वीडियोकॉन मामले में पति दीपक कोचर के साथ ICICI बैंक की पूर्व सीईओ चंदा कोचर गिरफ्तार

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वीडियोकॉन मामले में पति दीपक कोचर के साथ ICICI बैंक की पूर्व सीईओ चंदा कोचर गिरफ्तार

| Updated: December 24, 2022 11:11

सीबीआई ने ICICI बैंक लोन धोखाधड़ी मामले में बैंक की पूर्व सीईओ चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर को गिरफ्तार कर लिया है। यह लोन ICICI बैंक ने वीडियोकॉन को 2009 और 2011 में दिया था। चंदा कोचर उस समय बैंक की एमडी और सीईओ थीं। सीबीआई ने चंदा कोचर, उनके पति और वीडियोकॉन ग्रुप के वेणुगोपाल धूत के साथ-साथ न्यूपॉवर रिन्यूएबल्स, सुप्रीम एनर्जी, वीडियोकॉन इंटरनेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज लिमिटेड के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया था।

आरोप है कि वीडियोकॉन के प्रमोटर वेणुगोपाल धूत ने 2012 में वीडियोकॉन ग्रुप को ICICI बैंक से लोन के रूप में 3,250 करोड़ रुपये मिलने के बाद कथित तौर पर न्यूपॉवर में करोड़ों रुपये का निवेश किया। भारतीय प्रवर्तन अधिकारियों (enforcement authorities) ने पहले आरोप लगाया था कि चंदा कोचर के अधीन ICICI बैंक ने वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज को “हाई वैल्यू” के लोन मंजूर किए, जो बैंक की उधार (lending) नीतियों का उल्लंघन था। बदले में वीडियोकॉन के मालिक ने दीपक कोचर द्वारा स्थापित कंपनी न्यूपॉवर रिन्यूएबल्स में निवेश किया।

करोड़ों रुपये के मनी लॉन्ड्रिंग घोटाले की जांच प्रवर्तन निदेशालय (ED) कर रहा था। आईसीआईसीआई-वीडियोकॉन लोन मामले के मुख्य आरोपियों में से एक कोचर को ईडी ने पिछले साल सितंबर में कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया था।

क्या है मामलाः

वीडियोकॉन समूह के चेयरमैन वेणुगोपाल धूत के कोचर के पति दीपक कोचर के साथ बिजनेस संबंध थे। वीडियोकॉन ग्रुप की मदद से बनी एक कंपनी बाद में दीपक कोचर की पिनैकल एनर्जी ट्रस्ट के नाम कर दी गई। आरोप है कि धूत ने दीपक कोचर की इसी कंपनी के जरिये लोन का एक बड़ा हिस्सा ट्रांसफर किया था। आरोपों के मुताबिक, 94.99 प्रतिशत होल्डिंग वाले ये शेयर सिर्फ 9 लाख रुपये में ट्रांसफर कर दिए गए।

बैंक ने शुरू में कोचर के खिलाफ मामले को रफा-दफा करने की कोशिश की। इसमें सफलता नहीं मिली, जिससे जांच के आदेश देने पड़ गए। आईसीआईसीआई बैंक ने 30 मई 2018 को घोषणा की थी कि बोर्ड व्हिसल ब्लोअर के आरोपों की ‘विस्तृत जांच’ करेगा। फिर जांच की जिम्मेदारी सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज बीएन श्रीकृष्णा को दे दी गई। जनवरी 2019 में जांच पूरी हुई और चंदा कोचर को दोषी पाया गया। 2020 के शुरू में ईडी ने चंदा कोचर, दीपक कोचर और उनके स्वामित्व एवं नियंत्रण वाली कंपनियों से संबंधित 78 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क कर ली थी।

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