आज है विश्व सिंह दिवस: पांच साल में गुजरात में सिंहों की आबादी में 29 फीसदी की बढ़ोतरी - Vibes Of India

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आज है विश्व सिंह दिवस: पांच साल में गुजरात में सिंहों की आबादी में 29 फीसदी की बढ़ोतरी

| Updated: August 10, 2021 17:12

दुनिया आज विश्व सिंह दिवस मना रही है और गुजरात ने एशिया में शेरों के अस्तित्व को बनाए रखने का शानदार व काबिले-ए-तारीफ काम किया है। गुजरात में शेरों की आबादी पिछले पांच सालों में 29 फीसदी बढ़ी है। इसके साथ ही राज्य के जंगलों में वर्तमान में 674 वनराज विहार हैं।
विश्व सिंह दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री विजय रूपाणी, राज्यसभा सदस्य परिमल नथवानी सहित कई लोगों ने ट्वीट किए।

एशियाई शेरों के संरक्षण को प्राथमिकता देते हुए प्रधानमंत्री ने ‘लॉयन प्रोजेक्ट’ की घोषणा की है। इसके अलावा, गुजरात सरकार ने शेरों के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए अत्याधुनिक सिंह अस्पताल-शेर एम्बुलेंस सुविधा प्रदान की है। सौराष्ट्र में शेरों के आनुवंशिक लक्षणों को बनाए रखते हुए शेरों की प्रजातियों के प्रजनन के लिए तीन जीन पूल शुरू किए गए हैं।आने वाले दिनों में सासन गिर में एक अत्याधुनिक अस्पताल और एक रोग निदान अनुसंधान केंद्र स्थापित किया जाना है।

मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने राज्य वन विभाग द्वारा विश्व सिंह दिवस समारोह में गांधीनगर से वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से भाग लेते हुए एशिया में शान-सोरथ के सिंहों के संरक्षण, सार्वजनिक जीवन में जागरूकता फैलाने का प्रेरक आह्वान किया। उन्होंने कहा कि गुजरात भाग्यशाली और गौरवान्वित है कि गुजरात के पास एशियाई शेरों की विरासत है।

स्थानीय लोगों सहित सोरथ-गिर क्षेत्र के लोगों के जीवों के साथ भावनात्मक संबंध, शेर संरक्षण में योगदान और सार्थक प्रयासों के परिणामस्वरूप हाल के वर्षों में राज्य में शेरों की संख्या में 29 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। 2015 में 529 शेर थे, जो अब बढ़कर 674 हो गए हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह वृद्धि स्पष्ट रूप से दर्शाती है कि सौराष्ट्र में मानव आबादी के साथ-साथ शेरों का पालन-पोषण, सार्वजनिक जीवन में लोगों द्वारा स्वीकार किया जा रहा है । उन्होंने आशा व्यक्त की कि विश्व सिंह दिवस का उत्सव इस मानसिकता को जगाने और बच्चों और युवाओं सहित सभी को शेरों के संरक्षण, प्रजनन और संरक्षण के लिए प्रेरित करने के लिए उचित होगा।

उन्होंने हमारी संस्कृति में सिंह की महानता का वर्णन करते हुए कहा, “हमारे यहां नरसिंह अवतार हैं और शेर को शक्ति भक्ति के प्रतीक के रूप में सम्मानित किया जाता है ।” इतना ही नहीं, भारत के राजचिन्ह में भी शेर के चेहरे की प्रतिकृति है।

रूपानी ने राज्य में गिर के जंगलों से लेकर चोटिला, सायला, अमरेली, भावनगर जैसे जिलों में शेरों के निवास सीमा को 30,000 वर्ग किलोमीटर तक बढ़ाने में भी भूमिका निभाई।
रूपानी ने कहा कि अमरेली में अंबरडी और जूनागढ़ में इंद्रेश्वर के पास शेर सफारी विकसित की जा रही है ताकि पर्यटकों को शेरों को देखने में आसानी हो और गिर के जंगल के अलावा अन्य क्षेत्रों में पर्यटन गतिविधियों को विकसित किया जा सके।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने शेरों के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए सासंगीर में अत्याधुनिक लायन अस्पताल, लायन एम्बुलेंस, रेस्क्यू एंड रैपिड एक्शन टीम विकसित की है और ट्रेकर्स और वन्यजीव मित्र की एक नई अवधारणा विकसित की है।

सिंहों के आनुवंशिक लक्षणों को बनाए रखने के लिए सौराष्ट्र में तीन स्थानों पर जिन पूलों को शुरू किया गया है,जिसमे जूनागढ़ में रामपारा, सकरबाग और शेर प्रजातियों के प्रजनन के लिए सतविरदा।

वन और पर्यावरण मंत्री गणपत सिंह वसावा ने अपने संबोधन में यह भावना व्यक्त की कि गुजरात में शेरों के कारण पर्यटन गतिविधि भी तेजी से बढ़ी है और एशिया और स्थानीय रोजगार के अवसर खुल गए हैं।

उन्होंने कहा कि 2017 में विश्व सिंह दिवस के उपलक्ष्य में 5,000 स्कूलों और 11 लाख से अधिक लोगों को शामिल करके गुजरात ने वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में जगह बनाई।

वन मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री विजयभाई रूपाणी ने वन्यजीवों और उनके स्वास्थ्य के प्रति काफी सहानुभूति दिखाई है. पूर्व में शेरों में देखी गई बीमारी से बचाने के लिए अमेरिका से शेरों के लिए वैक्सीन मँगवाई गई थी।

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