D_GetFile

धार्मिक स्थलों के प्रबंधन के लिए समान कानून वाली याचिका पर सुनवाई 19 सितंबर तक स्थगित

| Updated: September 2, 2022 12:13 pm

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध के धार्मिक स्थलों पर सरकारी नियंत्रण के खिलाफ अश्विनी उपाध्याय की याचिका पर सुनवाई 19 सितंबर तक के लिए टाल दी है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह याचिका में रखी गई दलीलों के समर्थन में ठोस आंकड़े और सबूत पेश करें। याचिकाकर्ता ने इसके लिए दो हफ्ते का समय मांगा, जिस पर कोर्ट ने सुनवाई टाल दी। सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश जस्टिस यूयू ललित की नेतृत्व वाली पीठ अब वकील अश्विनी उपाध्याय की ओर से दायर इस याचिका पर 19 सितंबर को सुनवाई करेगी।

अश्विनी कुमार उपाध्याय समेत अन्य की ओर से दाखिल याचिकाओं में कहा गया है कि हिंदुओं, सिखों, जैनों और बौद्ध धार्मिक संस्थाओं का रखरखाव और प्रबंधन का अधिकार राज्य सरकारों के पास है। लेकिन मुस्लिम, पारसी और ईसाई अपनी संस्थाओं का नियंत्रण खुद करते हैं। याचिका में कहा गया है कि मठ-मंदिरों पर नियंत्रण करने के लिए 35 कानून हैं, लेकिन मस्जिद, मजार, दरगाह और चर्च के लिए एक भी कानून नहीं है। इस तरह चार लाख मठ-मंदिर तो सरकार के नियंत्रण में हैं, लेकिन एक भी मस्जिद, मजार, चर्च और दरगाह पर सरकारी नियंत्रण नहीं है।

याचिका में ऐसे निर्देश देने की मांग की गई है कि जिसके तहत हिंदू, जैन, बौद्ध और सिख अपने धार्मिक संस्थानों का प्रबंधन और प्रशासन बिना राज्य सरकार के हस्तक्षेप के कर सकें। याचिकाकर्ता ने कहा कि जिस प्रकार मुसलमानों और ईसाइयों को अपने धार्मिक संस्थानों के प्रबंधन का अधिकार है, उसी तरह हिंदू, सिख, जैन और बौद्धों को भी अधिकार मिलना चाहिए। याचिकाकर्ता के वकील अरविंद दत्ता ने शीर्ष अदालत को बताया कि उन्होंने कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु, पुड्डुचेरी, तेलंगाना के कानून को चुनौती दी है। सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि यह चुनौती क्यों दी गई है, क्योंकि ऐसा लंबे समय से चल रहा है। वकील दत्ता ने कहा कि सरकार 58 मुख्य मंदिरों को अपने नियंत्रण में लिए हुए है, यह सीधे तौर पर संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन है। यह अंग्रेजों के समय का कानून है। अब सरकार चर्च और अन्य धर्मिक स्थलों को अपने नियंत्रण में क्यों नहीं लेना चाहती है।

वकील गोपाल शंकरनारायण ने बताया कि कर्नाटक में 15 हज़ार मंदिर बंद हो गए, क्योंकि उनके पास मैनेजमेंट के लिए पैसे नहीं थे। सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि आप किस आंकड़े के आधार पर 15 हज़ार मंदिरों के बंद होने का दावा कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मंदिरों में आने वाला पैसा आम लोगों का है, जो आम लोगों के पास ही वापस चला जाता है। आप तिरुपति का उदाहरण ले सकते हैं। उसके पैसे से स्कूल और कॉलेज खोले गए हैं।

Your email address will not be published. Required fields are marked *