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आरएसएस नेता ने जताई गरीबी, बेरोजगारी और असमानता पर चिंता

| Updated: October 4, 2022 9:58 am

नई दिल्लीः आरएसएस (RSS) के महासचिव दत्तात्रेय होसबाले ने देश में बेरोजगारी, गरीबी और आर्थिक असमानता (economic inequality) को लेकर चिंता जताई है। कहा कि इसने दशकों से भारत को राक्षसों के रूप में चुनौती दी हुई है और देश के दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में उभरने के बावजूद समस्या के रूप में बनी हुई है। उन्होंने कहा, “भारत ने आत्मनिर्भर होने का सकारात्मक प्रयास (attempted positively to be self-reliant) किया है और विश्व समुदाय ने इसकी पहल को स्वीकार किया है। वैसे देश ने हाल के दिनों में आर्थिक क्षेत्र में सफलता प्राप्त की है, लेकिन उसे कुछ मुद्दों को तत्काल संभालने की जरूरत है। “

आरएसएस के स्वदेशी जागरण मंच (SJM) द्वाया आयोजित एक वेबिनार में बोलते हुए

होसबाले ने कहा,” नवरात्रि के नौ दिनों के बाद, जिस तरह से मां दुर्गा ने विजयदशमी के अवसर पर राक्षसों को मार डाला, देश को भी दानव जैसी चुनौतियों से छुटकारा पाने की जरूरत है जो वह दशकों से झेल रहा है और उनमें से एक गरीबी है। इसे फौरन खत्म किया जाना चाहिए। हमें इस चुनौती पर जीत हासिल करनी होगी।” लाल बहादुर शास्त्री की जयंती के अवसर पर बेबिनार का आयोजन स्वावलंबी भारत अभियान के तहत किया गया था, जो युवाओं में उद्यमशीलता कौशल विकसित (an attempt to inculcate entrepreneurial skills amongst the youth) करने का एक प्रयास है।

होसबाले ने कहा, “कुछ आंकड़ों के अनुसार, 20 करोड़ लोग अभी भी गरीबी रेखा से नीचे हैं, जो काफी निराशाजनक है। 23 करोड़ लोगों की प्रतिदिन की आय 375 रुपये से कम है। जून में प्रकाशित श्रम बल सर्वेक्षण (The Labour Force survey) ने संकेत दिया कि देश में चार करोड़ बेरोजगार हैं और बेरोजगारी दर 7.6% है।”

उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में स्थिति में सुधार हुआ है, जबकि 10 साल पहले देश में 22% गरीबी थी, यह अब 18% है। उन्होंने कहा, “2020 में  प्रति व्यक्ति आय 1.35 लाख रुपये प्रति वर्ष थी, जो 2022 में बढ़कर 1.5 लाख रुपये हो गई है।”

हालांकि, उन्होंने कहा कि दशकों से जारी बेरोजगारी और गरीबी के मुद्दे पेचीदा हैं और एक अन्य प्रमुख मुद्दा जिस पर देश को ध्यान देना चाहिए वह है आर्थिक असमानता की व्यापकता। यह अच्छा है कि देश को दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में स्थान दिया गया है। लेकिन भारत की शीर्ष एक प्रतिशत आबादी के पास देश की आय का पांचवां (20%) हिस्सा है। वहीं, देश की 50% आबादी के पास देश की आय का केवल 13% है। हमें इस आर्थिक असमानता के बारे में सोचना चाहिए।

भारत में गरीबी और विकास की स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र द्वारा की गई टिप्पणियों का उल्लेख करते हुए, होसबाले ने कहा, “भारत के संदर्भ में संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट कहती है कि देश के एक बड़े हिस्से में अभी भी स्वच्छ पानी (large part of the country still does not have access to clean water)और पौष्टिक भोजन (nutritious food) की पहुंच नहीं है। गरीबी भी समाज में तनाव और शिक्षा के खराब स्तर का एक कारण है।”

उन्होंने कहा कि सरकार ने नई शिक्षा नीति लागू की है और उम्मीद की जानी चाहिए कि इससे वांछित परिणाम (desired results) मिलेंगे। उन्होंने कहा, “दशकों की त्रुटिपूर्ण नीतियों के परिणामस्वरूप बड़े पैमाने पर गांवों से शहरों की ओर पलायन हुआ। जब गांव खाली हो गए, शहरों में जीवन नरक जैसा हो गया। वर्तमान सरकार ने प्रतिमान परिवर्तन (to make paradigm changes) करने के लिए कई पहल की हैं। वैसे जैसी चुनौतियां बनी रहती हैं, अधिक जागरूकता और चेतना पैदा करने के लिए पहल करने की आवश्यकता (to take initiatives to create more awareness and consciousness) है। ” उन्होंने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में शुरू किया गया “आत्मनिर्भर भारत” अभियान महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री जैसे नेताओं को सच्ची श्रद्धांजलि है।

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