गुजरात में परिवारवाद का बोलबाला - 13. 67 प्रतिशत भाजपा के ,6 . 7 प्रतिशत प्रत्याशी कांग्रेस के परिवारवादी

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गुजरात में परिवारवाद का बोलबाला – 13. 67 प्रतिशत भाजपा के ,6 . 7 प्रतिशत प्रत्याशी कांग्रेस के परिवारवादी

| Updated: December 1, 2022 13:32

गुजरात विधानसभा चुनाव Gujarat assembly election में परिवारवाद का बोलबाला है। भाजपा ,कांग्रेस या आम आदमी पार्टी किसी ने भी ” राजनीतिक विरासत “के संरक्षण करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। परिवारवाद का आरोप झेल रही कांग्रेस ने 12 ऐसे उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है जिनका संबंध राजनीतिक परिवार से है। भाजपा ने इस मामले में कांग्रेस को भी पीछे छोड़ दिया है। भाजपा के 25 प्रत्याशी का सम्बन्ध राजनीतिक परिवार से है। आम आदमी पार्टी ने भी परिवारवाद से परहेज नहीं किया है। पारिवारिक विरासत को बचाने में पूर्व मुख्यमंत्री के पुत्रों से लेकर पूर्व पार्षदों के पुत्र पुत्रियों का समावेश है। इनमे से कुछ प्रस्थापित नेता हैं तो कुछ पहली बार चुनावी मैदान में हैं।

इस चुनाव में कांग्रेस की तरफ से पूर्व मुख्यमंत्री शंकरसिंह वाघेला के पुत्र महेंद्र सिंह वाघेला (Mahendra Singh Vaghela, son of former Chief Minister Shankersinh Vaghela )बायड से जबकि एक मात्र आदिवासी मुख्यमंत्री रहे अमरसिंह चौधरी के पुत्र और पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ तुषार चौधरी (Chief Minister Amarsingh Chaudhary’s son and former Union Minister Dr. Tushar Chaudhary )खेड़ब्रह्मा से मैदान में हैं। गुजरात कांग्रेस प्रमुख जगदीश ठाकोर ने अपने भाई अमरत ठाकोर की भी टिकट सुरक्षित करा ली है वह कांकरेज से मैदान में हैं। पूर्व राज्यसभा ईश्वर सिंह चावड़ा के पोते अमित चावड़ा बोरसद से तीसरी बार विधायक बनने की दौड़ में हैं। शैलेश परमार पूर्व मंत्री मनु परमार के पुत्र शैलेश परमार तीन बार विधायक रह चुके है , चौथी बार के लिए दानिलिमडा से फिर प्रत्याशी बनाये गए है। पूर्व विधायक सावशी मकवाणा के बेटा ऋत्विक मकवाणा और बेटी कल्पना मकवाना दोनों को कांग्रेस ने प्रत्याशी बनाया है।

वही भाजपा में पूर्व मंत्री अशोक भट्ट के बेटे भूषण भट्ट (Bhushan Bhatt, son of former BJP minister Ashok Bhatt )अहमदाबाद के जमालपुर खाड़िया से चुनाव लड़ रहे है , पूर्व विधायक भट्ट पिछला चुनाव इमरान खेड़ावाला से हार चुके हैं। पूर्व सांसद और सौराष्ट्र के वरिष्ठ नेता रहे विट्ठल रादडिया के पुत्र जयेश रादडिया जेतपुर से मैदान में है , जयेश गुजरात सरकार में मंत्री रह चुके हैं। सौराष्ट्र में कोली समाज के बड़े चहरे परसोत्तम सोलंकी और उनके चचेरे भाई हीरा सोलंकी फिर से अपनी पुरानी सीट से मैदान में है ,एक परिवार एक टिकट का नियम भी यंहा टूट जाता है। हीरा सोलंकी 2017 में राजुला से कांग्रेस के अमरीश डेर से चुनाव हार गए थे 12719 मतों से चुनाव हार गए थे। आदिवासी विस्तार में हिंदुत्व की जड़े मजबूत करने वाले आरएसएस नेता डॉ. पी.वी. दोशी की पोती डॉ. दर्शिता शाह को भी भाजपा ने मौका दिया है। यह सूची और लम्बी होती जाती है।

जबकि आम आदमी पार्टी ने पूर्व गुजरात कांग्रेस प्रमुख बी के गढ़वी के पुत्र कैलाश गढ़वी को मौका दिया है। भारतीय ट्राइबल पार्टी तो परिवार के झगडे में ही टूट गयी। कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में शामिल हुए 10 बार के विधायक मोहन सिंह राठवा के पुत्र को भाजपा ने 24 घंटे के भीतर प्रत्याशी बना दिया।

गुजरात विश्वविद्यालय के पूर्व विभागाध्यक्ष और समाजशास्त्री गौरांग जानी (Sociologist Gaurang Jani, Former Head of the Department, Gujarat University) कहते है राजनीतिक दल समाज का ही दर्पण होते हैं ,उनकी पहली प्राथमिकता चुनाव जीतना होती है इसलिए वह उसे टिकट देना चाहते जो जीत सके फिर वह किसी परिवार का हो या अपराधी , इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। जानी के मुताबिक ” यह दुर्भाग्य है कि हम 75 साल बाद भी नागरिक समाज नहीं बना पाए। इन उम्मीदवारों के सफल होने की सम्भावना ज्यादा होती है क्योकि परिवार के साथ साथ इनकी जाति भी प्रभावशाली भूमिका निभाती है। गुजरात में पहले यह नहीं था लेकिन पिछले तीन दशक में यह बढ़ा है क्योकि राजनीति अब व्यवसाय है। इसमें सेवा की भावना नहीं है।

गुजरात कांग्रेस के प्रमुख जगदीश ठाकोर Gujarat Congress chief Jagdish Thakor कहते है कि टिकट वितरण में केवल परिवारवाद नहीं होता ,वह पार्टी के कार्यकर्ता और नेता होते हैं ,लोग उन्हें चाहते है , तब वह चुनाव जीतते है। मीटिंग में होने का हवाला देकर वह अधिक बात करने में असमर्थता जताते है।

जबकि भाजपा के पूर्व मंत्री और भरुच से भाजपा प्रत्याशी ईश्वर पटेल ( BJP candidate from Bharuch Ishwar Patel )कहते है कि परिवार से सेवा की प्रेरणा मिलती है ,लेकिन परिवारवाद के आरोप को वह नकारते है। पटेल के मुताबिक वह 1989 से भाजपा से जुड़े हैं। 1994 से 1997 तक लगातार भारतीय जनता पार्टी के “जिला युवा सचिव” के रूप में सक्रिय रहे। लेकिन टिकट 2002 में मिली तब से वह लगातार विधायक है।

बीजेपी के वंशवादी उम्मीदवार

1 -भूषण भट्ट ( पूर्व मंत्री अशोक भट्ट के पुत्र)
2 जयेश रादडिया (पूर्व सांसद विठ्ठल रादडिया के पुत्र)
3 -किरीटसिंह राणा (पूर्व विधायक जीतूभा राणा के भतीजे )
4 -डॉ. दर्शिता शाह (आरएसएस नेता डॉ. पी.वी. दोशी की पोती)
5 -भानु बाबरिया (पूर्व विधायक मधु बाबरिया की बहू)
6 -गीताबा जाडेजा (पूर्व विधायक जयराज सिंह जडेजा की पत्नी)
7 -परसोत्तम सोलंकी
8- हीरा सोलंकी (दोनों चचेरे भाइयों का टिकट रिपीट)
9- ईश्वर पटेल (पूर्व अंकलेश्वर विधायक ठाकोर पटेल के पुत्र)
10 -राजेश झाला ( पूर्व विधायक मगन झाला के पुत्र)
11- राजेंद्र राठवा (कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक मोहन सिंह के पुत्र)
12- शैलेश भाभोर (पूर्व मंत्री जसवंत भाभोर के पुत्र)
13 -योगेंद्र परमार (पूर्व विधायक राम सिंह परमार के पुत्र)
14- दर्शना देशमुख (पूर्व सांसद चंदू देशमुख की बेटी)
15- चेतन्य देसाई (जनसंघ नेता मकरंद देसाई के पुत्र)
16- सेजल पांड्या (भावनगर शहर अध्यक्ष राजीव पांड्या की पत्नी)
17- मानसिंह परमार (गोविंद परमार के भतीजे)
18- जवाहर चावड़ा ( पत्थल जी चावड़ा के पुत्र)
19 -प्रवीण माली (पूर्व विधायक गोरधन माली के पुत्र)
20 -रीता पटेल (पूर्व विधायक अशोक पटेल की भतीजी )
21- कानू पटेल (पूर्व विधायक करमशी पटेल के पुत्र)
23- पायल कुकराणी (पूर्व पार्षद रमेश कुकराणी की बेटी)
24- कंचन रादडिया (पूर्व पार्षद विनू रादडिया की पत्नी)
25 -हितेश वसावा (बीटीपी नेता देवजी वसावा के पुत्र)

कांग्रेस के वंशवादी उम्मीदवार

1 महेंद्र सिंह वाघेला (पूर्व मुख्यमंत्री शंकर सिंह वाघेला के पुत्र)
2 तुषार चौधरी (पूर्व मुख्यमंत्री अमर सिंह चौधरी के पुत्र)
3 अमरत ठाकोर (गुजरात काँग्रेस प्रमुख जगदीश ठाकोर के भाई)
4 अमित चावड़ा (कांग्रेस सांसद ईश्वर सिंह चावड़ा के पोते)
5 संजय रबारी (पूर्व विधायक गोवा रबारी के पुत्र)
6 शैलेश परमार (पूर्व मंत्री मनु परमार के पुत्र)
7 जयश्री पटेल (पूर्व विधायक की पुत्री)
8 अमी रावत (कांग्रेस नेता नरेंद्र रावत की पत्नी)
9 स्नेहलता खांट (पूर्व विधायक सविता खांट की बहू)
10 ऋत्विक मकवाना (सावशी मकवाना के पुत्र)
11 कल्पना मकवाना (सावशी मकवाना की बेटी)
12 – संग्राम राठवा ( राज्य सभा सांसद नारायण राठवा के पुत्र )

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