रक्षा बंधन एक ऐसा पर्व जिसमें बहन अपने भाई को राखी बांधती है और उसकी लंबी उम्र की प्रार्थना करती है. लेकिन यह पर्व सिर्फ भाई-बहन के निस्वार्थ प्रेम का पर्व नहीं है. यह सिर्फ एक धर्म से जुडा पर्व भी नहीं है. आज हम कुछ ऐसे किस्सों की बात करते है जहां भाई-बहन का संबंध अत्यंत भिन्न है।
भाई और पिता का फर्ज एक साथ
ईवेंट मैनेजर राशि कश्यप ने वाइब्ज़ ऑफ इंडिया को अपना रक्षाबंधन का अनुभव बताते हुए कहा की, ”5 मई और 10 मई 2021 को मेरी मां और मेरे पिताजी की कोविड में मृत्यु हो गई। लेकिन उसके बाद मुझे अपने भाई में बड़ा अंतर महसूस हुआ है और वह सिर्फ मेरा भाई नहीं है लेकिन उस के बाद वो भाई और पिता दोनों की जिम्मेदारी निभाने लगे। वो मम्मी पापा की कमी पूरी करने की पूर्णतया रूप से कोशिश करते है। मेरा भाई हमारे घर का सबसे मुख्य स्तंभ है, वह हमारे सुपर हीरो है.. । उन्होंने हमें सकारात्मक तरीके से बढ़ने में मदद की। यह राखी कुछ ऐसी है जिसे हम शब्दों में बयान नहीं कर सकते क्यूंकी यह हमारे माता-पिता के बिना और मजबूत भाई और परिवार के साथ पहली राखी होगी।”
धर्म और मजहब से अलग भाई बहन का रिश्ता
ग्राहिणी मानवी ने अपने असल ज़िंदगी के भाई बहन के रिश्ते को प्रदर्शित करते हुए बताया की, “कुछ रिशतें धर्म मजहब से नहीं पर दिल से जुड़े होते है, ऐसा ही मेरे साथ हुआ अपने सगे भाई से चाहे में दूर थी पर, मुझे धर्म के आधार पर भेदभाव को मिटा कर साजिद भैया ने हर मुश्किल से मुश्किल परिस्थिति में मेरी मदद की, रक्षा की डोर को धर्म देख कर नहीं वरन जुड़ाव , प्रेम व दिल के संबंध देखकर बांधना चाहिए।”
भाई बहन का प्रेम जो कोविड भी ना रोक सके
रायपुर की रहने वाली प्राशी ने अपने राखी के अनुभव को बताते हुए कहा की 2020 की रक्षाबंधन पर कोविड के चलते वो अपने भाई से मिलने रीवा नहीं या पाई पर उसके भाई ने रक्षाबंधन को उनके बिना नहीं मनाने का निर्णय लिया था तो उनके भाई पूरे कोविड नियमों का पालन करते हुए सुबह को ही राखी के दिन उनके घर सरप्राइज़ देने पहुंचे। प्राशी ने खुशी जाहीर करते हुए कहा की, “भले ही मेरा भाई मुझसे छोटा है पर मुझे खुश करने में और सप्राइज़ देने में वो कोई कसर नहीं छोड़ता।”
हमारी वाली वर्चुअल रक्षाबंधन
राजस्थान निवासी प्रेम 4 वर्षों से अपनी बहन से नहीं मिले है और रक्षाबंधन वाले दिन वर्चुअली एक दूसरे के साथ रक्षाबंधन मानते है।प्रेम ने वाइब्ज़ ऑफ इंडिया से बात करते हुए बताया की, “चंदा(बहन)चाहे हमसे मीलों दूर दुबई रहती है पर रक्षाबंधन पर हम तीनों भाइयों को किसी भी तरह वर्चुअली सप्राइज़ करने से पीछे नहीं हटती है।
सम्मान और कर्तव्य की डोर
अहमदाबाद निवासी रेनू पोखरना अपने कुछ साथियों के साथ मिल कर मजदूरों, सब्जी बेचने वालों , चौकीदारों को राखी बांध कर उन्हे अपनेपान का एहसास करती है। रेनू ने बताया की, “अन्य राज्यों से यहाँ आए हुए सभी मजदूरों, सब्जी बेचने वालों, चौकीदारों को कहीं ना कहीं इस दिन बहनों की कमी खलती होगी, जहां यह सब लोग हमारे लिए इतना कुछ करते है तो इसी बात को ध्यान में रख कर हम 60 महिलाओं ने आगे होकर यह पहल की।”