नई दिल्ली: पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर से जुड़े मुद्दे पर भारत ने न तो कभी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता स्वीकार की है और न ही भविष्य में करेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह स्पष्ट संदेश मंगलवार देर रात अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से फोन पर बातचीत के दौरान दिया।
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बुधवार सुबह पत्रकारों को जानकारी दी कि यह बातचीत तब हुई जब प्रधानमंत्री मोदी कनाडा में G7 शिखर सम्मेलन में भाग ले रहे थे। यह फोन कॉल करीब 35 मिनट चला।
विदेश सचिव के अनुसार, राष्ट्रपति ट्रंप ने ऑपरेशन सिंदूर के बारे में जानकारी मांगी थी—जो कि पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में भारत की सैन्य कार्रवाई थी।
मिस्री ने बताया, “प्रधानमंत्री ने ट्रंप को बताया कि भारत की प्रतिक्रिया संतुलित और सटीक थी, और केवल पाकिस्तान व पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में मौजूद आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया। उन्होंने यह भी दोहराया कि भारत कभी किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता नहीं चाहता और न ही स्वीकार करेगा। इस पर भारत में सर्वदलीय राजनीतिक सहमति है।”
प्रधानमंत्री मोदी का यह स्पष्ट रुख तब सामने आया है जब ट्रंप ने बार-बार दावा किया कि कश्मीर में संघर्षविराम (सीज़फायर) उनकी मध्यस्थता से हुआ है, और उन्होंने भारत-पाक के बीच मध्यस्थता की पेशकश भी की थी—जिसे भारत ने पहले भी ठुकराया था।
पाकिस्तानी सैन्य प्रमुख से ट्रंप की मुलाकात के बीच फोन कॉल महत्वपूर्ण
मोदी-ट्रंप बातचीत ऐसे समय पर हुई है जब पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर अमेरिका दौरे पर हैं और राष्ट्रपति ट्रंप से उनकी बैठक तय है।
व्हाइट हाउस की सार्वजनिक कार्यक्रम सूची के अनुसार, जनरल मुनीर और ट्रंप के बीच वाशिंगटन के कैबिनेट रूम में दोपहर 1 बजे (भारतीय समय अनुसार रात 10:30 बजे) लंच बैठक होनी है। यह मुलाकात ऐसे समय हो रही है जब ईरान और इज़राइल के बीच युद्ध की संभावना बढ़ रही है, जो पाकिस्तान को भी अपनी चपेट में ले सकता है, क्योंकि उसकी सीमा ईरान से लगती है।
इस परिस्थिति में अमेरिका पर पाकिस्तान को समर्थन देने का दबाव बढ़ सकता है, जिसे वह क्षेत्रीय रणनीतिक सहयोगी मानता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा—सीज़फायर पाकिस्तान के अनुरोध पर हुआ
सीज़फायर को लेकर राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा किए गए दावे का खंडन करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट किया कि संघर्षविराम पाकिस्तान के अनुरोध पर हुआ था, और इस पर दोनों देशों की सेनाओं के बीच मौजूदा चैनल के माध्यम से संवाद हुआ।
विदेश सचिव मिस्री ने यह भी बताया कि “भारत-अमेरिका व्यापार समझौते का इस पूरे घटनाक्रम से कोई लेना-देना नहीं है।” इससे पहले कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि अमेरिकी व्यापार दबाव के चलते भारत और पाकिस्तान पीछे हटे।
राष्ट्रपति ट्रंप ने सार्वजनिक तौर पर कहा था—“न्यूक्लियर हथियारों से व्यापार मत करो, व्यापार करो”—जिसे उन्होंने एक शांति प्रयास के रूप में पेश किया था। भारत ने इन दावों को खारिज कर दिया है।
G7 के दौरान अमेरिका यात्रा का आमंत्रण, लेकिन मुलाकात नहीं हो पाई
विदेश सचिव ने बताया कि राष्ट्रपति ट्रंप ने प्रधानमंत्री मोदी को अमेरिका आने का आमंत्रण भी दिया था, लेकिन पहले से तय कार्यक्रमों के चलते पीएम मोदी ने यह निमंत्रण स्वीकार नहीं किया।
फोन कॉल, जो कि राष्ट्रपति ट्रंप के आग्रह पर हुआ, दरअसल G7 सम्मेलन के दौरान प्रस्तावित आमने-सामने की मुलाकात का विकल्प था। लेकिन ट्रंप के सम्मेलन से पहले चले जाने के कारण यह मुलाकात संभव नहीं हो पाई।
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