गहलोत ने दिया सीएम पद छोड़ने का संकेत, पायलट हो सकते हैं राजस्थान के नए सीएम

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गहलोत ने दिया सीएम पद छोड़ने का संकेत, पायलट हो सकते हैं राजस्थान के नए सीएम

| Updated: September 23, 2022 15:55

नई दिल्लीः कल तक कांग्रेस अध्यक्ष बनने के साथ-साथ राजस्थान का मुख्यमंत्री भी बने रहने की बात करने वाले अशोक गहलोत बैकफुट पर आ गए हैं। उनका ताजा बयान बताता है कि वह अध्यक्ष बनने के लिए मुख्यमंत्री पद की कुर्बानी देने को तैयार हैं। गहलोत ने एक इंटरव्यू में कहा है कि आज तक कोई भी व्यक्ति मुख्यमंत्री और कांग्रेस अध्यक्ष एक साथ नहीं रहा है। ऐसा संभव भी नहीं है। दोनों पदों को एक साथ संभालने वाला किसी भी पद के साथ न्याय भी नहीं कर सकता। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के कांग्रेस अध्यक्ष बनने की स्थिति में सचिन पायलट को सीएम बनाया जा सकता है।

गहलोत के तेवर में यह बदलाव राहुल गांधी से बातचीत के बाद आया है। इस बीच, कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा केरल के त्रिशूर पहुंच चुकी है। शुक्रवार को यात्रा में आराम का दिन है। इसलिए राहुल गांधी  दिल्ली आ गए हैं। सूत्रों के मुताबिक, वह शुक्रवार को ही सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी के साथ बैठक करेंगे। इसमें अशोक गहलोत  भी शामिल होंगे।  बताया जा रहा है कि राहुल गांधी और अशोक गहलोत एक ही चार्टर प्लेन से दिल्ली आए हैं। बताया जा रहा है कि इस बैठक में राजस्थान में नए मुख्यमंत्री का भी फैसला हो जाएगा।

दरअसल राहुल गांधी ने कहा था कि देश की सबसे पुरानी पार्टी के प्रमुख का पद ‘वैचारिक’ है। जो भी इस जिम्मेदारी को संभालता है, उसे यह याद रखना चाहिए कि वह भारत के एक नजरिये का प्रतिनिधित्व करेगा। राहुल गांधी पहले ही यह संकेत दे चुके हैं कि वह इस चुनाव से दूर रहेंगे। उन्होंने यह उम्मीद भी जताई कि ‘उदयपुर चिंतन शिविर’ में तय हुई ‘एक व्यक्ति, एक पद’ की व्यवस्था पर पूरी तरह अमल किया जाएगा। बता  दें कि गांधी परिवार ने इस बार अध्यक्ष के चुनाव में नहीं उतरने और तटस्थ रहने का फैसला किया है।

कमलनाथ और तिवारी भी चुनावी दौर मेः

वैसे तो गहलोत के सामने कांग्रेस के सीनियर नेता शशि थरूर के चुनावी मैदान में उतरने के पूरे आसार हैं। इस सिलसिले में वह कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से भी मिल कर बता चुके हैं। लेकिन इसी बीच, कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने वालों में मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी के नामों की भी चर्चा है। मनीष तिवारी के करीबी सूत्रों ने खुलासा किया कि उन्होंने अपने निर्वाचन क्षेत्र में राज्य पार्टी के उन प्रतिनिधियों से मुलाकात की है, जो चुनाव में मतदाता हैं। गौरतलब है कि हर उम्मीदवार को अपना नाम प्रस्तावित करने के लिए प्रदेश कांग्रेस कमेटी के दस प्रतिनिधियों की जरूरत पड़ती है। मनीष तिवारी कांग्रेस नेतृत्व के प्रमुख आलोचकों में रहे हैं। वह पार्टी में सुधार की मांग की करने वाले समूह जी-23 के भी सदस्य हैं।

चुनाव की अधिसूचना जारीः

कांग्रेस के केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण ने गुरुवार को चुनावी अधिसूचना जारी कर दी। इसके मुताबिक, 24 से 30 सितंबर के बीच परचे भरे जाएंगे। नामांकन पत्रों की जांच एक अक्टूबर को होगी। नाम वापस लेने की अंतिम तारीख 8 अक्टूबर है। मतदान जहां 17 अक्टूबर को होगा, वहीं वोटों की गिनती 19 अक्टूबर को होगी।

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