बढ़ रही है कन्नौजी इत्र की खुशबू - Vibes Of India

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बढ़ रही है कन्नौजी इत्र की खुशबू

| Updated: January 2, 2022 21:06

उत्तर प्रदेश का कन्नौज देश में “इत्र की राजधानी” के रूप में मशहूर है। वैसे राजनीतिक कारणों से थोड़ा-बहुत ध्यान पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के निर्वाचन क्षेत्र के रूप में भी खींचता है। लेकिन कसम से, अबकी चर्चित होने का गुलाब की खुशबू नहीं है, जो उत्तर प्रदेश में गंगा के बगल में स्थित इस शहर में इत्र बनाने में खूब इस्तेमाल होता है।

‘कन्नौजी अत्तर’ बाजार के केंद्र बड़ा बाजार की इन दिनों “छापे” और अलमारी, दीवारें और तहखानों से निकलते “करोड़ों” को लेकर ही बात हो रही है। एक उद्योग के लिए इसका क्या अर्थ हो सकता है, इस बारे में चिंता बढ़ रही है। इसलिए कि इन वजहों से यह कम से कम 400 साल पीछे चला गया है, जो हाल के वर्षों में विकास पथ पर अग्रसर रहा है।

विधानसभा चुनाव की बढ़ती गर्मी के बीच कम से कम तीन बड़ी छापेमारी हो चुकी है। सबसे दिलचस्प बात यह थी कि जीएसटी अधिकारियों ने कानपुर और कन्नौज परिसर में एक छोटे से इत्र व्यापारी पीयूष जैन के परिसर में 190 करोड़ रुपये से अधिक की वसूली का दावा किया था। चूंकि इस बारे में संदेह जताया जा रहा था कि क्या बिना किसी राजनीतिक लिंक संबंधों वाले “पी जैन” के यहां छापेमारी गलती से हो गई, इसलिए आयकर अधिकारी समाजवादी पार्टी से संबंध रखने वाले प्रमुख इत्र व्यवसायी पुष्पराज जैन “पम्पी” के कन्नौज स्थित परिसर में पहुंच गए। ऐसा ही फौजान मलिक के यहां भी हुआ। दोनों शहर के प्रमुख परफ्यूम व्यवसायी हैं।

यह मानने को कोई राजी नहीं है कि बड़ा बाजार में पान मसाला निर्माताओं को भी कच्चा माल सप्लाई करने वाले पीयूष जैन के घर से निकला पैसा दरअसल उन्हीं का है। एक स्थानीय निवासी कहते हैं, ”अगर परफ्यूम में इतना मुनाफा होता, तो कन्नौज इतना पिछड़ा शहर नहीं होता।”

कन्नौज के इत्र और परफ्यूमर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष पवन त्रिवेदी कहते हैं: “लोग सोच सकते हैं कि इत्र व्यवसाय में बहुत लाभ है। हमें दुनिया भर से फोन आ रहे हैं कि सरकारी एजेंसियां छापेमारी क्यों कर रही हैं।”

एसोसिएशन, जिसने छापेमारी पर चर्चा के लिए रविवार को एक बैठक बुलाई है, और जिला प्रशासन ने कन्नौज में इत्र व्यवसाय का मूल्य 1,200 करोड़ रुपये से अधिक रखा है। ऐसा तब है, जबकि शहर के बाहर चलने वाली उन दुकानों की तो गिनती ही नहीं की गई है, जो काफी संख्या में हैं।

इत्र का निर्यात अंतरराष्ट्रीय बाजारों में, खासकर मध्य पूर्व में किया जाता है।

दस लाख से अधिक की आबादी वाले इस शहर के लगभग 80% लोग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से इत्र उद्योग से जुड़े हैं। ये  फूलों की खेती करने वाले किसानों से लेकर इत्र की बोतलें बनाने और उन पर स्टिकर लगाने वाले तक हैं।

कोविड संक्रमण ने ऑनलाइन बाजार को बढ़ावा दिया है। एक व्यवसायी कहते हैं, “हम पहले उन्हें बेचते थे जो हमारी दुकानों पर आते थे। अब हमारे व्यवसाय की एक दिशा है।”

कन्नौज के निर्माता अब भी नई तकनीकों को छोड़कर पारंपरिक भाप-आसवन (डिस्टलेशन) वाली पद्धति को पसंद करते हैं। निखिल चौरसिया कहते हैं, “इत्र बनाने की यह विधि पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है, कन्नौजी इत्र को इसकी बेजोड़ सुगंध देता है। इन्हें किसी के साथ साझा नहीं किया जाता है।”

बड़ा बाजार के एक अन्य डीलर निशीश तिवारी का कहना है कि भाप वाली विधि में वे केवल तांबे के बर्तनों का उपयोग करते हैं। वह कहते हैं, “ऐसा कहा जाता है कि कन्नौज की नालियों में भी इत्र बहता है।” उन्होंने कहा कि अब तो शैम्पू और अगरबत्ती के साथ ही भोजन जैसे उत्पादों को बनाने में उपयोग होने वाले आवश्यक तेलों में भी बदल गए हैं।

माना जाता है कि कन्नौज की मौजूदा राजनीतिक विवाद की शुरुआत अखिलेश द्वारा नवंबर में ‘समाजवादी पार्टी सुगंध’ शुरू करने के साथ हुई थी, जिसे पार्टी एमएलसी पुष्पराज जैन ने तैयार किया था।

नाम नहीं बताने की शर्त पर एक स्थानीय निवासी ने कहा, “यह राजनीतिक स्टंट था। हमें तो यह भी नहीं पता कि समाजवादी पार्टी की सुगंध की बोतलें अब कहां हैं।”

हालांकि यहां सपा के लिए झुकाव का एकमात्र कारण है, विशेष रूप से 300 किलोमीटर आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे, जिसका उद्घाटन नवंबर 2016 में अखिलेश सरकार ने किया था, जिसने कन्नौज से यात्रा करना आसान और “सुरक्षित” दोनों बना दिया है। एक दुकानदार का कहना है, “चूंकि लखनऊ और आगरा आने-जाने का समय कम हो गया है, इसलिए कई व्यापारियों ने दोनों शहरों में दुकानें खोल ली हैं, जबकि उनका वर्कशाप अभी भी कन्नौज में हैं।”

अखिलेश ने सत्ता में लौटने पर एक अंतर्राष्ट्रीय परफ्यूम पार्क परियोजना को पूरा करने का वादा किया है, जिसकी आधारशिला 2016 में (विधानसभा चुनाव से एक साल पहले) रखी गई थी। साथ ही साथ एक इत्र संग्रहालय भी।

सपा ने हमेशा कन्नौज जिले को अपने गढ़ के रूप में देखा है। मुलायम सिंह यादव, बेटे अखिलेश और बहू डिंपल ने कई वर्षों तक लोकसभा और विधानसभा क्षेत्रों में यहां का प्रतिनिधित्व किया है। 2019 के संसदीय चुनाव में, मोदी लहर के बीच, डिंपल भाजपा के सुब्रत पाठक से मामूली अंतर से हार गईं।

एक व्यापारी का कहना है कि जब से भाजपा सत्ता में आई है, अपराध कम हुआ है। उन्होंने कहा, “सपा के शासन में लोगों का एक समूह नियमित रूप से व्यापारिक समुदाय को टारगेट कर परेशान करता था।”

लेकिन अन्य उम्मीदें भी हैं, जो अधूरी रह गईं। इनमें सबसे महत्वपूर्ण कन्नौज में गैस पाइपलाइन है। एक स्थानीय यूनिट के मालिक ने कहा, “हम पहले जलाने के लिए लकड़ी का इस्तेमाल कर लेते थे। लेकिन अब लकड़ी आसानी से उपलब्ध नहीं है। ” डीलर्स भी शिकायत करते हैं कि कोविड लॉकडाउन के बाद से कमाई घटकर आधी रह गई है।

पुष्पराज जैन और मलिक दोनों जैन स्ट्रीट के मंडई में रहते हैं और वहीं धंधा करते। उनसे कुछ ही दूर पर पीयूष जैन भी रहते हैं। एक स्थानीय डीलर का कहना है कि मलिक शहर के सबसे पुराने परफ्यूम कारोबारी में से एक हैं। वह कहते हैं, “कन्नौज में कहा जाता है कि लगभग सभी इत्र व्यवसायी मलिक और उनके परिवार से किसी न किसी समय प्रत्यक्ष या प्रत्यक्ष रूप से जुड़े रहे हैं।”

पीयूष जैन की तरह उन पर छापेमारी ने कन्नौज को भी हैरान कर दिया है। त्रिवेदी कहते हैं, ''मैंने फौजान और उसके परिवार को कभी किसी राजनीतिक कार्यक्रम में शामिल होते न तो देखा, न ही सुना। पुष्पराज जैन और मलिक दोनों जैन स्ट्रीट से मंडई में रहते हैं और अपने आउटलेट चलाते हैं, जो एक दूसरे से बहुत दूर नहीं है और जहां से पीयूष जैन भी रहते हैं। एक स्थानीय डीलर का कहना है कि मलिक शहर के सबसे पुराने परफ्यूम कारोबार में से एक चलाता है. "कन्नौज में कहा जाता है कि लगभग सभी इत्र व्यवसायी मलिक और उनके परिवार से किसी न किसी समय प्रत्यक्ष या प्रत्यक्ष रूप से जुड़े रहे हैं।"

पीयूष जैन की तरह उन पर छापेमारी ने कन्नौज को भी हैरान कर दिया है. त्रिवेदी कहते हैं, ”मैंने फौजान और उसके परिवार को कभी किसी राजनीतिक कार्यक्रम में शामिल होते न तो देखा, न ही सुना।”

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