दाहोद, गुजरात – गुजरात के दाहोद जिले में विशेष POCSO सत्र न्यायालय ने बुधवार को एक सरकारी प्राथमिक विद्यालय के प्रिंसिपल को छह वर्षीय आदिवासी छात्रा के साथ दुष्कर्म और हत्या के आरोपों से बरी कर दिया। हालांकि, कोर्ट ने आरोपी को गैर इरादतन हत्या, अवैध रूप से बंधक बनाना और सबूत नष्ट करने के आरोप में दोषी ठहराते हुए 10 साल की सश्रम कारावास की सजा सुनाई है।
यह छात्रा 19 सितंबर 2023 को स्कूल के पीछे मृत अवस्था में पाई गई थी। कोर्ट ने आरोपी पर ₹2.10 लाख का जुर्माना भी लगाया है, जिसे पीड़िता के पिता को मुआवज़े के तौर पर दिया जाएगा।
राज्य सरकार करेगी फैसले को चुनौती
राज्य सरकार इस फैसले से असंतुष्ट है और आरोपी को POCSO कानून के तहत बरी किए जाने को चुनौती देने की तैयारी कर रही है। मामले के विशेष लोक अभियोजक अमित नायर ने कहा, “यह फैसला अप्रत्याशित है। हमने विस्तृत फॉरेंसिक और चिकित्सकीय साक्ष्य अदालत के सामने रखे थे। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में मौत का कारण दम घोंटना बताया गया है, जो यौन हमले के प्रयास का हिस्सा था। पीड़िता को आखिरी बार आरोपी के साथ देखा गया था, और सभी गवाह हमारे पक्ष में थे।”
नायर ने कहा, “हम इस फैसले को सभी बिंदुओं पर चुनौती देंगे। जैसे ही विस्तृत आदेश मिलेगा, हम उच्च न्यायालय में अपील दायर करेंगे।”
कोर्ट का निर्णय और धाराएं
प्रोसीक्यूशन ने आरोपी को भारतीय न्याय संहिता की धारा 103(1) (हत्या) और POCSO एक्ट की धारा 64(2)(f), 65(2), और 66 के तहत फांसी की सज़ा देने की मांग की थी — जो संरक्षक द्वारा दुष्कर्म, 12 वर्ष से कम उम्र की बच्ची के साथ दुष्कर्म, और दुष्कर्म के कारण मौत से संबंधित हैं।
लेकिन कोर्ट ने आरोपी को इन आरोपों से बरी कर दिया और उसे निम्नलिखित धाराओं में दोषी ठहराया. इसमें शामिल है — धारा 105: गैर इरादतन हत्या, धारा 127(2): अवैध रूप से बंधक बनाना, धारा 238: अपराध के सबूत नष्ट करना.
आरोपी के वकील ए.आर. चौहान ने अदालत को बताया कि अभियोजन द्वारा प्रस्तुत फॉरेंसिक साक्ष्य निर्णायक नहीं थे। उन्होंने कहा कि POCSO की धाराएं पुलिस ने बाद में जोड़ीं और रिपोर्ट में कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं मिला जिससे दुष्कर्म या हत्या साबित होती हो।
वैज्ञानिक जांच और सबूत
दाहोद पुलिस ने इस मामले में महज 12 दिनों में 1,700 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की थी, जिसमें वैज्ञानिक साक्ष्यों पर खास जोर दिया गया था। इसमें ‘टच डीएनए’ (एपिथीलियल सेल डीएनए प्रोफाइलिंग) और फॉरेंसिक व्हीकल एनालिसिस शामिल थे। आरोपी ने कथित रूप से सबूत मिटाने के लिए अपनी कार को गोधरा में धुलवा दिया था।
सरकार की ओर से अक्टूबर 2024 में जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया था कि जांच में डिजिटल साक्ष्य, डीएनए विश्लेषण, फॉरेंसिक रसायन, विषविज्ञान, और वॉयस स्पेक्ट्रोग्राफी जैसी आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया गया।
घटना का विवरण
19 सितंबर की शाम पीड़िता के परिजनों ने उसकी तलाश शुरू की थी जब वह स्कूल से घर नहीं लौटी। कुछ घंटों की खोजबीन के बाद उसका शव स्कूल के पीछे मिला। परिवार ने पुलिस को बताया कि उस दिन सुबह बच्ची को स्कूल भेजने के लिए उसकी मां ने खुद प्रिंसिपल की गाड़ी में बैठाया था।
22 सितंबर को आरोपी प्रिंसिपल को बलात्कार और हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया।
31 गवाहों के बयान
इस मामले में कुल 31 गवाहों के बयान दर्ज किए गए, जिनमें शिक्षक, छात्र, और वे चश्मदीद शामिल थे जिन्होंने बच्ची को आखिरी बार आरोपी के साथ देखा था।
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