूर्वोत्तर को समृद्ध (prosperous) और भारत को एक शक्तिशाली राष्ट्र (powerful nation) बनाना भाजपा की इच्छा है। पार्टी 2047 तक भारत को समृद्ध और पूर्ण विकसित बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा निर्धारित लक्ष्यों को पूरा (fulfil the targets) करना चाहती है।”

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि गृह मंत्रालय राज्य में बाहरी लोगों की जांच के लिए मेघालय में आईएलपी (ILP) शुरू करने की मांग पर गौर कर रहा है। उन्होंने कहा, “चूंकि आईएलपी एक स्थानीय मांग है, इसलिए सरकार को सभी के व्यापक हित को ध्यान में रखते हुए सामूहिक निर्णय (collective decision) लेना होगा।”

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