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बिलकिस बानो मामला: 11 दोषियों की रिहाई रद्द करने की याचिका पर 7 अगस्त को होगी अंतिम सुनवाई

| Updated: July 17, 2023 8:57 pm

सोमवार को सुप्रीम कोर्ट की न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना (BV Nagarathna) और उज्जल भुइयां की खंडपीठ ने बिलकिस बानो (Bilkis Bano) की याचिका पर सुनवाई की, जिसमें 2002 के गुजरात नरसंहार के दौरान उसके साथ सामूहिक बलात्कार और उसके परिवार की हत्या के दोषी 11 लोगों की जेल से समयपूर्व रिहाई को चुनौती दी गई थी।

बिलकिस द्वारा दायर याचिका में तर्क दिया गया है कि दोषियों की समय से पहले रिहाई कानून की दृष्टि से गलत है क्योंकि सांप्रदायिक दंगों (communal riots) के दौरान सबसे जघन्य अपराध उनके द्वारा किए गए थे।

पिछली सुनवाई में, सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच ने मामले को 17 जुलाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया था क्योंकि उत्तरदाताओं (दोषियों) की ओर से पेश हुए कुछ वकीलों ने दावा किया था कि उन्हें अदालत के नोटिस नहीं दिए गए थे। अदालत ने निर्देश दिया कि उत्तरदाताओं को नए नोटिस जारी किए जाएं।

आज अदालत ने दर्ज किया कि अब सभी दोषियों को नोटिस भेज दिया गया है। मामले को अंतिम निपटान के लिए 7 अगस्त को सूचीबद्ध किया गया है।

जब बानो के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया तब वह 21 साल की थी और गर्भवती थी। उनकी तीन साल की बेटी सहित उनके परिवार के सात सदस्यों की 11 दोषियों ने हत्या कर दी थी, जिसके लिए आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा हुई थी। लेकिन गुजरात सरकार (Gujarat government) ने दोषियों को 14 साल की कैद के बाद उनके “अच्छे व्यवहार” के कारण पिछले साल 15 अगस्त को सजा में छूट दे दी थी।

क्या था मामला?

साल 2002 में गुजरात में हुए गोधरा कांड के बाद प्रदेश में दंगे भड़क गए थे। दंगाई बिलकिस बानो के घर में घुस गए थे जिनसे बचने के लिए बानो अपने परिवार के साथ एक खेत में छिपकर बैठ गई थी। इस दौरान दंगाईयों ने 21 साल की बिलकिस जो 5 महीने की गर्भवती थी, उसके साथ गैंगरेप किया। उन दंगाईयों ने उसकी मां समेत तीन और महिलाओं के साथ भी दुष्कर्म किया और परिवार के 7 लोगों की हत्या कर दी। इस दौरान बानो के परिवार के 6 सदस्य भी गायब हो गए जिनका कभी पता नहीं चल सका। इसके बाद गैंगरेप के आरोपियों को 2004 में गिरफ्तार किया गया। वहीं 2008 में CBI की स्पेशल कोर्ट ने 11 दोषियों को उम्रकैद की सजा दी थी, लेकिन गुजरात हाईकोर्ट ने उन्हें समय से पहले ही 15 अगस्त को रिहा कर दिया। जिसके बाद बानो ने 30 नवंबर 2022 को इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए याचिका दायर की थी।

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