पेगासस पर संसदीय समिति के सदस्यों का पंगा, संसद की अवमानना पर थरूर ने की कार्रवाई की मांग - Vibes Of India

Gujarat News, Gujarati News, Latest Gujarati News, Gujarat Breaking News, Gujarat Samachar.

Latest Gujarati News, Breaking News in Gujarati, Gujarat Samachar, ગુજરાતી સમાચાર, Gujarati News Live, Gujarati News Channel, Gujarati News Today, National Gujarati News, International Gujarati News, Sports Gujarati News, Exclusive Gujarati News, Coronavirus Gujarati News, Entertainment Gujarati News, Business Gujarati News, Technology Gujarati News, Automobile Gujarati News, Elections 2022 Gujarati News, Viral Social News in Gujarati, Indian Politics News in Gujarati, Gujarati News Headlines, World News In Gujarati, Cricket News In Gujarati

पेगासस पर संसदीय समिति के सदस्यों का पंगा, संसद की अवमानना पर थरूर ने की कार्रवाई की मांग

| Updated: July 29, 2021 20:16

मंत्रालयों और विभागों द्वारा संसदीय स्थायी समिति के समक्ष उपस्थित होने से अंतिम समय में इनकार करना विशेषाधिकार का उल्लंघन और सदन की अवमानना है। इसके लिए कार्रवाई हो। औपचारिक कार्रवाई की यह मांग शशि थरूर ने की है।

दरअसल बैठक पेगासस और डेटा गोपनीयता पर चर्चा करने के लिए बुलाई गई थी। लेकिन पेगासस और डेटा गोपनीयता पर चर्चा करने के लिए महत्वपूर्ण मंत्रालयों, विभागों और सभी तीन विभागों ने इस बैठक में भाग नहीं लिया। थरूर ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को औपचारिक तौर पर यह स्पष्ट कर दिया है कि तीनों विभागों द्वारा अंतिम समय में बैठक में शामिल होने इनकार करना संविधान का सरासर उल्लंघन है।


यह बैठक सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) पर संसद की स्थायी समिति की बैठक थी, जिसमें पेगासस मुद्दे पर मिलने और चर्चा करनी थी। कांग्रेस नेता शशि थरूर इस समिति के अध्यक्ष हैं। इसलिए समिति के अध्यक्ष के नाते उन्होंने अनुपस्थित सदस्यों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि यह संसदीय विशेषाधिकार का उल्लंघन और सदन की अवमानना है।

इजरायली सॉफ्टवेयर पेगासस पर चर्चा के लिए संसदीय स्थायी समिति की यह बैठक 28 जुलाई को होनी थी। विषय था- “नागरिक डेटा सुरक्षा और गोपनीयता।” बैठक दोपहर तीन बजे निर्धारित की गई थी। आईटी कमेटी में 31 सदस्य हैं, जिनमें से 15 भाजपा के सांसद हैं। शशि थरूर समिति के अध्यक्ष हैं। भाजपा सांसद संसद में आए, लेकिन बिना किसी पूर्व सूचना के आईटी समिति की बैठक से अनुपस्थित रहने का फैसला किया। इन 15 भाजपा सांसदों के अलावा दूरसंचार, सूचना व प्रौद्योगिकी और गृह मंत्रालय के प्रतिनिधियों ने भी अंतिम समय में ईमेल भेजकर उपस्थित होने में असुविधा व्यक्त कर दी।

शशि थरूर

अब डॉ. शशि थरूर ने औपचारिक रूप से लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को संसदीय समिति के समक्ष उपस्थित रहने के लिए “मंत्रालय और विभाग के अभूतपूर्व इनकार” पर कार्रवाई करने को कहा है।
अध्यक्ष शशि थरूर ने 59(1) के निर्देशों का हवाला देते हुए जोर देकर कहा है,

“जहां किसी विभाग या उपक्रम के मंत्रालय को किसी मामले पर एक समिति के समक्ष साक्ष्य देने की आवश्यकता होती है, मंत्रालय या विभाग या उपक्रम का प्रतिनिधित्व सचिव या विभाग या उपक्रम के प्रमुख द्वारा किया जाएगा, जैसा भी मामला हो: हालांकि समिति का अध्यक्ष इस संबंध में अनुरोध किए जाने पर किसी अन्य वरिष्ठ अधिकारी को समिति के समक्ष मंत्रालय या विभाग या उपक्रम का प्रतिनिधित्व करने की अनुमति दे सकता है।

ओम बिरला

जाहिर है, बुधवार की बैठक कोरम की कमी के कारण स्थगित करनी पड़ी। इसके बाद भाजपा सदस्यों ने नाटक करते हुए बैठक के उपस्थिति रजिस्टर पर दस्तखत करने से इनकार कर दिया। यह भाजपा की सोची समझी रणनीति थी। चूंकि यह भारतीय संसद के इतिहास में एक अभूतपूर्व कदम था, इसलिए समिति के अध्यक्ष के नाते कांग्रेस सांसद शशि थरूर भाजपा की इस रणनीति का आकलन करने में विफल रहे। हालांकि अब डॉ. थरूर ने नियमों का हवाला देते हुए इस मुद्दे को दस्तावेजों में ला दिया है और भाजपा सांसदों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। गौरतलब है कि भारत में पेगासस के दुरुपयोग और अवैध उपयोग को उजागर करने में द वायर सबसे आगे रहा है।
अचरज की बात यह कि न केवल भाजपा सांसद बैठक में शामिल नहीं हुए, बल्कि आईटी मंत्रालय के अधिकारियों को भी, जिन्हें 20 जुलाई को बैठक के बारे में सूचित किया गया था, वे एक सप्ताह पहले से ही संसद के चल रहे मानसून सत्र का हवाला देते हुए बैठक में शामिल होने से बचते रहे। “अधिकारियों ने अंतिम समय में समिति को लिखा कि वे भाग नहीं ले पाएंगे, क्योंकि वे संसद सत्र के कारण अन्य बैठकों से जुड़े हुए हैं।” आईटी मंत्रालय और विभाग को भी 20 जुलाई को बैठक के तहत सूचित किया गया था। ऐसा लोकसभा में प्रक्रिया और कार्य संचालन के नियम 270 के तहत किया गया था, जो समिति को व्यक्तियों, कागजात और रिकार्ड को भेजने का अधिकार देता है। लोकसभा अध्यक्ष को लिखे पत्र में डॉ. थरूर ने जोर देकर कहा है कि तीनों मंत्रालयों/विभागों ने बैठक में भाग लेने की पुष्टि की थी।
उन्होंने कहा, “दरअसल बैठक शुरू होने से ठीक पहले मुझे सचिवालय की समिति शाखा ने यह बताया कि उपरोक्त तीन मंत्रालयों/विभागों से 20 जुलाई को दोपहर लगभग 3 बजे उसे ईमेल मिला, जिसमें सूचित किया गया कि उनके प्रतिनिधि समिति के समक्ष उपस्थित नहीं हो सकेंगे।”

दिलचस्प बात यह है कि बैठक दोपहर 3 बजे निर्धारित की गई थी, लेकिन इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने 28 जुलाई को दोपहर 2.44 बजे बैठक से ठीक 16 मिनट पहले एक ईमेल भेजा। इसमें कहा गया था कि “माननीय अध्यक्ष, चूंकि व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, 2019 पर संयुक्त समिति ने पीएचए में अध्यक्ष के चैंबर में 15.45 बजे व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक पर चर्चा/स्पष्टीकरण के लिए सचिव और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक तत्काल बैठक बुलाई है, इसलिए इस बैठक से अनुपस्थित रहने की अनुमति प्रदान करें।”

गृह मंत्रालय (एमएचए) ने भी यही किया और बैठक से 27 मिनट पहले दोपहर 2.33 बजे एक मेल आगे बढ़ा दिया, जिसमें संसद सत्र सुनिश्चित करने से संबंधित तत्काल और दबाव की प्रतिबद्धताओं के कारण बैठक में भाग लेने से छूट मांगी गई थी।

दूरसंचार विभाग, जिसे पेगासस पर इस महत्वपूर्ण बैठक में भाग लेना था, ने भी ऐसा करने में अपनी असुविधा व्यक्त की। विडंबना यह है कि इस विभाग ने आईटी समिति को बैठक से आठ मिनट पहले यानी 2.52 बजे सूचित किया कि वे “29 जुलाई के लिए सूचीबद्ध संसदीय प्रश्नों से संबंधित मसले पर तत्काल संसद संबंधी मामले” के कारण बैठक में शामिल नहीं हो पाएंगे।

Your email address will not be published. Required fields are marked *

%d