गुजरात में द्रोपदी जैसा वस्त्रहरण - Vibes Of India

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गुजरात में द्रोपदी जैसा वस्त्रहरण

| Updated: July 15, 2021 13:08

साजनबेन की उम्र करीब 23 साल है। वह एक साल के बच्चे की मां हैं। उसके स्तनों में शायद ही कोई दूध होता है, फिर भी वह उसे दूध पिलाने की कोशिश करती हैं। इसलिए कि गांव के सुंदर रंगहीन कियोस्क से दूध खरीदने के लिए उसके परिवार के पास पैसे नहीं होते।
साजन की शादी 18 साल की उम्र में ही दिनेश कनियाभाई से कर दी गई थी। अपने गांव की ज्यादातर महिलाओं की तरह वह भी अनपढ़ हैं। गांव की अधिकतर महिलाओं की तरह उसे भी अपना चूल्हा जलाने के लिए दिन में कभी-कभी 14 घंटे काम करना पड़ता है। इस दौरान उसका बच्चा एक पुराने फटे-पुराने दुपट्टे में झूलता रहता है।

सीता गुजरात में दाहोद जिले में धनपुर तालुका के खजूरी गांव में रहती हैं। उनके गांव के 90 प्रतिशत से अधिक निवासी आदिवासी हैं। मूल आदिवासी। उसके जिले दाहोद में आदिवासियों की 72.3 प्रतिशत आबादी है। यह गुजरात के शीर्ष तीन जिलों में से एक है, जहां बहुसंख्यक आबादी अनुसूचित जनजाति वर्ग की है।

साजन उनका असली नाम है। और, वाइब्स ऑफ इंडिया जान-बूझकर उनके असली नाम का इस्तेमाल कर रही है, क्योंकि वह चाहती हैं कि उनकी कहानी सामने आए। वह कहती हैं कि शायद वह एक अच्छी पत्नी नहीं थीं, लेकिन एक बेहतरीन मां जरूर हैं। उनका दावा है कि उनके जिले में आदिवासियों, विशेष रूप से पुरुषों को आसानी से बहुविवाह की अनुमति है। अधिकतर साथी ग्रामीणों की तरह साजन और दिनेश भी काम की तलाश में सौराष्ट्र चले जाते हैं। उनका दावा है कि उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिलता है। ऐसे में वे सौराष्ट्र जाते हैं और निजी खेतों, निर्माण स्थलों या ईंट भट्टों में काम करते हैं।

उन्हें प्रतिदिन 100 रुपये से कम का भुगतान किया जाता है, लेकिन उन्हें रहने के लिए घर और पूरे परिवार के लिए भोजन दिया जाता है। खेतों में काम करने वाले सभी मजदूर आमतौर पर पटेलों या क्षत्रियों के होते हैं। उन्हें जो कुछ भी होता है उसका 50 प्रतिशत हिस्सा मिलता है। मानसून शुरू होते ही वे अपने गांवों को लौट जाते हैं। अन्य जगहों पर वे प्रति दिन 200 रुपये कमाते हैं। यानी तीन अमेरिकी डॉलर से भी कम। उन्हें साल में करीब 140 दिन काम मिलता है।

काम के सिलसिले में ऐसी ही एक यात्रा के दौरान सौराष्ट्र के एक ईंट भट्ठे पर हाल ही में साजन की मुलाकात चंदू से हुई। चंदू उसका असली नाम नहीं है, क्योंकि साजन नहीं चाहती कि उसकी पहचान को उजागर किया जाए। उसे लगता है कि पहचान उजागर होने पर उसे मार दिया जाएगा। वह उसके जीवन की सुरक्षा की भीख मांगती है। आदिवासी रीति-रिवाजों के अनुसार, एक बार जब वह लौटी, तो उसने अपने ससुराल वालों को बताया कि वह दिनेश से अलग होकर चंदू से शादी करना चाहती है। साजन का दावा है कि चंदू भी उसके ससुराल वालों से मिलने उसके घर आया था।

साजन का पति दिनेश नहीं चाहता था कि उसकी पत्नी उसे छोड़ दे। उसने उसे जाने देने से मना कर दिया। साजन कहती हैं, उनके मच्छर समुदाय में यह एक सामान्य प्रथा है। और, उनके सामाजिक मानदंड इसकी अनुमति देते हैं। उनका कहना है कि इस बात पति दिनेश ने उनके साथ मारपीट की।

खजूरी एक छोटा सा गांव है। उसकी आबादी 2700 से अधिक नहीं है। सामान्य काम के महीनों के दौरान मुश्किल से 300 लोग होते हैं। इनमें ज्यादातर बुजुर्ग, विकलांग और गर्भवती महिलाएं होती हैं। बाकी अपने जिले से बाहर खेतों पर दिहाड़ी मजदूरी खोजने जाते हैं। साजन कहती हैं कि उनके गांव में बहुत से लोग अपनी पत्नियों को छोड़ देते हैं। लेकिन शायद उन्हें इस बात का एहसास नहीं था कि वह एक औरत हैं, वह भी बहुत ही गरीब औरत।

पति दिनेश के साथ झगड़े के बाद साजन ने भागने का फैसला किया। उन्होंने ऐसा किया भी। चंदू दूसरे गांव में रहता था, लेकिन उसी धनपुर तालुका में। यहीं से परेशानी शुरू हुई। साजन का कहना है कि उसके पति और रिश्तेदारों की भीड़ उसके प्रेमी के घर पहुंच गई और उसकी पिटाई कर दी। उन्होंने उसे बहुत बुरी तरह चोट पहुंचाई।

लेकिन असली मुसीबत इसके बाद शुरू हुई। भीड़ के साथ पति उन्हें वापस खजूरी गांव ले गए। ससुराल वालों और भीड़ ने उसके पति को उकसाया, जो पहले से ही खुलेआम सड़क पर साजन की पिटाई कर रहा था। भीड़ ने दिनेश को और भड़काया। इस पर दिनेश ने पत्नी की साड़ी उतारी और उछालते हुए भीड़ के बीच फेंक दी। इससे भीड़ भी खुश हो गई। यह देख उसने ब्लाउज फाड़ दिया। भीड़ अब शांत होने का नाम नहीं ले रही थी। उसने साजन के पति को इस “रंडी” को नंगा करने के लिए प्रोत्साहित किया। इस पर दिनेश ने उनका पेटीकोट उतार दिया। साजन का कहना है कि पारिवारिक स्थिति आर्थिक रूप से इतनी दयनीय हो गई है कि उनके पास अंडर वियर खरीदने के लिए पैसे नहीं थे। लेकिन भीड़ में खड़ी सास ने उनके अर्धनग्न शरीर पर लपेटने के लिए एक दुपट्टा दिया। भीड़ खुशी से नाच रही थी। भीड़ ने दिनेश को अपने कंधों पर बैठाकर नाचने को कहा। फिर भीड़ ने उसे गांव में साजन की परेड कराने को कहा, ताकि उनके हिसाब से कामुक महिला को बेनकाब किया जा सके। जल्द ही इसमें अन्य पुरुष भी शामिल हो गए। उन्हें डंडों से पीटा गया। जब पीटा गया तो पुरुष खुशी से हंसते हुए झूम रहे थे। परिवार की कुछ महिलाएं भी इसमें शामिल हुईं।

इस पूरी घटना की कई लोगों ने मोबाइल से फिल्म बना ली। फिर मनोरंजन के लिए इसे वायरल भी कर दिया। यह उन सभी महिलाओं के लिए एक सबक था, जो जिले में विवाहेतर संबंध रखने की हिम्मत करती थीं।

गुजरात में यह भयंकर घटना 5 जुलाई को हुई थी। वीडियो 11 जुलाई को वायरल हुआ था।

साजन न्याय की मांग पर अडिग हैं। उन्होंने पति दिनेश समेत 19 लोगों के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है। वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस ने लोकेशन की पहचान करते हुए साजन को शिकायत दर्ज करने में मदद की। धनपुर थाने के सब-इंस्पेक्टर बीएम पटेल ने वाइब्स ऑफ इंडिया को बताया, ”कुछ दिन पहले सोशल मीडिया पर 15 से 20 पुरुषों को एक महिला के साथ अमानवीय व्यवहार करते हुए दिखाने वाला एक वीडियो वायरल हुआ था। गोधरा के रेंज के आईजी एमएस बरदा ने इसे गंभीरता से लेते हुए जांच के आदेश दिए हैं। तकनीकी जानकारी और मुखबिरों की मदद से हमने खजूरी गांव के आरोपियों की पहचान कर ली है।”

इसके लिए गुजरात पुलिस और खासकर दाहोद पुलिस की वाइब्स ऑफ इंडिया सराहना करती है। जैसे ही वीडियो वायरल हुआ और वे साजन को पहचान सके, वे उसकी मदद के लिए आगे आ गए। साजन अनपढ़ है। उनका कहना है कि पुलिस बहुत मददगार रही है। वह कहती हैं कि पुलिस की वजह से ही वह खुद को बहुत सुरक्षित महसूस कर रही हैं।

दाहोद के पुलिस अधीक्षक हितेश जोयसर 2011 कैडर के आईपीएस अधिकारी हैं। उन्होंने मामले को पूरी लगन से आगे बढ़ाया। उन्होंने वीओआइ से कहा, ”आज हमने मामले में शामिल 14 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। हम बाकी फरार लोगों की तलाश कर रहे हैं।” उन्होंने बताया कि साजन खुद नीचा देख रही थी, क्योंकि वह अपने प्रेमी के साथ भाग गई थीं। गांव और उनका समुदाय उन्हें और अन्य महिलाओं को सबक सिखाना चाहता था। इसलिए उन्होंने महिला का सार्वजनिक अपमान करने का फैसला किया।

जब वाइब्स ऑफ इंडिया ने दाहोद के डीडीओ तेजस परमार से संपर्क किया, तो उन्होंने बताया कि वे आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के अलावा महिला को सदमे से उबरने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। उन्होंने कहा, “हम महिला एवं बाल आयोग के एक अधिकारी को उनके गांव भेजेंगे। यह भीड़ के हमले का स्पष्ट मामला है। हम उन्हें मुआवजा देने की भी योजना बना रहे हैं।”

आरोपियों के नाम इस तरह हैं:

  1. दिनेशभाई मच्छर, पति
  2. पप्पू कनियाभाई
  3. भारत सावलभाई
  4. राकेश सावलभाई
  5. नवलसिंह कसनाभाई
  6. राकेश उर्फ नन्नू सान्याभाई
  7. महेलू सबूरभाई मच्छर
  8. सबिया दहरियाभाई
  9. संजय दितियाभाई
  10. दितिया नानाभाई
  11. मदिया दितियाभाई
  12. नवरिया कसनाभाई मच्छर
  13. लक्ष्मण सिबियाभाई मच्छर
  14. रंजीत अमलिया
  15. सबूर नानाभाई
  16. अखिल मदियाभाई
  17. मनीष सबियाभाई
  18. वीना बदियाभाई
  19. पंघड़ा बदियाभाई

इन सभी आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 143, 144, 146, 147, 149, 323, 292, 509, 34, 66 (I) और 67 (I) के तहत मामला दर्ज किया गया है। इनके खिलाफ कुल 11 धाराएं दर्ज की गई हैं।

इनपुट : सरफराज शेख और बरकतुल्ला खत्री

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