अहमदाबादः 36वें राष्ट्रीय खेलों में ट्रायथलीटों को 20 किलोमीटर साइकिल चलाने और 5 किलोमीटर दौड़ने के अलावा खुले पानी में 750 मीटर से अधिक की प्रतियोगिता के लिए साबरमती नदी में तैरना था। लेकिन अब वे भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (Indian Institute of Technology), गांधीनगर में एक ओलंपिक आकार के पूल में तैरेंगे, जिसकी लंबाई 50 मीटर ही है।
कारण: साबरमती नदी के हरे रंग को आयोजकों ने ‘गंदा और संक्रामक’ (unhygienic and infectious) बताया है, जिससे तैराकों को संक्रमण (infections) हो सकता है।
जुलाई के बाद से, जब भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) ने गुजरात को राष्ट्रीय खेलों के मेजबान के रूप में घोषित किया, अमदावाद नगर निगम (Amdavad Municipal Corporation) के अधिकारियों ने साबरमती के पानी की गुणवत्ता की जांच (to check the quality) के लिए कई परीक्षण किए थे।
गुजरात राज्य ओलंपिक संघ के उपाध्यक्ष वीरेंद्र नानावती के मुताबिक, “परिणामों से पता चला कि पानी की क्वालिटी बिल्कुल भी अच्छी नहीं थी। चूंकि पानी बहुत प्रदूषित है, इसलिए यह सुझाव दिया गया था कि यह आयोजन यहां नहीं होना चाहिए। ” उन्होंने कहा, “हमने तर्क दिया कि रोइंग (जो यहीं हो रहा है) में तो वे नावों को पानी में डालते हैं, इसलिए लोग सीधे इसके संपर्क में नहीं आते हैं। तैराकी में ऐसा नहीं है। अगर वे पानी में तैरते हैं, तो हम लोगों को संक्रमित करने का जोखिम उठाते हैं।”
नानावती ने कहा कि नदी में नालियों का पानी छोड़े जाने के कारण यह जगह खराब हो गई है। वह खुद भी अनुभवी तैराक हैं। इसलिए उन्होंने कहा, “हमें उम्मीद थी कि मानसून शुरू होते ही यह बेहतर हो जाएगा। माना जा रहा था कि पानी धुल जाएगा और साफ हो जाएगा। लेकिन वास्तव में ऐसा कुछ नहीं हुआ। ”
इसलिए अंतिम क्षण में, ट्रायथलॉन स्थल को गांधीनगर में स्थानांतरित कर दिया गया।
ट्रायथलॉन में तीन खंड होते हैं: 750 मीटर तैरना, 20 किमी साइकिल चलाना और 5 किमी सड़क दौड़।
ट्रायथलॉन प्रतियोगिता के प्रबंधक हरीश प्रसाद के अनुसार, पानी की गुणवत्ता का परीक्षण नियमित रूप से किया जाता है और आयोजन शुरू होने से लगभग एक पखवाड़े पहले अंतिम परीक्षण किया जाता है। उन्होंने कहा, “यहां पानी पीने की जरूरत नहीं है, लिहाजा इसे एथलीट को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए।”
अहमदाबाद का रिवरफ्रंट ट्रायथलॉन की मेजबानी के लिए एक आदर्श स्थान के रूप में उभरा था, क्योंकि इसमें दौड़ के एक खंड से दूसरे खंड में जाने के लिए एक आदर्श सैरगाह भी है। यह उन सड़कों के करीब है, जिनका उपयोग साइकिल चलाने और दौड़ने के लिए किया जा सकता है।
पोरबंदर ने 2007 में ट्रायथलॉन राष्ट्रीय चैंपियनशिप कराई थी। इसलिए वह एक विकल्प के रूप में उभरा। हालांकि, वहां दौड़ कराने से आयोजकों को एक छोटे से शहर में सैकड़ों लोगों को समायोजित करने की तार्किक समस्या का सामना करना पड़ता। इसका मतलब यह भी होगा कि खेलों को छह से सात शहरों तक फैलाना- जो एक और बाधा होती।
गुजरात के खेल प्राधिकरण (Sports Authority) के एक अधिकारी के अनुसार, राज्य सरकार की मगरमच्छ संरक्षण परियोजना (crocodile conservation project) के कारण अन्य स्थानों पर विचार नहीं किया गया था। अधिकारी ने कहा कि पूरे गुजरात में कई नदियां और झीलें सरीसृप (reptile) से भरी हुई हैं, जिससे वहां तैराकी कराना खतरनाक हो गया है। यहां तक कि अगर मगरमच्छ मुक्त स्थान (crocodile-free venues) थे भी, तो साइकिल चलाने के लिए पानी बिना सड़क आसानी से उपलब्ध नहीं थी।
सितंबर की शुरुआत में बात यहां तक पहुंच गई कि इस खेल को ही प्रोग्राम से लगभग हटा दिया गया था।
एक अलग चुनौतीः
हालांकि स्विमिंग पूल में ट्रायथलॉन तैराकी दौड़ कराना अनसुना नहीं है, लेकिन असामान्य है। इसलिए कि ओलंपिक खेलों सहित सभी शीर्ष दौड़ प्रतियोगिता खुले पानी में ही होती हैं।
9 से 11 अक्टूबर तक, 23 राज्यों के कुल 32 पुरुष और 16 राज्यों की 30 महिलाएं राष्ट्रीय खेलों के तहत ट्रायथलॉन में भाग लेंगी। दो एथलीट एक लेन पर होंगे और भीड़ से बचने के लिए दो तरंगों में पूल में कूदेंगे। प्रत्येक को पूल में 15 लैप्स तैरना होगा।
भारत की शीर्ष ट्रायथलीट प्रज्ञा के पिता और कोच प्रताप मोहन ने कहा कि खुले पानी में तैरना बहुत कठिन है। मोहन ने कहा, “खुले पानी में तैराक को तैरने के लिए अपनी खुद की लाइन ढूंढनी पड़ती है, जिससे यह और भी चुनौतीपूर्ण हो जाता है।” उन्होंने कहा, “और एक पूल में आपको हर 50 मीटर पर दीवार से धक्का भी लगता है, जो गति को बढ़ाता है।”
हालांकि, इस खेल को कराने की चुनौती स्वच्छ पानी की उपलब्धता के साथ समाप्त नहीं हुई। आईआईटी परिसर के बाहर की सड़क, जहां आयोजकों को साइकिल दौड़ कराने की उम्मीद थी, असमान और ऊबड़-खाबड़ थी। इससे दौड़ आयोजित करना जोखिम भरा था।
हालांकि, 10 दिनों के भीतर शहर प्रशासन द्वारा लगभग 5 किमी की दूरी को फिर से खोल दिया गया। प्रताप ने कहा, “थोड़े समय में सभी की मदद से हम सब कुछ प्राप्त कर सकते हैं। इसमें साइकिल दौड़ के लिए परिसर के ठीक बाहर सड़क को फिर से बनाना भी शामिल है। आखिरकार यह सब यहां रहने वाले लोगों के लिए फायदेमंद ही होगा।”