छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Chhattisgarh chief minister Bhupesh Baghel) ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए एक अलग कॉलम निर्धारित करते हुए जनगणना कराने (Census conducted) का आग्रह किया। वैसे आखिरी जनगणना 2011 में हुई थी।
पत्र में उन्होंने कहा कि ओबीसी के लिए आरक्षण के “महत्वपूर्ण और संवेदनशील” मुद्दे पर जल्द से जल्द आवश्यक पहल और निर्णय लिए जाने चाहिए।
“अप्रैल 2023 में, मैंने छत्तीसगढ़ के ओबीसी के लिए 27% आरक्षण का लाभ और इस विषय को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करने का अनुरोध किया था। मुझे यकीन है कि आप इस बात से सहमत होंगे कि सदियों से सामाजिक-राजनीतिक अधिकारों से वंचित ओबीसी की बड़ी आबादी को आरक्षण देना जरूरी है। संविधान द्वारा प्रदत्त समानता और सामाजिक न्याय की भावना को बनाए रखने के लिए ऐसा निर्णय आवश्यक है, ”बघेल ने पत्र में कहा।
आपको बता दें कि संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल कानूनों को न्यायिक समीक्षा से छूट दी गई है।
बघेल ने आगे कहा कि राज्य विधानसभा ने पिछले साल दिसंबर में सर्वसम्मति से अनुसूचित जनजाति (एसटी), अनुसूचित जाति (एससी), ओबीसी और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लोगों के लिए क्रमश: 32%, 13%, 27% और 4% आरक्षण लागू करने के लिए एक विधेयक पारित किया था। हालाँकि, “विधेयक अभी भी राजभवन में अनुमोदन के लिए लंबित है”, उन्होंने कहा।
बघेल ने कहा कि आबादी के इस बड़े हिस्से को संवैधानिक अधिकारों से वंचित करना अनिवार्य रूप से उन्हें परेशान करेगा। उन्होंने पत्र में कहा, ”यह समझ से परे है कि राज्य सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद ओबीसी वर्ग के लोगों को 27% आरक्षण का लाभ नहीं दिया जा रहा है।”
आधिकारिक तौर पर समग्र जाति डेटा एकत्र करने वाली आखिरी जनगणना 1931 में हुई थी। एक दशक में एक बार आयोजित होने वाली जनगणना में एससी के रूप में सूचीबद्ध लोगों के अलावा कोई भी जाति डेटा दर्ज नहीं किया जाता है।
देशभर में जाति आधारित सर्वे (caste-based survey) की मांग जोर पकड़ रही है। विशेष रूप से कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों को उम्मीद है कि पिछड़े समूहों में भारतीय जनता पार्टी की गहरी पैठ को उलटने और धार्मिक ध्रुवीकरण का मुकाबला करने में जातियों की गणना गेम-चेंजर साबित होगी।
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