कांवरियों के साथ किए जाने वाले विशेष व्यवहार को लेकर एआईएमआईएम (AIMIM) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने उत्तर प्रदेश सरकार पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा है कि अगर उन (कांवर यात्रियों) पर फूल बरसाये जा रहे हैं, तो अधिकारियों को कम से कम मुसलमानों के घरों पर बुलडोजर चलाने से तो बचाना ही चाहिए।
ओवैसी ने इन दिनों चल रही कांवड़ यात्रा के बारे में कई समाचार रिपोर्टों को साझा करने के लिए ट्विटर का सहारा लिया। कहा कि सरकार एक समुदाय से प्यार नहीं कर सकती और दूसरे से नफरत नहीं कर सकती। उन्होंने पूछा है, “यह भेद क्यों? ऐसा नहीं होना चाहिए? एक से नफरत और दूसरे से प्यार क्यों? एक धर्म के लिए ट्रैफिक डायवर्ट क्यों करें और दूसरे के लिए बुलडोजर चलाएं?”
एक अन्य ट्वीट में एआईएमआईएम प्रमुख ने इसकी तुलना ‘रेवड़ी’ बांटने वाली संस्कृति से की। कहा, “पुलिस कांवड़ियों पर फूलों की बौछार कर रही है, उनके पैरों पर लोशन लगा रही है। दिल्ली पुलिस ने लोहारों को उनके मार्ग से हटा दिया, ताकि कांवरिये परेशान न हों, यूपी सरकार ने उनके रास्ते में मांस पर प्रतिबंध लगा दिया। क्या यह रेवड़ी बांटने वाली संस्कृति नहीं है?”
‘रेवड़ी संस्कृति’ वाला ओवैसी का मजाक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर था, जिन्होंने हाल ही में इसके बारे में बात की थी। उन्होंने कहा था कि रियायतों की यह रेवड़ी बांटने वाली संस्कृति देश के लिए बहुत खतरनाक है।
ओवैसी ने सरकार के ‘सबका साथ, सबका विश्वास’ के नारे का जिक्र करते हुए भाजपा से सबके साथ समान व्यवहार करने को कहा। उन्होंने पूछा, “सबका साथ सबका विश्वास” का क्या हुआ? ओवैसी ने आगे कहा, “अगर कोई मुसलमान कुछ मिनटों के लिए भी खुली जगह में नमाज अदा करता है, तो इससे विवाद हो जाता है। मुसलमानों को पुलिस की गोलियों, हिरासत में संघर्ष, एनएसए, यूएपीए, लिंचिंग, बुलडोजर का सामना करना पड़ रहा है।”
एआईएमआईएम प्रमुख की टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब उत्तर प्रदेश में सार्वजनिक स्थानों पर मुसलमानों द्वारा नमाज अदा करने की कई घटनाएं सामने आई हैं, जिनमें गिरफ्तारियां की गई हैं। इनमें से एक घटना लखनऊ के लुलु मॉल में हुई, जहां कुछ लोगों ने शॉपिंग एरिया के अंदर नमाज अदा की। एक अन्य घटना में गोरखपुर में एक सरकारी अधिकारी के आवास के सामने एक बुजुर्ग को नमाज पढ़ते हुए पकड़ा गया।