अहमदाबाद: विटामिन बी12 की कमी के कारण मेडिकल बीमा नहीं देने वाली कंपनी को भुगतान का आदेश

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अहमदाबाद: विटामिन बी12 की कमी के कारण मेडिकल बीमा नहीं देने वाली कंपनी को भुगतान का आदेश

| Updated: November 28, 2022 12:07

अहमदाबाद: जिला उपभोक्ता आयोग ने एक बीमा कंपनी को एक मेडिकल बीमा दावे का भुगतान करने का आदेश दिया है। इसे बीमाकर्ता (insurer) ने यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया था कि रोगी को जो बीमारी हुई है, वह विटामिन बी12 की कमी के कारण हुई है। ऐसा बढ़िया खाना नहीं खाने के कारण हुआ, क्योंकि वह शाकाहारी है।

आयोग ने बीमाकर्ता की दलील को ठुकराते हुए मेडिकल बीमा का लाभ देने का निर्देश दिया। उसने कहा कि रोगी का शाकाहारी होना, उसकी गलती नहीं है। ऐसे में कंपनी ने दावे को ठुकराने के लिए गलत कारण बताया है।

यह मामला नारनपुरा के मीत ठक्कर का है। उनका अक्टूबर 2015 में एक सप्ताह के लिए एक प्राइवेट अस्पताल में चक्कर, मतली, शरीर के बाएं हिस्से में भारीपन और कमजोरी के लिए इलाज किया गया था। उन्हें ट्रांसिएंट इस्केमिक अटैक (TIA का पता चला था और उनका होमोसिस्टीन स्तर सामान्य के मुकाबले 23.52 था। इसका नॉर्मल रेंज 5 से 15 ही होता है। इलाज पर उनका 1.06 लाख रुपये का बिल आया। चूंकि ठक्कर के पास न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी लिमिटेड से 5 लाख रुपये का हेल्थ कवर था, इसलिए उन्होंने दावा किया।

बीमाकर्ता ने डॉक्टर की राय का हवाला देते हुए दावे को खारिज कर दिया। कहा कि ठक्कर को हाइपरहोमोसिस्टीनमिया (hyperhomocysteinemia) विटामिन बी12 की कमी के कारण हुआ था और यह पौष्टिक भोजन की कमी के कारण था। ठक्कर ने उपभोक्ता संरक्षण और कार्रवाई समिति के वकील मुकेश पारिख के माध्यम से उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (Consumer Dispute Redressal Commission), अहमदाबाद जिला (अतिरिक्त) में बीमाकर्ता पर मुकदमा दायर किया। कहा कि बीमा कंपनी ने दावे को अस्वीकार करने के लिए गलत आधार का हवाला देते हुए रोगी को ही दोषी ठहरा दिया है। विटामिन की कमी आजकल लोगों में बहुत आम है।

मामले की सुनवाई के बाद आयोग ने कहा कि शाकाहारी लोगों को बी12 की कमी का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन ठक्कर की बीमारी का कारण सिर्फ इसे या उनकी अपनी गलती के कारण नहीं माना जा सकता है। डॉक्टर ने कहा कि आमतौर पर शाकाहारी लोग बी12 की कमी से पीड़ित होते हैं, लेकिन बीमा कंपनी ने इसका गलत मतलब निकाल लिया और क्लेम खारिज कर दिया। आयोग ने अक्टूबर 2016 से बीमाकर्ता को 9% ब्याज के साथ 1.06 लाख रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया है। बीमाकर्ता को ठक्कर को मानसिक पीड़ा और कानूनी खर्च के मुआवजे के रूप में 5,000 रुपये का भुगतान करने का भी आदेश दिया गया है।

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